भागवतकथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह
रामानुजगंज में बह रही अडम्बरों रहित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह
स्वामी डॉ त्याग मूर्ति की आडम्बर विहीन श्रीमद्भागवत कथा में उमड़ा जनसमूह
वैचारिक संतुलनवादी हिन्दुत्व की प्रयोगशाला में चल रहा स्वामी डॉ त्याग मूर्ति जी की श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह
सामाजिक सशक्तिकरण और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सीख देती है श्रीमद्भागवत कथा: स्वामी डॉ त्याग मूर्ति
रामानुजगंज में कन्हर नदी के तट पर स्थित आमंत्रण धर्मशाला के प्रांगण में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह 13 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक चल रहा है। यह कथा लगभग 20 वर्ष पूर्व नगर में 10 वर्ष तक रह चुके मनोविज्ञान के शोधकर्ता पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट डॉक्टर आर एन सिंह जी कथा व्यास के रूप में कह रहे हैं। जो प्राचीन भारतीय सनातन संस्कृति के सन्यास आश्रम परम्परा के अंतर्गत संन्यास ग्रहण कर स्वामी डॉ त्याग मूर्ति जी हो चुके हैं। देश के मौलिक विचारक और वानप्रस्थी श्रद्धेय बजरंग मुनि जी सहित दोनों महापुरुषों के संयुक्त तत्वाधान में इस कथा का आयोजन किया गया है।
अपने स्थापना काल से ही ज्ञानयज्ञ परिवार बुद्धि और भावना के समन्वय के लिए धार्मिक एवं वैचारिक दोनों प्रकार के आयोजन करता रहा है। मुनि जी का कहना है कि यह एक नया प्रयोग है। हम लोग समाज में प्रचलित मान्यताओं का विश्लेषण कर के आप्रासंगिक हो चुके मान्यताओं की जगह नई वर्तमान परिस्थितियों के अनुकूल परिभाषा देने में लगे हुए हैं। जहां स्वामी जी हिन्दुत्व के वैचारिक संतुलनवाद के पक्षधर हैं वही मुनि जी समाज में समन्वित सहजीवन के पक्षधर है। स्वाभाविक है कि कथा आयोजन भावनात्मकता के ऊपर तर्कशीलता पर आधारित है। वर्तमान धार्मिक आयोजनों से भिन्न, गीत संगीत और आडम्बर विहीन श्रीमद्भागवत कथा हो रही है। पौराणिक कथाओं के माध्यम से जीवन की दुरूहता को सरलता में बदल कर व्यक्ति को समझदारी की तरफ ले जाने की कथा है। समाज में वास्तविक जीवन के संकटों पर आधारित घटना का जिक्र किया जाता है। स्वामी जी का कहना है कि ना कोई नास्तिक है और ना कोई आस्तिक लेकिन यह जीवन वास्तविक है। इसका मतलब सभी मनुष्यों का वास्तविक स्वरूप आस्तिकता का ही है। साथ ही मेरठ के वैदिक विद्वान श्री सुनील देव शास्त्री जी ने गूढ़ वैदिक सिद्धांतों की व्याख्या कथा की शुरुआत मे कर आयोजन को सार्थकता प्रदान की।
ज्ञानयज्ञ परिवार के अध्यक्ष मोहन गुप्ता जी ने समाज में अमीर गरीब, ऊंच नीच, महिला पुरुष, व्यापारी किसान, कामगार पूंजीपति के वर्ग निर्माण कर वैमनस्यता बोने का काम करने के लिए तो तमाम संगठन बने हुए हैं लेकिन ज्ञानयज्ञ परिवार समाज में संतुलन स्थापित करने के उपक्रम में सदा सर्वदा लगा रहा है। ज्ञानयज्ञ परिवार के व्यवस्थापक और मुनि जी पुराने साथी प्रमोद केसरी जी ने स्वामी जी के संस्मरणों का उनके वैचारिक सम्पन्नता और व्यवहार कुशलता पर चर्चा कर उनके अविस्मरणीय योगदानों पर कृतज्ञता व्यक्त की।