विविध विषयों पर मुनि जी के विचार GT 453
विविध विषयों पर मुनि जी के विचारअब मुस्लिम महिलाएं भी धर्म की बपौती नहीं:पिछले तीन-चार दिनों से राहुल गांधी की...
वैचारिक कसौटी पर ‘व्यक्ति’ 1 GT 453
वैचारिक कसौटी पर ‘व्यक्ति’ 1 GT 453 व्यक्त...
रामनुजगंज ज्ञानोत्सव कार्यक्रम: देश के जाने-माने विद्वा...
विगत 7, 8, व 9 जून को ज्ञान यज्ञ परिवार और मार्गदर्शन सामाजिक शोध संस्थान के तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय ज...
भारत को चाहिए आदर्श लोकतंत्र की गारंटी : GT-448
भारत को चाहिए आदर्श लोकतंत्र की गारंटी : भारत में इस समय चुनाव अंतिम चरण में है, यह चुनाव सीधा-सीधा हिंदू मुस...
एक झूठ ‘रोहित वेमुला’ के नाम पर दुकानदारी : GT-448
एक झूठ ‘रोहित वेमुला’ के नाम पर दुकानदारी : सारी दुनिया में सा...
महंगाई या तुष्टिकरण क्या चाहता है देश : GT-448
महंगाई या तुष्टिकरण क्या चाहता है देश : कल कांग्रेस की प्रमुख नेता प्रियंका गांधी ने इस बात की चुनौती द...
उद्योगपतियों से रार ठानने का नतीजा : GT-448
उद्योगपतियों से रार ठानने का नतीजा : राजनीतिक धरातल पर यह बात साफ होती जा रही है कि राहुल गांधी नेहरू की लाइ...
विपक्ष का एक मजबूत विकल्प हो सकते हैं अरविन्द केजरीवाल ...
विपक्ष का एक मजबूत विकल्प हो सकते हैं अरविन्द केजरीवाल : अरविंद केजरीवाल जेल से जमानत पर छूट कर...
कानूनी तिकड़मबाजी में फंसे हिंदुत्व के लिए यह चुनाव एक अ...
कानूनी तिकड़मबाजी में फंसे हिंदुत्व के लिए यह चुनाव एक अवसर :  ...
अल्पमत की तरफ बढ़ रहे हिंदू : GT-448
अल्पमत की तरफ बढ़ रहे हिंदू : भारत में स्वतंत्रता के समय हिंदुओं की संख्या लगभग 84% थी और, मुसलमान की संख्या पा...
कांग्रेस क्यों नहीं समान नागरिक संहिता पर बात करती : GT...
कांग्रेस क्यों नहीं समान नागरिक संहिता पर बात करती : भारत के चुनाव की सारी दुनिया में चर्चा हो रही है। लगातार ...
क्या हो 2024 के सरकार का एजेंडा : GT-448
क्या हो 2024 के सरकार का एजेंडा : &n...
राहुल गाँधी वर्सेज हिंदुत्व होता जा रहा चुनाव : GT 448...
राहुल गाँधी वर्सेज हिंदुत्व होता जा रहा चुनाव : &nbs...
साम्यवाद के हाथों खेल रहे राहुल गाँधी : GT-448
साम्यवाद के हाथों खेल रहे राहुल गाँधी : धीरे-धीरे यह बात बिल्कुल साफ होती जा रही है, कि राहुल गांधी हिंदुत्व...
क्या हो बेरोजगारी की परिभाषा ?
ज्ञान तत्त्व 447 बेरोजगारी की क्या हो परिभाषा : ...
आईये महंगाई को समझते हैं: GT 447
आवागमन महंगा होने से महंगाई नहीं बढ़ेगी: आज हम र...
क्या सचमुच लोकतंत्र खतरे में है ? GT 447
क्या सचमुच लोकतंत्र खतरे में है ? भारत में...
फिजूल की चर्चा में फंसी है राजनीति GT 447
फिजूल की चर्चा में फंसी है राजनीति पिछले ...
संपत्ति और शक्ति के एकत्रीकरण पर दोहरा रवैया क्यों ? GT...
संपत्ति और शक्ति के एकत्रीकरण पर दोहरा रवैया क्यों ? &n...
जीवन पथ भाग 4 GT 447
क्रमशः३ &nbs...
राजनीति ने साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया: GT 447
राजनीति ने साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया: द...
ईवीएम पर सुप्रीमकोर्ट का निर्णय स्वागतयोग्य: GT 447
ईवीएम पर सुप्रीमकोर्ट का निर्णय स्वागतयोग्य: &nb...
नक्सलवाद पर कांग्रेस का बदलता रुख: GT 447
नक्सलवाद पर कांग्रेस का बदलता रुख: पिछले ...
देश को संविधान सभा की जरूरत: GT 447
देश को संविधान सभा की जरूरत: हम व्यवस्था परिवर्तन में संविधान की भूमिका पर चर्चा कर रहे ...
राहुल गाँधी पूरी तरह साम्यवादी हो चुके हैं: GT 447
राहुल गाँधी पूरी तरह साम्यवादी हो चुके हैं:  ...
चुनावों के प्रति आकर्षण घट रहा है: GT 447
चुनावों के प्रति आकर्षण घट रहा है: लोकसभा ...
अल साल्वाडोर में साबित हुआ न्याय और सुरक्षा जनता की पहल...
अल साल्वाडोर में साबित हुआ न्याय और सुरक्षा जनता की पहली मांग: १० दुनिया...
“अरविन्द केजरीवाल का राजनैतिक भविष्य” पर मेरी भविष्यवाण...
“अरविन्द केजरीवाल का राजनैतिक भविष्य” पर मेरी भविष्यवाणी- ९ &...
हिन्दुत्त्व की मजबूती हो चुनावी मुद्दा : GT 446
हिन्दुत्त्व की मजबूती हो चुनावी मुद्दा : १२ वर्तमान भारत में सबसे अधिक च...
विदेशी धरती पर भारतीय अपराधियों की हत्या पर खेल: GT 446...
विदेशी धरती पर भारतीय अपराधियों की हत्या पर खेल: १३ कल समाचार पत्रों में...
न्यायिक जाँच में खुलती दिल्ली के स्कूलों की कलई : GT 44...
न्यायिक जाँच में खुलती दिल्ली के स्कूलों की कलई : २ समा...
श्रम शोषण और शिक्षित बेरोजगारी : GT 446
श्रम शोषण और शिक्षित बेरोजगारी : १४ एक समाचार प्रकाशित हुआ है कि भारत के...
नक्सली और कोंग्रेस दोनों का टूट रहा मनोबल: GT 446
नक्सली और कोंग्रेस दोनों का टूट रहा मनोबल: १ मैं छत्तीस...
धर्मनिरपेक्षता और तुष्टिकरण की दुविधा में फंसा कांग्रेस...
धर्मनिरपेक्षता और तुष्टिकरण की दुविधा में फंसा कांग्रेस: ५ म...
भारत का हर नागरिक है यहाँ का मूल निवासी : GT 446
भारत का हर नागरिक है यहाँ का मूल निवासी : ११ लोकसभा के चुनाव शुरू हो गए ...
बहुत तेज़ गति से होना चाहिए निजीकरण : GT 446
बहुत तेज़ गति से होना चाहिए निजीकरण : १५ मैं बहुत पहले से लगातार यह कहता ...
फर्जी विडियो की दुकान सजी है सावधान रहें: GT 446
फर्जी विडियो की दुकान सजी है सावधान रहें: ७ लगभग 15 दिन पहले...
भावनात्मकता से वैचारिकी पर होता चुनाव संतोषजनक GT 446
भावनात्मकता से वैचारिकी पर होता चुनाव संतोषजनक ४ भारत के चुन...
विदेशी उच्च शिक्षित और देशी ज्ञानियों के बीच चुनाव : GT...
विदेशी उच्च शिक्षित और देशी ज्ञानियों के बीच चुनाव : ३ भारत ...
वैचारिक व्यवस्था परिवर्तन GT - 445
व्यवस्था परिवर्तन के लिए जनमत हो एक जुट : हम सत्ता परिवर्तन के नहीं व्यवस्था परिवर्तन के पक्षधर हैं। व्यवस्था...
विविध वैचारिक GT 445
उच्चसिद्धांतों का पालन विचारक का काम राजनेता का नहीं : मैंने अटल बिहारी वाजपेई के प्रधानमंत्री का कार्यकाल भी...
आत्मनिर्भर देश के लिए आयात घटने और निर्यात बढ़ने की जरूर...
आत्मनिर्भर देश के लिए आयात घटने और निर्यात बढ़ने की जरूरत : रघुराज रमन एक कांग्रेसी विचारक हैं विदेश ने उन्हें...
अरविन्द केजरीवाल जेल वैचारिक GT 445
कार्यपालिका के लिए जेल से दायित्व पर बने रहना कैसे उचित ? इस बात पर भारत में सर्वसम्मति है कि हमारी लोकतांत्र...
इंडी गठबंधन और १० साल GT - 445
उद्दंड मुसलमान, नक्सलवाद पिछले 10 वर्षों में कमजोर हुए और सुरक्षा बल मजबूत: नेहरू परिवार के भक्त बार-बार यह प...
यह चुनाव वर्ग संघर्ष और वर्ग समन्वय के बीच : GT - 445
यह चुनाव वर्ग संघर्ष और वर्ग समन्वय के बीच : कल दिल्ली और मेरठ में दो अलग-अलग सभाएं हुई। दिल्ली की सभा INDIA ...
राजनैतिक : विविध विषय GT - 445
उद्योगपतियों के विरोध का परिणाम है कांग्रेस का आर्थिक संकट : कल एक प्रेस कांफ्रेंस करके राहुल गांधी समेत अनेक...
व्यवस्था परिवर्तन के संघर्ष में अरविन्द केजरीवाल ने निर...
व्यवस्था परिवर्तन के संघर्ष में अरविन्द केजरीवाल ने निराश किया : मैंने जीवन भर लोक स्वराज्य की दिशा में व्यवस...
विविध विषयों पर मुनि जी के लेख - चुनावी GT- 444
मुसलमानों के गलत होने पर भी इंडी गठबन्धन के लोग उकसाते है-2 दिन पहले शुक्रवार को दिल्ली में नमाज पढ़ने वालों ने...
