पवित्र नामों को अपमानित होने से बचाना चाहिए: GT 442

पवित्र नामों को अपमानित होने से बचाना चाहिए:

मेरे एक गांधीवादी मित्र ने यह लिखा है की हरियाणा बॉर्डर पर किसानों पर जो बर-बर लाठी चार्ज हुआ है वह जलियांवाला बाग के समान है कुछ दिनों पूर्व मेरे एक अन्य मित्र ने यह भी लिखा था की मनीष सिसोदिया भगत सिंह के समान हैं‌। मैं आज तक नहीं समझ सका की जलियांवाला बाग की तुलना इस किसान आंदोलन से कैसे की जा सकती है जलिया बाग वाला बाग देशभक्ति का आंदोलन था स्वतंत्रता की लड़ाई थी देश के लिए संघर्ष था वर्तमान किसान आंदोलन सुविधा की लड़ाई है स्वार्थी तत्वों की लड़ाई है देश का अधिक से अधिक संसाधन लूटने की लड़ाई है मनीष सिसोदिया का मामला भ्रष्टाचार का मामला है कानून के अनुसार किया जा रहा है कहीं भी इसमें भगत सिंह या जलियांवाला बाग जैसी ना कोई भावना है ना कोई क्रिया है। मैं चाहता हूं कि हम जलियांवाला बाग और भगत सिंह जैसे पवित्र नाम को इस प्रकार अपमानित करने से बचे।