मैं नई समाज-व्यवस्था में आपसी सहमति के आधार पर फ्री सेक्स का पक्षधर हूँ।
मैं नई समाज-व्यवस्था में आपसी सहमति के आधार पर फ्री सेक्स का पक्षधर हूँ। महिला और पुरुष आपसी सहमति से, निजी रूप से शारीरिक संबंध बना सकें—उन्हें किसी भी परिस्थिति में बलपूर्वक रोका न जा सके। न सरकार द्वारा, न किसी अन्य शक्ति द्वारा।
इस संदर्भ में सभी दमनकारी कानून समाप्त किए जाने चाहिए। विवाह और विवाह-विच्छेद पूर्णतः स्वतंत्र हों। सरकार को यह अधिकार नहीं होना चाहिए कि वह सेक्स या व्यक्तिगत संबंधों के विषय में कोई बाध्यकारी कानून बनाए।
सेक्स की स्वतंत्रता पर तब तक कोई रोक नहीं होनी चाहिए, जब तक उसमें बल प्रयोग या हिंसा शामिल न हो।
परिवार, गाँव या सामुदायिक सभाएँ केवल अनुशासनात्मक भूमिका निभा सकती हैं—वे समझा सकती हैं, मार्गदर्शन दे सकती हैं, लेकिन शासन या दमन नहीं कर सकतीं।
जब मैं अख़बार खोलता हूँ, तो रोज़ सेक्स संबंधी झगड़े, मारपीट और 2–4 हत्याओं की खबरें पढ़ने को मिलती हैं। मैं ऐसी सभी घटनाओं को गलत मानता हूँ।
मेरे अनुसार, इन घटनाओं का एक बड़ा कारण वे तथाकथित “उच्च चरित्रवान” लोग हैं, जो अपने नैतिक मानदंड पूरे समाज पर थोपना चाहते हैं।
हमें ऐसे पाखंडी नैतिकतावाद से बचना होगा। समाज को उच्च आदर्शवाद नहीं, बल्कि व्यावहारिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
इसी कारण मैं फ्री सेक्स को एक व्यावहारिक सिद्धांत मानता हूँ और चाहता हूँ कि हमारी समाज-व्यवस्था भी सेक्स के मामले में अधिक यथार्थवादी और व्यवहारिक बने।
Comments