विविध विषयों पर मुनि जी के लेख - वैचारिक GT - 444
श्रमजीवियों के शोषण की नीति बुद्धिजीवी ही बनाते हैं- एक मेरे बड़े अच्छे मित्र और गंभीर विचारक नरेंद्र सिंह जी न...
जीवन पथ भाग १ GT - 444
"जीवन पथ" श्री नरेन्द्र रघुनाथ सिंह द्वारा उपन्यास शैली की रचना है। इसके लिखने का कालखण्ड 2011 से 2017 तक रहा।...
यदि लक्ष्य चुनाव है तो गाँधी नाम की दुकानदारी क्यों? GT...
यदि लक्ष्य चुनाव है तो गाँधी नाम की दुकानदारी क्यों?-3 दिन से बनारस में था वहां दल मुक्त भारत का कार्यक्रम चल ...
कांग्रेस और राहुल गाँधी GT-444
कांग्रेस और नेहरु परिवार का भविष्य-हम इस बात की चर्चा करते हैं की नेहरू परिवार का भविष्य क्या है और वर्तमान पर...
सहजीवन के प्रशिक्षण बिना हिंसा और स्वार्थ पर अंकुश संभव...
सहजीवन के प्रशिक्षण बिना हिंसा और स्वार्थ पर अंकुश संभव नहीं:  ...
ज्ञानयज्ञ परिवार ने उत्सवपूर्वक मनाया महर्षि दयानन्द सर...
ज्ञानयज्ञ परिवार ने उत्सवपूर्वक मनाया महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयन्ती: दिनांक 5 मार्च 2024 को ज्ञानयज...
पांच प्रकार के बदलाव की तैयारी करे मोदी सरकार: GT - 443...
पांच प्रकार के बदलाव की तैयारी करे मोदी सरकार: शेखर गुप्ता भारत के प्रसिद्ध पत्रकार हैं। मैं तो उन्हें बहुत ग...
आन्दोलन की प्रवृत्ति को निरुत्साहित करने की जरुरत: GT -...
आन्दोलन की प्रवृत्ति को निरुत्साहित करने की जरुरत: पूनम आई कौशिक एक प्रसिद्ध लेखक है उनके लेख में प्राय पढ़ता ...
विविध विषयों पर GT-443
सीटों के बंटवारे में फंसी INDI गठबंधन: भारतीय जनता पार्टी पूरे देश भर मे...
किसानों के नाम पर समाज के ब्लैकमेलर GT 442
किसानों के नाम पर समाज के ब्लैकमेलर: मैंने 20 वर्ष पहले एक लेख लिखा था जिसका शीर्षक था गाय की रोटी कुत्ता खाए...
भावना और बुद्धि के संतुलन का मार्ग है आर्यसमाज: GT 442
भावना और बुद्धि के संतुलन का मार्ग है आर्यसमाज: मैंने विचार शक्ति आर्य समाज से प्राप्त की है मुझे गर्व है कि ...
विपक्ष की अनिवार्यता लोकतंत्र में एक भ्रम है: GT 442
विपक्ष की अनिवार्यता लोकतंत्र में एक भ्रम है: मेरे कई मित्र यह लिखते रहे हैं की आदर्श लोकतंत्र में विरोधी पक्...
पवित्र नामों को अपमानित होने से बचाना चाहिए: GT 442
पवित्र नामों को अपमानित होने से बचाना चाहिए: मेरे एक गांधीवादी मित्र ने यह लिखा है की हरियाणा बॉर्डर पर किसान...
सांप्रदायिक भाईचारे पर होना चाहिए गम्भीर विचार: GT 442
सांप्रदायिक भाईचारे पर होना चाहिए गम्भीर विचार: इरफान हबीब एक वामपंथी इतिहासकार माने जाते हैं उन्होंने यह बात...
गाँधी ने दी हिंदुत्व की श्रेष्ठतम परिभाषा: GT 442
गाँधी ने दी हिंदुत्व की श्रेष्ठतम परिभाषा: गांधी के विषय में मेरे विचार अन्य अनेक लोगों की तुलना में अलग है। ...
EVM की बढ़ती विश्वसनीयता: GT 442
EVM की बढ़ती विश्वसनीयता: अभी कल पाकिस्तान के चुनाव संपन्न हुए हैं चुनाव में किस प्रकार धांधली हुई यह दुनिया न...
अनावश्यक कानूनों के खात्मे को मोदी सरकार तैयार: GT 442
अनावश्यक कानूनों के खात्मे को मोदी सरकार तैयार: कल नरेंद्र मोदी ने संसद में एक भाषण दिया भाषण में अधिकांश बात...
प्रधानमंत्री की दोड़ से बाहर होते अरविन्द केजरीवाल: GT 4...
प्रधानमंत्री की दोड़ से बाहर होते अरविन्द केजरीवाल: GT 442 भारत के सभी मुख्यमंत्री की लोकप्रियता का आकलन...
हिंदुत्व और राममन्दिर १ GT 441
1-साम्यवाद और इस्लाम के बल पर कांग्रेस जिंदा - राम मंदिर के उद्घाटन में न जाने का निर्णय कांग्रेस पार्टी ने ब...
चुनावी राजनीती GT 441
चुनावी राजनीति 10-साम्प्रायिकता भ्रश्टाचार और गुड़ागर्दी के विरोधी कहां जायें - मैं नीतीश कुमार का प्...
हिंदुत्व और राममन्दिर २ GT 441
5-हिन्दुओं की एकजुटता से तुश्टीकरण करने वालों के पेट में मरोड़ - अभी मैं रायपुर शहर में हूं। मैंने रायपुर का ज...
विविध विषयों पर मुनि जी का लेख (भाग २) GT-441
20-राजनिती की बेढंगी चाल - राजनीति अपना रंग किस प्रकार बदलती है राजनीति की भाषा किस तरह अन्य भाषाओं से अलग हो...
भ्रष्टाचार GT 441
13-नेता और अफसर की मिली भगत है भ्रश्टाचार का कारण - वर्तमान भारत की दो प्रमुख समस्याएं हैं-एक है सांप्रदायिकत...
विविध विषयों पर मुनि जी का लेख (भाग ३) GT 441
25-शांति से चली संसद में चर्चा- आज दिन भर में टीवी पर संसद की कार्यवाही देखता रहा (मुझे) बहुत आश्चर्य हुआ कि ...
वर्तमान समय में सबकी शिक्षा एक समान है GT-440
वर्तमान समय में सबकी शिक्षा एक समान है: मेरे एक मित्र विनोद शाह जी ने लिखा है कि सब की शिक्षा एक समान होनी चा...
सरकार का काम “परित्राणाय साधूनाम विनाशाय च दुष्कृताम” ...
सरकार का काम “परित्राणाय साधूनाम विनाशाय च दुष्कृताम” : कल मैं कर्नाटक के गुलबर्गा में राजीव दीक्...
लोकतंत्र का राष्ट्रमंत्र बनेगा e-Vote GT-440
लोकतंत्र का राष्ट्रमंत्र बनेगा e-Vote इ-इंडिया, इ-पंचायत, इ-बिजनेस, इ-फिनांस, इ-कॉमर्स, इ-पेमेंट, इ-वेस्ट, इ-...
आर्य समाज में समूचे विश्व को हिन्दुत्व की दिशा धारा में...
आर्य समाज में समूचे विश्व को हिन्दुत्व की दिशा धारा में ले चलने का सामर्थ्य: सुप्रसिद्ध समाज विज्ञानी श्रद्धेय...
हिंदी का विरोध करना और अंग्रेजी का बढ़ावा देना घातक: GT-...
हिंदी का विरोध करना और अंग्रेजी का बढ़ावा देना घातक: कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की है कि पूरे देश में धीरे-धीरे ...
ज़ूम चर्चा कार्यक्रम: GT-440
ज़ूम चर्चा कार्यक्रम: ध्रुवीकरण प्रवृत्तियों के आधार पर होना चाहिए: कुछ दिन पहले ’जूम एप’ पर चर्च...
तानाशाही की भूख बढ़ाती है अराजकता GT-440
तानाशाही की भूख बढ़ाती है अराजकता: मैंने कई बार लिखा है कि जब लोकतंत्र अराजकता की दिशा में बढ़ता है तो तानाशाही...
तुष्टिकरण, ब्लैकमेलिंग का एक माध्यम है: GT-440
तुष्टिकरण, ब्लैकमेलिंग का एक माध्यम है: तुष्टिकरण की नीति समाज में बहुत ...
बृजभूषण शरण सिंह की जीत के मायने GT-440
बृजभूषण शरण सिंह की जीत के मायने: कुछ दिन पहले ही खेल चुनाव संपन्न हुए। यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण हो गए थे क्य...
ईश्वर यथार्थ नहीं है लेकिन हमारी एक आवश्यकता है।
ईश्वर यथार्थ नहीं है लेकिन हमारी एक आवश्यकता है। मेरे एक मित्र महेंद्र नेह जी हैं जो गंभीर हैं और विचारों से ...
कांग्रेस सरकार में हिंदी का विरोध GT-440
कांग्रेस सरकार में हिंदी का विरोध: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ने हिंदी के विरोध में अभियान छेड़ दिया था। स...
अरविन्द केजरीवाल का भ्रष्टाचार के आरोपों पर चुप्पी गलत ...
अरविन्द केजरीवाल का भ्रष्टाचार के आरोपों पर चुप्पी गलत: दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कल कहा...
मार्गदर्शक सामाजिक शोध संस्थान के तत्वाधान में अमित ग्र...
मार्गदर्शक सामाजिक शोध संस्थान के तत्वाधान में अमित ग्राम गुमानीवाला में 73वें संविधान संशोधन की आगे की राह और...
दिशा और दशाहीन कांग्रेस पार्टी: GT-440
दिशा और दशाहीन कांग्रेस पार्टी: कांग्रेस पार्टी को मैं 70 वर्षों से देख रहा हूं। एक परिवार इसका संचालक है और ...
भीड़ समर्थित हिंसा का क़ानूनी संरक्षण भी सड़क दुर्घटना बढ़ा...
भीड़ समर्थित हिंसा का क़ानूनी संरक्षण भी सड़क दुर्घटना बढ़ाने का कारण: कांग्रेस एक सांप्रदायिक दल है और इस्लाम एक...
आर्य समाज वैचारिकी पर कार्य करे - बजरंग मुनि GT-440
आर्य समाज वैचारिकी पर कार्य करे - बजरंग मुनि। कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ आर्य महासम्मेलन में मुझे मुख्य अतिथि के र...
अराजकतावादी संसदों को संसद में भेजना उचित नहीं GT-440
अराजकतावादी संसदों को संसद में भेजना उचित नहीं: पिछले दिनों मैने संसद की कार्यवाही टीवी पर देखा। तो मुझे इस ब...
परम्परा और आधुनिकता के संघर्ष में अंधानुकरण उचित नहीं G...
परम्परा और आधुनिकता के संघर्ष में अंधानुकरण उचित नहीं: वर्तमान दुनिया में परंपरागत या आधुनिक इन दो विचारधाराओ...
राहुल गांधी नाटक बाजी बंद करें नरेंद्र मोदी की नीतियों ...
राहुल गांधी नाटक बाजी बंद करें नरेंद्र मोदी की नीतियों का विरोध करें: मैं पहले भी कई बार लिख चुका हूं कि राहु...
पर्यावरणवादी उत्पादकता बढ़ाने में बाधक GT-440
पर्यावरणवादी उत्पादकता बढ़ाने में बाधक: वर्तमान में मैं छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र में हूँ। पिछले 5 वर्षों में...
“लोकतंत्र की हत्या” राजनीतिक झूठ GT-440
“लोकतंत्र की हत्या” राजनीतिक झूठ: वर्तमान समय में भारत में राजनीति का स्तर कितना गिर गया है यह बा...
महंगाई और बेरोजगारी का झूठा हल्ला GT-440
महंगाई और बेरोजगारी का झूठा हल्ला: भारत में बेरोजगारी और गरीबी लगभग समाप्त हो गई है। वर्तमान समय में कोई भी ऐ...
EVM पर आरोप बूथ कैप्चरिंग की मंशा GT-439
EVM पर आरोप बूथ कैप्चरिंग की मंशा: दिग्विजय सिंह, मायावती, संजय राउत तथा कुछ कुछ कमलनाथ ने भी इस तरह का संदेह...
छुआछूत अपराध नहीं GT-439
छुआछूत अपराध नहीं: स्वतंत्रता हमारा मौलिक अधिकार है जबकि समानता हमारा संवैधानिक अधिकार है मौलिक अधिकार नहीं। ...
नक्सलवादी अत्याचार के कारण हुई भाजपा की वापसी GT-439
नक्सलवादी अत्याचार के कारण हुई भाजपा की वापसी: छत्तीसगढ़ में नए मुख्यमंत्री के रूप में विष्णु देव साय चुन लिए ...
आतंकवाद का उन्मूलन जरुरी: GT-439
आतंकवाद का उन्मूलन जरुरी: समाचार मिल रहे हैं कि भारत सरकार ने मुस्लिम आतंकवादियों से निपट लेने के बाद अब खालि...
आदिवासी कानून विकास में बाधक GT-439
आदिवासी कानून विकास में बाधक: भारत में आदिवासी-गैर आदिवासी की धारणा अंग्रेजी शासन काल में शुरू हुई। अंग्रेज च...
भ्रष्टाचार पावर में है व्यक्ति में नहीं GT-439
भ्रष्टाचार पावर में है व्यक्ति में नहीं मैं लंबे समय से यह बात लिखता रहा हूं कि व्यक्ति भ्रष्ट नहीं है बल्कि ...
लोकस्वराज आन्दोलन गाँधी विचार की आवश्यकता GT-439
लोकस्वराज आन्दोलन गाँधी विचार की आवश्यकता: गांधी को मानने वाले भारत मे दो ग्रुप है एक ग्रुप यह मानता है कि गा...
प्रदूषण का भार सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को देना उचित ...
प्रदूषण का भार सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को देना उचित नहीं पर्यावरण प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए दुनिया ...
चुनाव परिणाम और भ्रष्टाचार पर कार्यवाही GT-439
चुनाव परिणाम और भ्रष्टाचार पर कार्यवाही चार राज्यों के चुनाव परिणाम आ गए हैं बहुत पहले ही राहुल गांधी ने कहा ...
जाति जनगणना से बढ़ेगा जाति संघर्षE GT-439
जाति जनगणना से बढ़ेगा जाति संघर्ष: नीतीश कुमार ने बिहार में जाती जनगणना कराई, इसका साफ-साफ उद्देश्य राजनैतिक थ...
राहुल गाँधी गम्भीर नहीं GT-439
राहुल गाँधी गम्भीर नहीं समाचार मिला है कि अदानी के शेयर बहुत तेजी से बढ़ गए हैं। हिडन वर्ग की रिपोर्ट आने के ब...
सरकारीकरण भ्रष्टाचार का माध्यम: GT-439
सरकारीकरण भ्रष्टाचार का माध्यम: किसी भी प्रकार का सरकारीकरण भ्रष्टाचार के उद्देश्य से किया जाता है। सरकारीकरण...
उद्योगपतियों की राजनैतिक भूमिका: GT-439
उद्योगपतियों की राजनैतिक भूमिका: राजनीति में बड़े उद्योगपतियों की महत्वपूर्ण भूमिका हमेशा ही रही है। जब कांग्...
ब्लैक मेलर महिलाएं से सचेत रहने की आवश्यकता GT-439
ब्लैक मेलर महिलाएं से सचेत रहने की आवश्यकता मैं तो बहुत लंबे समय से लिखता रहा हूं कि महिलाओं को समान अधिकार द...
साम्यवादियों का ह्रदय परिवर्तन GT-439
साम्यवादियों का ह्रदय परिवर्तन शेहला राशिद और कन्हैया कुमार यह दोनों जेएनयू के बड़े छात्र नेता रहे हैं। दोनों ...
पर्यावरणवादी एवं मानवाधिकारवादी विदेशी जीव GT-439
पर्यावरणवादी एवं मानवाधिकारवादी विदेशी जीव हमारे देश में जंगलों की सुरक्षा के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के खतरना...
इस्राइल हमास युद्ध पर एक नजर: GT-439
इस्राइल हमास युद्ध पर एक नजर: आज इज़राइल हमास युद्ध की दुनिया भर में चर्चा हो रही है। मैं बचपन से ही लिखता आ र...
वैचारिक GT-438
वैचारिक 4.व्यवस्था की वास्तविक इकाईः वर्तमान समय में भारत दो भागों में विभाजित है। यह विभाजन भा...
चुनावी राजनीति GT-438
चुनाव: 23.राजनीति पूरी तरह भ्रष्ट हो गईः परसों देश के दो प्रमुख नेता छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के आसपास ही आम सभ...
अपराध नियंत्रण में समाज की भूमिका GT-438
7.अपराध नियंत्रण में समाज की भूमिकाः समाज में आमतौर पर दो प्रकार के लोग माने जाते हैं अच्छे और बुरे। लेकिन मै...
मुसलमानों की सामाजिक स्थिति GT-438
9.मुसलमान आज कहाँ खड़े हैः मेरे एक बहुत अच्छे मित्र सिद्धार्थ शर्मा जी ने बेंगलुरु से लिखा है कि...
पक्ष - विपक्ष GT-438
पक्ष विपक्ष 20.सामाजिक टकराव की विपक्षी राजनीतीः 5 वर्ष पहले कश्मीर से धारा 370 हटाने के मामले में विपक्षी द...
आपराधिक कानून में बदलाव की जरूरत GT-438
8.आपराधिक कानून में बदलाव की जरूरतः मैं लंबे समय से लिखता रहा हूं कि भारत के आपराधिक और न्यायिक कानून बहुत पु...
वैचारिक गाँधी GT-438
वैचारिक गांधी गाँधीवादी अब साम्प्रदायिक हो चुके हैं: महात्मा गांधी सांप्रदायिकता से दूर रहते थे महात्मा गांध...
शोषण अपराध नहीं GT-438
विशेष लेख: 1.शोषण कोई अपराध नहीं मैं लंबे समय से एक समस्या बढ़ती हुई देख रहा हूं और उसके समाधान पर भी सोचता र...
कृण्वंतो विश्वं आर्यम्
कृण्वंतो विश्वं आर्यम् संघ प्रमुख मोहन भागवत जी ने बैंकॉक में एक नारा दिया है “कृण्वंतो विश्वं आर्यम्&r...
मुसलमानों के कट्टर आचरण का दुष्परिणाम
मुसलमानों के कट्टर आचरण का दुष्परिणाम कल शनिवार को इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच हो रहा था म...
लोकहित से समझौता - सत्ता प्राप्ति का साधन
लोकहित से समझौता - सत्ता प्राप्ति का साधन पिछले दो-तीन महीने से नरेंद्र ...
साम्यवाद और वामपंथ
साम्यवाद और वामपंथयह सही है कि साम्यवाद दुनिया की सबसे अधिक खतरनाक विचारधारा है। मोटे तौर पर देखने पर इस्लाम स...
वर्त्तमान समस्याओं का समाधान न गांधीवाद न सावरकरवाद
वर्त्तमान समस्याओं का समाधान न गांधीवाद न सावरकरवाद जिस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्...
भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र, जादू-टोना
कुछ मान्य सिद्धान्त है। धर्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक होते है वर्तमान समय में इन दोनों के बीच संतुलन बिग...
तिल का ताड़
भारत में यह प्रवित्ति लगातार बढ़ती जा रही है कि कुछ लोग अलग-अलग गुट बनाकर मौके की तलाश में रहते है और कोई साधार...
गाय की रोटी कुत्ता खाए
लोक तंत्र के तीन स्तंभ माने जाते है 1. विधायिका 2. न्यायपालिका 3. कार्य पालिका। पूरे विश्व मे लोकतंत्र की प्रत...
भारतीय संसद और भारत पाक संबंध
मैं लम्बे समय से मानता रहा हूँ कि संसद में विपक्ष की भूमिका अलग होती है और विरोधी की अलग। यदि विपक्ष विरोधी की...
शंकराचार्य की गिरफ्तारी और हिन्दू धर्म
हिन्दू धर्म अपने अनुयायियों से चरित्र की अपेक्षा करता है। इसाई धर्म त्याग की और इस्लाम संगठन की पहली शिक्षा है...
अफजल गुरू और फांसी की सजा
भारतीय संसद पर आक्रमण की योजना के प्रमुख सूत्राधार होने के अपराध में सर्वोच्च न्यायालय ने भी अफजल गुरू की फांस...
शाहरूख खान की पीड़ा कितनी यथार्थ, कितनी भ्रम
पिछले दिनों फिल्म अभिनेता शाहरूख खान ने अपने मुसलमान होने के आधार पर सामाजिक भेदभाव होने के कारण अपने मन की पी...
विचार और भावनाएँ
विचार और साहित्य एक दूसरे के पूरक होते है। विचार आत्मा है और साहित्य शरीर। विचार अपंग होता है तो साहित्य अन्धा...
मंथन क्यों?
भावना और बुद्धि का संतुलन आदर्श स्थिति मानी जाती है। प्रत्येक व्यक्ति के लिये भी यह संतुलन आवश्यक है तथा ...
मीडिया की शक्ति, एक समीक्षा
मासिक, डायलॉग इन्डिया जून पंद्रह में, नूतन ठाकुर तथा अमिताभ ठाकुर ने अलग-अलग...
आडवाणी का झूठ और राजनीति का सच
यह स्पष्ट हो चुका है कि भारत मे राजनीति का स्तर लगातार गिर रहा है। अच्छे लोग लगातार राजनीति से किनारे होते जा ...
भोपाल गैस कांड
एक बार मै प्रोफेसर दिनेश चतुर्वेदी के साथ सूरजपुर कार से जा रहा था। भारी वर्षा में एक व्यक्ति को कार लग गई और ...
नेपाल आंदोलन
अब तक दुनिया में दो प्रकार की शासन व्यवस्था अस्तित्व में हैं- 1 तानाशाही, 2 लोकतंत्र । तानाशाही शासन व्यवस्था ...
डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर किस वर्ग के नायक और किसके खलनायक...
डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर का जन्मदिन पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जा रहा है। लगभग सर्वसम्मति बनी हुई है और कहीं ...
गांधी हत्या
तीस जनवरी को गांधी हत्या की चौहतरवी बरसी है । हत्या किसने की और क्यो की यह सर्व विदित तथ्य है । समीक्षा सिर्फ ...
नाथूराम गोडसे का महिमा मंडन
नवम्बर के इसी सप्ताह गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे की फांसी की वर्षगाठ हुई । पता चला कि कुछ हिन्दू मह...
सुभाष चन्द्र बोस की गुप्त फाइलों के प्रगटीकरण की एक समी...
स्वतंत्रता संघर्ष में सुभाषचन्द्र बोस का योगदान एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना रही है। सुभाषचन्द्र बोस ने अपनी सा...
विकल्प पथ
सृष्टि को बने चाहे हजारों वर्ष हुए हों अथवा लाखों अथवा करोड़ों, जब से भी यह सृष्टि बनी है तब से दो प्रवृत्तियों...
शिक्षा
भारत में शिक्षा का तेजी से विस्तार हुआ किन्तु ज्ञान तेजी से घटता गया। शिक्षा विस्तार ने भौतिक प्रगति में मदद क...
आर्थिक मंदी, समस्या या समाधान
पूरी दुनिया मे आर्थिक मंदी का कुहराम मचा हुआ है । सभी पूँजीवादी देश भी इस मंदी से चिन्तित है तथा वामपंथी देश भ...
हिन्दु संस्कृति और वर्तमान भारतीय संस्कृति
कोई व्यक्ति बिना विचार किये बार बार किसी कार्य को करना शुरू कर दे तो लम्बे समय बाद वह कार्य उस व्यक्ति का संस्...
सिर्फ चिन्तन ही नहीं, क्रिया भी चाहिए - बजरंगलाल अग्र...
मैंने अपने जीवन के प्रारंभिक पच्चीस वर्ष सक्रिय राजनीति में खर्च किये। राजनीति के माध्यम से समाज की समस्याओं क...
हिन्दू संस्कृति की अलग पहचान
बजरंग मुनि जी ने कथा के दूसरे दिन धर्म और सम्प्रदाय और संस्कृति विषय पर बोलते हुए कहा कि आज न हिन्दुत्व खतरे म...
ज्ञान, बुद्धि, श्रम और शिक्षा
ज्ञान और शिक्षा अलग-अलग होते है । ज्ञान स्वयं का अनुभवजन्य निष्कर्ष होता है तो शिक्षा किसी अन्य द्वारा प्राप...
फूट डालो और राज करो
जबसे अंग्रेज भारत में आये तभी से फूट डालो और राज करो की नीति भी शुरू हुई। वर्ग निर्माण, वर्ग विद्वेश और वर्ग स...
सरकारीकरण, निजीकरण या समाजीकरण
जब से यह दुनियाँ बनी है तब से ही शासक वर्ग में समाज को गुलाम बनाकर रखने की ईच्छा रही है। शासक अलग-अलग परिस्थित...
परम्पराएँ और यथार्थ
परम्पराएँ और यथार्थ एक दूसरे के पूरक भी होते है तथा दोनों के बीच निरंतर टकराव भी होता रहता है। परम्पराएँ भूतका...
दायित्व, कर्तव्य एवं अधिकार
पूरी दुनियाँ में एक समस्या बढ़ती जा रही है कि सामान्यतया लोग दायित्व तथा कर्तव्य का अन्तर नहीं समझते। दुनिया भर...
साहित्यकारों की सम्मान वापसी और भारत सरकार
पिछले दिनों जब से भारत की राजनैतिक व्यवस्था में एक सम्प्रदाय का एकाधिकारवादी हस्तक्षेप समाप्त होकर दूसरे सम्प्...
केन्द्रीयकरण, विकेन्द्रीयकरण और अकेन्द्रीयकरण
व्यवस्था के तीन तरीके माने गये हैं (1)तानाशाही (2)लोकतंत्र (3)लोक स्वराज्य। तानाशाही व्यवस्था में सत्ता तथा अध...
रघुराम राजन कितने अर्थशास्त्री ? कितने अर्थ प्रबंधक
अर्थशास्त्र और अर्थ प्रबंधन के बीच जमीन आसमान का फर्क होता है । अर्थशास्त्री आर्थिक सिद्धान्तो पर विचार मंथन क...
वर्तमान आर्थिक व्यवस्था एक षड़यंत्र
सत्तावन वर्ष पूर्व जब से मैने होश संभाला तभी से मैं यह मानता हूँ कि वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था गरीबो, ग्रामीणो,...
विकृत अर्थनीति और दुष्परिणाम
दिल्ली में शकरपुर में रहते हुए मुझे सात माह हो गये । मेरे निवास के दायीं ओर दो तीन फर्लांग के बाद झुग्गी झोपड़ी...
क्या कोई अमीरी रेखा भी बननी चाहिये ?
व्यक्ति दो प्रकार के होते हैं 1 शरीफ 2 अपराधी । शरीफ को प्राचीनकाल मे देव तथा अपराधियों को राक्षस कहा जाता था ...
भारत की अर्थनीति और आर्थिक बजट
दुनियाँ में आर्थिक दृष्टि से दो ही प्रणालियाँ प्रचलित रही हैं- 1 पूँजीवाद 2 साम्यवाद । इस्लाम की पहचान धार्मिक...
शिक्षित बेरोजगारी शब्द कितना यथार्थ ? कितना षणयंत्र ?
दुनियाँ मे दो प्रकार के लोग है । 1 श्रम प्रधान 2 बुद्धि प्रधान । बहुत प्राचीन समय मे बुद्धि प्रधान लोग श्रम जी...
ज्ञान कथा क्या है !
मैंने सितम्बर महीने मे हर महीने की एक तारीख को ज्ञान कथा करने का निर्णय लिया था। एक अक्टूबर को पहला ज्ञान कथा ...
स्वतंत्रता कि खुशी या विभाजन का गम
जब भारत को स्वतंत्रता मिली तब मेरी उम्र सिर्फ 8 वर्ष की थी । मुझे स्वतंत्रता की प्रसन्नता का प्रत्यक्ष अनुभव थ...
वर्ग संघर्ष या वर्ग समन्वय
वर्ग संघर्ष या वर्ग समन्वय प्रवृत्ति के आधार पर दुनियां में दो ही वर्ग होते है- 1. शरीफ 2. बदमाश । प्राचीन सम...
विश्व की प्रमुख समस्या और समाधान - विचारक बजरंग मुनि
सर्व व्यक्ति समूह को समाज कहते है । समाज के अंतर्गत पूरे विश्व का प्रत्येक व्यक्ति शामिल माना जाता है, चाहे वह...
भारत सरकार का जासूसी कांड
समाज में प्रत्येक व्यक्ति के दूसरे लोगों से जो आपसी संबंध होते हैं, वह प्रायः अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं । ...
राजनीति के दस नाटक का अन्तिम भाग
हम पिछले तीन सप्ताह से राजनीति के दस नाटकों की पृष्ठभूमि तथा उसके पांच तरीकों पर चर्चा कर चुके हैं । इस भाग मे...
लोकतंत्र कितनी समस्या क्या समाधान
कार्य दो प्रकार के होते हैः- 1. करने योग्य 2. न करने योग्य अर्थात् प्रतिबंधित । व्यक्ति तीन प्रकार के हो...
परम्परागत परिवार प्रणाली या आधुनिक
माँ से बच्चे का जन्म होते ही न्यूनतम दो व्यक्तियों का अघोषित संगठन बन जाता है और मनुष्य इतिहास का पहला परिवार ...
व्यक्तिगत स्वार्थ और आक्रोश की बढ़ती समस्या और समाधान
समाज सर्व व्यक्ति समूह होता है । व्यक्ति समाज की मूल इकाई होता है । व्यक्ति के कुछ प्रकृति प्रदत्त अधिकार होते...
राजनीति के दस नाटकों की पृष्ठभूमि
व्यक्ति और समाज एक दूसरे के पूरक होते हैं । व्यक्तियों को मिलाकर ही समाज बनता है और समाज ही प्रत्येक व्यक्ति क...
आत्मनिर्भर भारत
स्वतंत्रता और सहजीवन का तालमेल ही समाजशास्त्र है । स्वतंत्रता प्रत्येक व्यक्ति का प्राकृतिक अधिकार है तो सहजीव...
नशा और शराब पर प्रतिबंध
यदि बहुत व्यापक अर्थों पर विचार करें तो नशा कई प्रकार का माना जाता है। एक नशा तो वह होता है जो बाहर की वस्तुओं...
राजनीति के दस नाटक भाग 2
स्वतंत्रता के बाद भारत में कई प्रकार के लोकतंत्र आये लेकिन हर लोकतंत्र, लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही का ही स्वर...
आदर्श राज्य
दुनियां का प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी देश का नागरिक होता है । हर नागरिक की अपने देश की सरकार से कुछ मौलिक अप...
बढ़ती आत्महत्या का कारण और समाधान
आत्महत्या कभी अपराध नहीं होता। पता नहीं कब किन नासमझो ने आत्महत्या को अपराध मान लिया और आज तक हम उस नासमझी को ...
सुख का आधार खुश परिवार
किसी कार्य के परिणाम के काल्पनिक आंकलन और वास्तविक परिणाम के बीच का अन्तर ही आपके सुख या दुख का आधार होते है ।...
अनावश्यक कानून अव्यवस्था के आधार
आदर्श लोकतंत्र में लोक मालिक और तंत्र सहायक होता है। तंत्र कुछ कानून बनाता है और प्रत्येक नागरिक उस कानून को म...
समाधान
वर्तमान भारत में हम जो भी समस्याओं का विस्तार देख रहे हैं वह विश्वव्यापी है और बहुमुखी है । इसका एक सूत्री कार...
राजनीति के दस नाटक भाग तीन
पिछले लेख में हम स्पष्ट कर चुके हैं कि भारतीय राजनीति लोकतांत्रिक तरीके से समाज को गुलाम बनाने के लिये दस प्रक...
ईश्वर का अस्तित्व
कुछ निष्कर्ष है- ईश्वर है, किन्तु यदि नहीं भी हो तो एक ईश्वर मान लेना चाहिए; ईश्वर और भगवान अलग-अल...
विचार और चिंतन का फर्क
विचार और चिंतन एक दूसरे के पूरक हैं । विचार निष्कर्ष है और चिंतन निष्कर्ष तक पहुँचने का मार्ग । प्रत्येक व्यक्...
संगठन कितनी आवश्यकता कितनी मजबूरी
सामान्यतया संगठन और संस्था को एक सरीखा ही मान लिया जाता है किन्तु दोनो बिल्कुल अलग-अलग होते हैं । संगठन को अंग...
आदर्श परिवार
हम पिछले दिनों परिवार व्यवस्था की आवश्यकता तथा परंपरागत परिवार या आधुनिक परिवार व्यवस्था के गुण दोषों पर चर्चा...
व्यक्ति परिवार और समाज
व्यवस्था की पहली इकाई परिवार मानी जाती है । व्यक्ति व्यवस्था की इकाई नहीं हो सकता क्योकि व्यक्ति स्वयं से पैदा...
समस्याएं और समाधान आठवां अंक
हम पिछले दो माह से समस्याएं और समाधान विषय पर चर्चा कर रहे हैं । चार सप्ताह तक हम समस्याओं की पहचान करते रहे त...
मूर्ति पूजा की एक समीक्षा
ईश्वर है या नही यह लम्बे समय से खोज अनुसंधान और विश्वास के बीच फंसा हुआ है । अनुसंधान या खोज और तर्क के आधार प...
ज्ञान, बुद्धि, श्रम और शिक्षा
ज्ञान और शिक्षा अलग-अलग होते है। ज्ञान स्वयं का अनुभवजन्य निष्कर्ष होता है तो शिक्षा किसी अन्य द्वारा प्राप्...
मानवाधिकार
व्यक्ति के अधिकार तीन प्रकार के होते है: 1. प्राकृतिक अथवा मौलिक, 2. संवैधानिक, 3. सामाजिक । मौलिक अधिकारो क...
अहिंसा सामाजिक आवश्यकता या संस्कार
आज तक कभी सम्पूर्ण विश्व में अहिंसा इतनी अधिक संकट में नहीं रही जितनी आज है । आज तो यह प्रश्न की ही विवादास्पद...
मानवीय ऊर्जा और कृत्रिम ऊर्जा
मानवीय ऊर्जा और कृत्रिम ऊर्जा ऊर्जा के मुख्य रूप से दो स्रोत माने जाते हैं 1. जैविक 2. कृत्रिम। जैविक ऊर्जा म...
गांधी हत्या क्यो?
गांधी हत्या क्यो? आज तक मेरे लिये यह प्रश्न एक पहेली बना हुआ है कि गांधी हत्या क्यों हुई? गांधी हिन्दू थे और ...
आम आदमी पार्टी का इतिहास और वर्तमान
अरविन्द केजरीवाल ही आम आदमी पार्टी के संस्थापक रहे हैं । मेरा प्रारंभ से ही उनके प्रति झुकाव रहा है । मैं जब द...
समस्याएँ और समाधान भाग छः
समस्याएँ और समाधान भाग छः हम आप सबने मिलकर चार सप्ताह तक विश्व की प्रमुख समस्याओं पर गंभीर विचार मंथन करके इस...
भाषा आंदोलन कितना उचित कितना अनुचित
भाषा आंदोलन कितना उचित कितना अनुचित किसी व्यक्ति के मनोभाव किसी दूसरे व्यक्ति तक ठीक-ठीक उसी प्रकार से पहुंच ...
महाजनो येन गतः स पन्थाः
वर्तमान समय में पूरे विश्व में व्यक्ति किंकर्तव्य विमूढ़ दिख रहा है। समाज व्यवस्था पूरी तरह उलझी हुई है। भारत क...
मार्गदर्शन
मार्गदर्शन हम मोड़ने चले हैं, प्रचंड युग की धाराउठते है गिरते गिरते, हे साथी दो सहारा मेरी वर्तमान उम्र बयासी...
हमारे वर्तमान आदर्श गांधी या भगत सिंह
आजकल अखबारों में एक श्रृंखलाबद्ध बहस चल रही है कि आज की परिस्थिति में अधि...
क्षेत्रियता कितनी समाधान कितनी समस्या
क्षेत्रियता कितनी समाधान कितनी समस्या आदर्श व्यवस्था के लिये नीचे वाली और उपर वाली इकाईयों के बीच तालमेल आवश्...
जालसाजी धोखाधडी
किसी व्यक्ति से कुछ प्राप्त करने के उद्देश्य से उसे धोखा देकर प्राप्त करने का जो प्रयास किया जाता है उसे...
सती प्रथा
समाज में कुछ निष्कर्ष प्रचलित हैं- 1 समाज में प्रचलित गलत प्रथायें अथवा परम्पराएं धीरे धीरे समाज द्वारा स्वयं...
विकास दर का तानाबाना
प्रत्येक व्यक्ति प्रतिस्पर्धा के माध्यम से दूसरो से आगे जाना चाहता है। इस आगे निकलने को ही विकास कहा जाता है। ...
विचार अधिक महत्वपूर्ण होता है कि संस्कृति
दुनिया में कोई भी दो व्यक्ति एक समान क्षमता वाले नही होते इसलिये हर व्यक्ति की स्थिति अलग अलग होती है। जो भी ल...
समाजशास्त्र का तानाबाना
व्यक्ति की स्वतंत्रता और सहजीवन का तालमेल ही समाजशास्त्र माना जाता है। व्यक्ति एक प्राकृतिक इकाई है और समाज सं...
क्या न्यायपालिका सर्वोच्च है ।
समाज में व्यक्ति एक मूल और सम्प्रभुता सम्पन्न स्वतंत्र इकाई मानी जाती है । व्यक्ति की स्वतंत्रता पर तब तक कोई ...
विवाह पारंपरिक या स्वैच्छिक
कुछ स्वीकृत सिद्धान्त है 1 प्रत्येक महिला और पुरुष के बीच एक प्राकृतिक आकषर्ण होता है । यदि आकर्षण सहमत...
चोरी, डकैती और लूट
प्रत्येक व्यक्ति की स्वतंत्रता उसका मौलिक अधिकार होता है । ऐसी स्वतंत्रता मे कोई भी अन्य किसी भी परिस्थिति मे ...
भय का व्यापार
सारी दुनियां मे व्यापार का महत्व बढता जा रहा है । दुनियां की राजनीति मे पूंजीवाद सबसे आगे बढ रहा है। यहूदी व्य...
मुस्लिम आतंकवाद
पिछले कुछ सौ वर्षो से दुनियां की चार संस्कृतियो के बीच आगे बढने की प्रतिस्पर्धा चल रही है । 1 भारतीय 2 इ...
पर्दा प्रथा
कुछ प्राकृतिक सिद्धान्त है जो समाज द्वारा मान्य है । 1 दुनिया के कोई भी दो व्यक्ति सभी गुणो मे कभी एक समान नह...
दल बदल कानून - समस्या या समाधान
दल बदल कानून - समस्या या समाधान किसी भी प्रकार का केन्द्रीयकरण सफलता में सहायक होता है लेकिन केन्द्रीयकरण न्य...
भारतीय समाज मे हिंसा पर बढता विश्वास
कुछ सर्व स्वीकृत सिद्धान्त है । 1 पूरी दुनियां मे आदर्श सामाजिक व्यवस्था हिंसा को अंतिम शस्त्र मानती है और रा...
भारत हिन्दू राष्ट्र या धर्मनिरपेक्ष
वर्तमान समय में भारत में लगातार इस विषय पर बहस छिड़ी हुई है कि भारत हिन्दू राष्ट्र बने या धर्म निरपेक्ष रहे। सं...
हिन्दू राष्ट्र
हिन्दू राष्ट्र हिंदू राष्ट्र शब्द दो व्यवस्थाओं को मिलाकर बना हैः - 1. धर्म व्यवस्था 2. राज्य व्यवस्था। हमारी...
इस्लाम कितनी समस्या और क्या समाधान
इस्लाम कितनी समस्या और क्या समाधान मेरे विचार में पाॅच बातें बिल्कुल स्पष्ट हैं- 1. इस्लाम एक संगठन है तथा हि...
राज्य समाज का संरक्षक क्यों?
व्यक्ति और समाज एक दूसरे के पूरक भी होते हैं और नियंत्रक भी। व्यक्तियों से ही समाज बनता है और समाज से ही व्यक्...
समाज शास्त्र की एक समीक्षा
समाज शास्त्र की एक समीक्षा व्यक्ति और समाज एक दूसरे के पूरक होते है । व्यक्ति एक प्रारंभिक इकाई होता है और सम...
अमेरिका हमारा मित्र, प्रतिस्पर्धी, विरोधी या शत्रु
किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति से व्यवहार आठ स्थितियों से निर्धारित होता है । 1. शत्रु 2. विरोधी 3. आलो...
आवागमन कितनी आवश्यकता कितनी सुविधा
स्वतंत्रता और सहजीवन का तालमेल ही समाजशास्त्र है। असीम स्वतंत्रता व्यक्ति का मौलिक अधिकार है तो समाज के साथ जु...
भारत में संसदीय लोकतंत्र है या लोकतांत्रिक संसद
दुनियां में अनेक व्यवस्थाएं प्रचलित हैं। भारत में समाज सर्वोच्च की व्यवस्था है तो पश्चिम में लोकतंत्र और पूंजी...
कोरोना वायरस कितनी समस्या कितना समाधान
कोरोना वायरस कितनी समस्या कितना समाधान प्रकृति के रहस्य सुलझाने मे विज्ञान निरंतर सक्रिय है, किन्तु प्रकृति क...
बाल श्रम
दुनियां भर मे राज्य का एक ही चरित्र होता है कि वह समाज को गुलाम बनाकर रखने के लिये वर्ग विद्वेष वर्ग संघर्ष का...
उग्रवाद आतंकवाद और उसका भविष्य
कुछ सर्व स्वीकृत मान्यताए हैं । 1 उग्रवाद मुख्य रूप से विचार तक सीमित होता है और आतंकवाद क्रिया मे बदल जाता ह...
गरीबी रेखा
कुछ निश्चित निष्कर्ष प्रचलित हैं । 1 कोई भी व्यक्ति न गरीब होता है न अमीर । गरीबी और अमीरी सापेक्ष होती है । ...
डालर और रूपये की तुलना कितना वास्तविक कितना प्रचार
कुछ सर्व स्वीकृत सिद्धांत है । 1 समाज को धोखा देने के लिये चालाक लोग परिभाषाओ को ही विकृत कर देते है उससे पूर...
संगठनवाद एक बड़ी सामाजिक समस्या
संगठनवाद एक बड़ी सामाजिक समस्या संस्था और संगठन में बहुत अंतर होता है। संस्था कर्तव्य प्रधान होती है तो संगठन ...
आर्थिक समस्याओं का आर्थिक समाधान
समस्याएं कई प्रकार की होती है। उनमें भी तीन प्रकार प्रमुख माने जाते हैः- 1. सामाजिक 2. आपराधिक 3. आर्थिक। इन त...
इस्लाम कितनी समस्या कितना समाधान
इस्लाम_कितनी_समस्या_कितना_समाधान किसी भी व्यवस्थित समाज मे संगठन हमेशा अव्यवस्था फैलाते है क्योकि संगठन मजबूत...
चरित्र पतन का कारण व्यक्ति या व्यवस्था
किसी भी व्यक्ति के चरित्र निर्माण मे उसके जन्म पूर्व के संस्कारो का महत्व होता है । साथ ही पारिवारिक वातावरण औ...
जनता के लिये महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा अथवा सामाजिक ...
किसी भी देश मे जो सरकार बनती है उसके प्रमुख दो उद्देश्य होते है- 1 सामाजिक सुरक्षा 2 राष्ट्रीय सीमाओ की सुरक्ष...
कोरोना की आत्मकथा
कोरोना की आत्मकथा विश्व युद्ध कभी-कभी ही होते हैं किन्तु जब होते हैं तब विश्व के राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक सम...
हिन्दू संस्कृति या भारतीय संस्कृति
धर्म और संस्कृति कुछ मामलो मे एक-दूसरे के पूरक भी होते है और कुछ मामलो मे अलग-अलग भी । धर्म दूसरे के प्रति किय...
कर्मचारी आंदोलन कितना उचित कितना अनुचित
कोई भी शासक अपने कर्मचारियों के माध्यम से ही जनता को गुलाम बनाकर रख पाता है । लोकतंत्र मे तो यह और भी ज्यादा आ...
हमारी प्रमुख समस्या नागरिकता की पहचान अथवा गिरती हुई अर...
हमारी प्रमुख समस्या नागरिकता की पहचान अथवा गिरती हुई अर्थव्यवस्था मैं बहुत वर्षों से लिखता रहा हूॅ कि साम्यवा...
अभिमान, स्वाभिमान, निरभिमान
कुछ सर्वमान्य सिद्धांत हैं- 1 किसी इकाई का प्रमुख जितना ही अधिक भावनाप्रधान होता है, उस इकाई की असफलता के खतर...
कन्या भ्रूण हत्या कितनी समस्या और कितना समाधान
कुछ स्वयं सिद्ध सिद्धांत हैं- (1) समस्याओं के तीन प्रकार के समाधान दिखते है- (1) प्राकृतिक (2) सामाजिक (3) सं...
राहुल गांधी और नरेन्द्र मोदी की राजनैतिक समीक्षा
बचपन से ही मैं राममनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित होकर कांग्रेस विरोधी रहा । यह धारणा अब तक मेरी बनी हुई ह...
भौतिक या नैतिक उन्नति
कुछ सर्वस्वीकृत सिद्धांत हैं- 1 किसी भी व्यक्ति की भौतिक उन्नति का लाभ मुख्य रुप से व्यक्तिगत होता है और नैति...
इस्लाम और भविष्य
इस्लाम और भविष्य कुछ सर्व स्वीकृत सिद्धान्त हैं । 1 हिन्दुत्व मे मुख्य प्रवृत्ति ब्राम्हण, इस्लाम मे क्षत्रि...
बढ़ती आबादी और घटती जमीन
सारी दुनियां की आबादी पिछले कुछ सौ वर्षो से लगातार बढ़ रही है और निकट भविष्य मे रूकने की कोई संभावना नही दिखती ...
हिन्दू कोड बिल
कुछ मान्य सिद्धांत प्रचलित हैः- 1 व्यवस्था तीन के संतुलन से चलती है- 1 सामाजिक 2 संवैधानिक 3 आर्थिक । यदि संत...
समस्याओं के समाधान के असफल प्रयत्न
समस्याओं के समाधान के असफल प्रयत्न और उसके कारण राजनीति कभी आदर्श नहीं होती । राजनीति सिर्फ सिद्धांतों तक सीम...
योग और बाबा रामदेव
योग और बाबा रामदेव कुछ सिद्धान्त सर्वमान्य है 1 व्यक्ति और समाज एक दूसरे के पूरक होते हैं । योग एक ऐसा...
धर्म और संस्कृति
किसी अन्य के हित में किये जाने वाले निःस्वार्थ कार्य को धर्म कहते है । कोई व्यक्ति जब बिना सोचे बार-बार कोई का...
शिक्षा व्यवस्था
कुछ सर्व स्वीकृत सिद्धान्त हैं - 1 ज्ञान और शिक्षा बिल्कुल अलग-अलग होते है । ज्ञान घट रहा है और शिक्षा बढ रही...
भारत की आर्थिक समस्या और समाधान
कुछ सर्व स्वीकृति सिद्धान्त है 1 पूरी दुनिया तेज गति से भौतिक उन्नति कर रही है और उतनी ही तेज गति से नैतिक पत...
संगठनवाद एक बड़ी सामाजिक समस्या
संगठनवाद एक बड़ी सामाजिक समस्या संस्था और संगठन में बहुत अंतर होता है । संस्था कर्तव्य प्रधान होती है तो संगठन...
पुलिस और न्याय व्यवस्था की समीक्षा
कुछ मान्य सिद्धान्त हैंः- राज्य का एकमात्र दायित्व होता है सुरक्षा और न्याय । अन्य जनकल्याणकारी कार...
अपराध, उग्रवाद, आतंकवाद और भारत
कुछ सर्वस्वीकृत सिद्धांत हैंः- 1 समाज को अधिकतम अहिंसक तथा राज्य को संतुलित हिंसा का उपयोग करना चाहिए । राज्य...
हमारी प्रमुख पहचान
हमारी प्रमुख समस्या नागरिकता की पहचान अथवा गिरती हुई अर्थव्यवस्था मैं बहुत वर्षों से लिखता रहा हूँ कि स...
उत्तराधिकार का औचित्य और कानून
किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी व्यक्तिगत सम्पत्ति के स्वामित्व का अधिकार उत्तराधिकार माना जाता है । इस संब...
भारत में संसदीय लोकतंत्र
भारत में संसदीय लोकतंत्र समाज सर्वोच्च होता है। धर्म, राज्य, अर्थ तथा श्रम उसके सहायक होते है। भारत ने ...
नरेन्द्र मोदी का नोट बंदी आदेश
करीब 4 वर्ष पूर्व नरेंद्र मोदी ने एक गंभीर आर्थिक कदम उठाते हुए नोटबंदी लागू कर दी थी। मेरा उस समय भी मानना था...
गरीबी का समाधान क्रय शक्ति वृद्धि या सुविधा विस्तार
1 स्वाभाविक रूप से गरीब और अमीर शब्द अर्थहीन है क्योकि ये शब्द सापेक्ष होते है । कोई भी व्यक्ति अपने से उपर वा...
नई अर्थनीति
कुछ सर्वस्वीकृत सिद्धांत हैं - 1 राज्य का एक ही दायित्व होता है जानमाल की सुरक्षा । अन्य सभी कार्य राज्य के क...
क्षेत्रीयता कितनी समाधान कितनी समस्या
आदर्श व्यवस्था के लिये नीचे वाली और उपर वाली इकाईयों के बीच तालमेल आवश्यक है, यदि यह तालमेल बिगड़ जाये तो अव्यव...
न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सीमाएं
दुनियां की वर्तमान सामाजिक व्यवस्था आदर्श सामाजिक व्यवस्था से बहुत अलग है । आदर्श व्यवस्था में समाज सबसे उपर ह...
सहजीवन और सतर्कता
स्वतंत्रता प्रत्येक व्यक्ति का प्राकृतिक अधिकार होता है और सहजीवन उसकी सामाजिक मजबूरी। स्वतंत्रता सबकी समान हो...
धर्म परिवर्तन कितनी स्वतंत्रता कितना अपराध
धर्म शब्द प्राचीन समय में गुण प्रधान रहा है । धर्म स्वयं एकवचन है बहुवचन नहीं । जब भारत गुलाम हुआ तब भारत में ...
व्यक्ति, परिवार और समाज
पश्चिम के लोकतांत्रिक देशो में व्यक्ति और सरकार को मिलाकर व्यवस्था बनती है। सरकार को ही समाज मान लिया जाता है।...
मनरेगा कितना समाधान कितना धोखा
कुछ हजार वर्षों का विश्व इतिहास बताता है, कि दुनियां में बुद्धिजीवियों ने श्रम शोषण के लिए नये-नये तरीको...
राइट टू कंस्टीटयूशन
दुनियां की समाज व्यवस्था में व्यक्ति एक प्राकृतिक और प्राथमिक इकाई होता है तो समाज अमूर्त और अन्तिम। दुनियां क...
कट्टरवाद, उग्रवाद और आतंकवाद
स्वतंत्रता और सहजीवन का संतुलन प्रत्येक व्यक्ति की अनिवार्य आवश्यकता है । आमतौर पर ऐसा संतुलन बन नहीं पाता है ...
सर्वोत्तम संभव का सिद्धान्त
आदर्शवाद और व्यावहारिकता बिल्कुल भिन्न-भिन्न होते है । आदर्श का अर्थ होता है क्या करना उचित है और व्यावहारिकता...
गांधी मार्क्स और अंबेडकर
गांधी, मार्क्स और अंबेडकर की तुलना कठिन होते हुये भी बहुत प्रासंगिक है क्योंकि तीनों के लक्ष्य और कार्यप्रणाली...
आर्थिक असमानता का परिणाम और समाधान
आर्थिक असमानता का परिणाम और समाधान प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार होता है कि वह प्रतिस्पर्धा करते हुये किसी...
भीम राव अंबेडकर कितने नायक कितने खलनायक?
भीम राव अंबेडकर कितने नायक कितने खलनायक? किसी भी महत्वपूर्ण व्यक्ति की सम्पूर्ण समीक्षा के बाद या तो हम उसे न...
भारत की प्रमुख समस्याएँ और समाधान
भारत की प्रमुख समस्याएँ और समाधान भारत में कुल समस्याएँ 5 प्रकार की दिखती हैं- (1) वास्तविक (2) कृत्रिम (3) प...
भारत में नक्सलवाद
भारत मे नक्सलवाद मैं गढ़वा रोड़ में स्टेशन पर टिकट के लिये लाइन में खड़ा था। मेरी लाइन आगे नहीं बढ़ रही थी और कुछ...
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिन्दुत्व की समस्या या समाधान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिन्दुत्व की समस्या या समाधान दवा और टाॅनिक मे अलग अलग परिणाम भी होते है तथा उपयोग भी...
वर्ग संघर्ष, एक सुनियोजित षडयंत्र
वर्ग संघर्ष, एक सुनियोजित षड्यंत्र कुछ स्वयं सिद्ध यथार्थ हैं-(1) शासन दो प्रकार के होते हैंः-(1) तानाशाही (2...
मृत्युदण्ड समीक्षा
मृत्युदण्ड समीक्षा कोई भी व्यवस्था तीन इकाईयों के तालमेल से चलती है- (1) व्यक्ति (2) समाज (3) राज्य। व्यक्ति ...
भगवत गीता का ज्ञान
भगवत गीता का ज्ञान मेरी पत्नी अशिक्षित है किन्तु बचपन से ही उसकी गीता के प्रति अपार श्रद्धा थी। वह गीता का अर...
समाज में बढ़ते बलात्कार का कारण वास्तविक या कृत्रिम?
कुछ निष्कर्ष स्वयं सिद्ध हैं- (1)महिला और पुरुष कभी अलग-अलग वर्ग नहीं होते। राजनेता अपने स्वार्थ केे लिए इन्ह...
मिलावट कितना अपराध कितना अनैतिक
मिलावट कितना अपराध कितना अनैतिक दो प्रकार के काम अपराध होते है तथा अन्य सभी या तो नैतिक या अनैतिक । नैतिक को ...
महिला वर्ग या परिवार का अंग
महिला वर्ग या परिवार का अंग दुनिया में मुख्य रुप से चार संस्कृतियों के लोग रहते हैं-1 पाश्चात्य या इसाई 2 इस्...
ग्रामीण और शहरी व्यवस्था
ग्रामीण और शहरी व्यवस्था हजारों वर्षो से बुद्धिजीवियों तथा पूँजीपतियों द्वारा श्रमशोषण के अलग-अलग तरीके खोजे ...
ज्ञान यज्ञ की महत्ता और पद्धति
ज्ञान यज्ञ की महत्ता और पद्धति कुछ सर्व स्वीकृत सिद्धान्त है। 1 दुनियां के प्रत्येक व्यक्ति मे भावना और बुद्...
भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार नियंत्रण
भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार नियंत्रण आज सारा भारत भ्रष्टाचार से परेशान है। भ्रष्टाचार सबसे बडी समस्या के रुप में...
पर्सनल ला क्या, क्यों और कैसे?
आज कल पूरे भारत मे पर्सनल ला की बहुत चर्चा हो रही है । मुस्लिम पर्सनल ला के नाम पर तो पूरे देश मे एक बहस ही छि...
सामाजिक आपातकाल और वर्तमान वातावरण
सामाजिक आपातकाल और वर्तमान वातावरण जब किसी अव्यवस्था से निपटने के लिए नियुक्त इकाई पूरी तरह असफल हो जाये तथा ...
एन0 जी0 ओ0 समस्या या समाधान
कुछ सर्वस्वीकृत सिद्धांत है- (1)राज्य एक आवश्यक बुराई माना जाता है। राज्यविहीन समाज व्यवस्था युटोपिया होती है...
अर्थ पालिका, एक व्यावहारिक सुझाव
अर्थ पालिका, एक व्यावहारिक सुझाव दुनियां में साम्प्रदायिकता, धन और उच्श्रृंखलता के बीच बड़ी होड़ मची हुई है। ...
शोषण रोकने में राज्य की सक्रियता कितनी उचित कितनी अनुचि...
शोषण रोकने में राज्य की सक्रियता कितनी उचित कितनी अनुचित किसी मजबूत द्वारा किसी कमजोर की मजबूरी का लाभ उठाना ...
राष्ट्रभक्त कौन? पंडित नेहरू या नाथु राम गोडसे?
राष्ट्रभक्त कौन? पंडित नेहरू या नाथु राम गोडसे? भारत मे दो धारणाए लम्बे समय से सक्रिय रही है । 1) कटटरवादी हि...
न्यायिक सक्रियता समस्या या समाधान
न्यायिक सक्रियता समस्या या समाधान सिद्धांत रुप से न्याय तीन ...
पूंजीवाद, समाजवाद और साम्यवाद
पूंजीवाद, समाजवाद और साम्यवाद कुछ सर्वस्वीकृत सिद्धांत हैं- 1 न्याय और व्यवस्था एक दूसरे के पूरक होते है । द...
आश्रमों में व्यभिचार
आश्रमों में व्यभिचार किसी सामाजिक व्यवस्था के अन्तर्गत बने धर्म स्थानों में कुछ स्थानों को मंदिर या आश्रम कहत...
राईट टू रिकाल
राईट टू रिकाल कुछ सर्व स्वीकृत सिद्धान्त हैं । 1 व्यक्ति और समाज एक दूसरे के पूरक होते है । दोनो के अलग अलग ...
न्याय और व्यवस्था
न्याय और व्यवस्था व्यवस्था बहुत जटिल है । न्याय और व्यवस्था को अलग-अलग करना बहुत कठिन कार्य है, किन्तु हम मोट...
किसान आत्महत्या की समीक्षा
किसान आत्महत्या की समीक्षा किसी कार्य के परिणाम की कल्पना औ...
निजीकरण,राष्ट्रीयकरण,समाजीकरण
व्यक्ति और समाज एक दूसरे के पूरक होते है। दोनो मिलकर ही एक व्यवस्था बनाते है। व्यक्ति की उच्श्रृंखलता पर समाज ...
गांधी, भगतसिंह, सुभाष चंद्र बोस
गांधी, भगतसिंह, सुभाष चंद्र बोस कुछ सर्वस्वीकृत सिद्धांत हैं - 1 गुलामी कई प्रकार की होती है। धार्मिक राजनैत...
आरक्षण
आरक्षण कुछ स्वीकृत निष्कर्ष है। 1 किसी भी प्रकार का आरक्षण घातक होता है, वर्ग विद्वेष वर्ग संघर्ष का आधार हो...
मंहगाई का भूत
मंहगाई का भूत भूत और भय एक दूसरे के पूरक होते है। भूत से भय होता है और भय से भूत। भूत का अस्तित्व लगभग न के ब...
सुख और दुख
सुख और दुख किसी कार्य के संभावित परिणाम का आकलन और वास्तविक परिणाम के बीच का अंतर ही सुख और दुख होता हैं। सुख...
मौलिक अधिकार और वर्तमान भारतीय वातावरण
दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति के तीन प्रकार के अधिकार होते हैं- 1 मौलिक अधिकार 2 संवैधानिक अधिकार 3 सामाजिक अधिक...
महिला सशक्तिकरण कितनी समस्या कितना समाधान।
महिला सशक्तिकरण कितनी समस्या कितना समाधान। विचार मंथन के बाद कुछ व्यवस्थाए बनती हैं। यदि देशकाल परिस्थिति के ...
विश्व की प्रमुख समस्याएँ और समाधान
विश्व की प्रमुख समस्याएँ और समाधान यदि हम विश्व की सामाजिक स्थिति का सामाजिक आकलन करे तो भारत में भौतिक उन्नत...
अपराध और अपराध नियंत्रण
अपराध और अपराध नियंत्रण धर्म ,राष्ट्र और समाज रुपी तीन इकाईयों के संतुलन से व्यवस्था ठीक चलती है। यदि इन तीनो...
लिव इन रिलेशन और विवाह प्रणाली
लिव इन रिलेशन शिप और विवाह प्रणाली एक लडकी को प्रभावित करके कुछ मित्र उसका धर्म परिवर्तन कराते है तथा प...
दहेज़ प्रथा
दहेज प्रथा भारत 125 करोड व्यक्तियों का देश है और उसमें प्रत्येक व्यक्ति के प्राकृतिक अधिकार समान हैं। इनमें क...
जे एन यू संस्कृति और भारत
जे एन यू संस्कृति और भारत भारत में स्वतंत्रता के समय से ही दो विचारधाराएॅ एक दूसरे के विपरीत प्रतिस्पर्धा कर ...
लोक संसद
लोक संसद लोकतंत्र का अर्थ लोक नियंत्रित तंत्र होता है । तंत्र लोक का प्रबंधक होता हैं प्रतिनिधि नहीं । लोक और...
दुनिया में लोकतंत्र कितना आदर्श कितना विकृत
दुनिया में लोकतंत्र कितना आदर्ष कितना विकृत दुनिया में भारत विचारों की दृष्टि से सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जा...
सावधान! युग बदल रहा है
सावधान! युग बदल रहा है । भारतीय संस्कृति में चार युग माने गये है- सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग । चारों...
भारतीय संविधान की एक समीक्षा
भारतीय संविधान की एक समीक्षा पूरी दुनियां मे छोटी-छोटी इकाइयों से लेकर राष्ट्रीय सरकारो तक के अपने-अपने...
ग्राम संसद अभियान
ग्राम संसद अभियान दो कथानक विचारणीय हैं-1) प्रबल राक्षस किसी तरह मर ही नहीं रहा था क्योंकि कथानक के अनुसार उस...
विचार और साहित्य
विचार और साहित्य साहित्य और विचार एक दूसरे के पूरक होते हैं। एक के अभाव में दूसरे की शक्ति का प्रभाव नही होता...
परिवार व्यवस्था
परिवार व्यवस्था परिवार की मान्य परम्पराओं तथा मेरे व्यक्तिगत चिंतन के आधार पर कुछ निष्कर्ष हैं जो वर्तमान स्थ...
कृषि और पर्यावरण का संतुलन कैसे?
कृषि और पर्यावरण का संतुलन कैसे यदि हम सम्पूर्ण भारत का आकलन करें तो पूरे देश में पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर च...
श्रमशोषण और मुक्ति
श्रमशोषण और मुक्ति व्यक्ति अपने जीवनयापन के लिए तीन माध्यमों का उपयोग करता हैं- (1) श्रम (2) बुद्धि (3) धन।जि...
उपदेश शिक्षा भाषण व प्रवचन का फर्क
उपदेष, प्रवचन, भाषण और शिक्षा का फर्क दुनिया में कोई भी दो व्यक्ति पूरी तरह एक समान नहीें होते, उनमें कुछ न क...
कश्मीर समस्या और हमारा समाज
कश्मीर समस्या और हमारा समाज कुछ बातें स्वयं सिद्ध हैं-1 समाज सर्वोच्च होता है और पूरे विष्व का एक ही होता है ...
संघ परिवार, आर्य समाज और सर्वोदय परिवार की समीक्षा
संघ परिवार, आर्य समाज और सर्वोदय परिवार की समीक्षा स्वतंत्रता पूर्व स्वामी दयानंद द्वारा स्थापित आर्य समाज, श...
समाज और राज्य मे अहिंसा और सत्य
समाज और राज्य मे अहिंसा और सत्य व्यक्ति और समाज अन्तिम इकाई माने जाते है । दोनो एक दूसरे के पूरक होते ह...
समान नागरिक सहिंता
व्यक्तिगत रूप से नियंत्रित करने के बाद भी अलग-अलग प्रकार से संबंधित है। संविधान में संविधान में बदलाव नहीं किय...
लोक संसद या जन संसद
लोक संसद का प्रारूप प्रस्ताव (1) वर्तमान लोकसभा के समकक्ष एक लोकसंसद हो। लोकसंसद की सदस्य संख्या, चुनाव प्रण...
बेरोजगारी
बेरोजगारी व्यक्ति को रोजगार प्राप्त कराना राज्य का स्वैच्छिक कर्तव्य होता है, दायित्व नहीं। क्योंकि रोज...
कश्मीर समस्या
कुछ सर्व स्वीकृत सिद्धांत हैं। कश्मीर समस्या दो देशों के बीच कोई बॉर्डर विवाद नहीं है बल्कि विश्व की दो संस...
धर्म और सम्प्रदाय
कुछ स्वीकृत निष्कर्ष हैः दुनियां में जिस शब्द को अधिक प्रतिष्ठा मिलती है उस शब्द की नकल करके उसका वास्तविक ...
गांधी, गांधीवाद और सर्वोदय
कुछ वैचारिक निष्कर्ष हैः-पिछले 100-200 वर्षो में गांधी एक सर्वमान्य सामाजिक विचारक के रूप में स्थापित हुये जिन...
सन् 75 का आपातकाल और वर्तमान मोदी सरकार की एक समीक्षा
कुछ सर्व स्वीकृत सिद्धान्त है 1. शासन का संविधान तानाशाही होती है और संविधान का शासन लोकतंत्र। तानाशाही मे व्...
परिवार में महिलाओं को पारवरिक होना उचित या आधुनिक
कुछ सर्वमान्य निष्कर्ष हैंः- 1। परिवार व्यवस्था के ठीक संचालन में पुरूषों की तुलना में महिलाओं की भूमिका अधिक...
भारत की राजनीति और राहुल गांधी
कुछ स्वीकृत निष्कर्ष हैः- 1.धर्म और राजनीति में बहुत अंतर होता है। धर्म मार्ग दर्शन तक सीमित होता है और राजनी...
हमारी प्राथमिकता चरित्र निर्माण या व्यवस्था परिवर्तन
कुछ निष्कर्ष हैं। मानवीय चेतना से नियंत्रित व्यवहार को चरित्र कहते हैं। चरित्र मानवता और नैतिकता से जुडा हु...
समस्या कौन ? इस्लाम या मुसलमान
कुछ निश्चित सिद्धान्त है। 1- प्राचीन समय मे धर्म व्यक्तिगत होता था कर्तब्य के साथ जुडा होता था । वर्तमान समय ...
स्वतंत्रता और समानता की एक समीक्षा
प्रत्येक व्यक्ति की दो भूमिकाए होती है। 1. व्यक्ति के रूप मे 2. समाज के अंग के रूप मे। दोनो भूमिकाए बिल्कुल ...
"विभाजन का दोषी कौन"
कुछ सिद्धान्त है।1 प्रवृत्ति के अतिरिक्त किसी भी प्रकार का वर्ग निर्माण विभाजन का आधार होता है। वर्ग निर्माण स...
भारतीय राजनीति कितनी समाज सेवा कितना व्यवसाय
कुछ निष्कर्ष हैं। समाज के सुचारू संचालन के लिये भारत की प्राचीन वर्ण व्यवस्था पूरी दुनियां के लिये आदर्श रह...
’’कौन शरणार्थी कौन घुसपैठिया’’
कुछ मान्य धारणाएं हैः- (1) व्यक्ति और समाज मूल इकाईयां होती हैं। परिवार, गांव, जिला, प्रदेश और देश व्यवस्था क...
भारत की आदर्श अर्थनीति
कुछ स्वीकृत निष्कर्ष हैः- आर्थिक समस्याओं का सिर्फ आर्थिक समाधान होना चाहिये। किसी भी परिस्थिति में प्रशा...
डालर और रूपये की तुलना कितना वास्तविक कितना प्रचार”
कुछ सर्व स्वीकृत सिद्धान्त है। 1 समाज को धोखा देने के लिये चालाक लोग परिभाषाओ को ही विकृत कर देते है उससे पूर...
वर्ण व्यवस्था
कुछ सिद्धान्त हैः- दुनियां में व्यक्ति दो विपरीत प्रवृत्ति के होते हैं। सामाजिक और समाज विरोधी। इन प्रवृत्...
बालिग मताधिकार या सीमित मताधिकार
कुछ सर्वस्वीकृत निष्कर्ष हैं। 1. किसी भी इकाई के संचालन के लिए एक सर्वस्वीकृत संविधान होता है जिसे मानना इकाई...
दान चंदा और भीख
कुछ सिद्धान्त है। 1 बाधा रहित प्रतिस्पर्धा और सहजीवन के बीच समन्वय ही आदर्श व्यवस्था मानी जाती है। प्रति...
“पुलिस सक्रियता कितनी उचित कितनी अनुचित?”
कुछ सर्वस्वीकृत सिद्धान्त है। 1. राज्य का दायित्व प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा और न्याय प्रदान करने की गार...
जीव दया सिद्धांत
कुछ निष्कर्ष हैः- 1. कोई भी व्यक्ति व्यक्तिगत सीमा तक ही किसी अन्य पर दया कर सकता है, अमानत का उपयोग नहीं किय...
अहिंसा और हिंसा
कुछ सिद्धांत है अहिंसा की सुरक्षा के उद्देश्य से किसी भी सीमा तक हिंसा का प्रयोग किया जा सकता है। शांति व्यवस...
’’पर्यावरण प्रदूषण’’
कुछ स्वीकृत निष्कर्ष हैः- क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा पंच रचित यह अधम शरीरा। इसका आशय है कि दुनियां का प...
“समस्याएं अनेक समाधान एक”
1 अपराध और समस्याएं अलग अलग होते हैं, एक नहीं। अपराध रोकना सरकार का दायित्व होता है, समस्याओं को रोकना कर्तब्य...
’’पर्यावरण प्रदूषण’’–बजरंग मुनि
कुछ स्वीकृत निष्कर्ष हैः- क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा पंच रचित यह अधम शरीरा। इसका आशय है कि दुनियां का प्र...
पर्यावरण प्रदूषण
कुछ स्वीकृत निष्कर्ष हैः- क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा पंच रचित यह अधम शरीरा। इसका आशय है कि दुनियां का प्र...