हिन्दू संस्कृति की अलग पहचान

बजरंग मुनि जी ने कथा के दूसरे दिन धर्म और सम्प्रदाय और संस्कृति विषय पर बोलते हुए कहा कि आज न हिन्दुत्व खतरे में है न इस्लाम या इसाइयत। आज वास्तविक खतरा तो धर्म के समक्ष है क्योकि आज तो पूरी पूरी मानवता और शराफत ही खतरे में आ गई है।

                                उन्होंने हिन्दू संस्कृति की प्रशंसा करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में हिन्दू संस्कृति की अलग पहचान बनी है कि वह नुकसान सह सकती है किन्तु कर नही सकती, गुलामी सह सकती है किन्तु बना नही सकती या घृणा कर सकती है किन्तु आक्रमण नही कर सकती । हिन्दू संस्कृति द्वारा धर्म परिवर्तन के मामले में एकपक्षीय घोषणा उनकी मूर्खता तो कही जा सकती है किन्तु धूर्तता नहीं । हिन्दुओं की शराफत या कमजोरी का लाभ उठाकर अपनी संख्या बढ़ाने का प्रयत्न करने वालों को सोचना चाहिए कि यह हिन्दू एकपक्षीय घोषणा हिन्दुओं के लिये गर्व का विषय तो है किन्तु शर्म का नहीं ।

                                उन्होंने हिन्दू संस्कृति और वर्तमान भारतीय संस्कृति की तुलना करते हुए बताया कि आज भारतीय संस्कृति की दो पहचान बन गई है कि कम से कम प्रयत्न में अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करना तथा कमजोर को दबाना और मजबूत से दबना। वर्तमान भारतीय संस्कृति का जिस तरह विस्तार हो रहा है वह संपूर्ण समाज के लिये कलंक है।

                                मुनि जी ने साम्प्रदायिकता पर कटु प्रहार करते हुए कट्टरवादी हिन्दुत्व की कटु आलोचना करते हुए कहा कि यदि भारत के सभी मुसलमानों और इसाईयों को भारत से बाहर भी कर दे तो चोरी, डकैती, बलात्कार, जातीय टकराव, आर्थिक असमानता आदि कौन सी समस्या हल हो जायेगी ? यदि इससे किसी भी मौलिक समस्या का हल नही तो हम साम्प्रदायिकता के साथ साथ अन्य समस्याओं को भी जोड़कर समाधान क्यो न सोचे। उन्होंने चुनौती देकर कहा कि कुछ संगठन धर्म के नाम पर राजनैतिक दुकानदारी चलाना चाहते है जो आज की सबसे बड़ी समस्या है। जब आतंकवाद भ्रष्टाचार और गुण्डागर्दी जैसी भयंकर समस्याओं से हमारा इलाका जूझ रहा है तो हिन्दू मुसलमान की चर्चा को रोकने की जरूरत है।

                                मुनि जी ने बताया कि साम्प्रदायिक हिन्दुओं का प्रभाव समाज में बहुत कम होते हुये भी धीरे-धीरे इसलिये बढ़ रहा कि मुसलमानों की ओर से पहल नहीं हो रही। आम हिन्दू अपने पड़ोस में मुसलमान को बसाने से डरता है क्योकि उसे भय है कि मुसलमान परिवार अपने नौजवान लड़के को हिन्दू लड़की के मामले मे उस तरह निरूत्साहित नही करता जिस तरह से हिन्दू। यह विश्वास  मुसलमानों को कायम करना ही चाहिये । धर्म के नाम पर बनाये गये अलग कोड जिस पर हिन्दू विरोध करे तो मुसलमान को साथ देना चाहिये या धर्म परिवर्तन पर रोक का कोई विरोध नही करना चाहिये। दूसरी ओर राजनीतिक रोटी सेंकने के नाम पर मुसलमानों को दिन रात गाली देने की प्रवृति को भी हिन्दू लोग रोकने का प्रयास करें। दशहरे के समय दंगा भड़काने की कोशिश को जिस तरह रामानुजगंज की जनता ने एकजुट होकर विफल किया उसके लिये मुनि जी ने शान्ति प्रिय नागरिकों को धन्यवाद दिया।

                                मुनि जी ने अंत में निवेदन किया कि साम्प्रदायिकता का सबसे अच्छा समाधान है समान नागरिक संहिता । मुनि जी ने स्पष्ट किया कि समान आचार संहिता को लागू करना बहुत घातक होगा। मुनि जी ने समान आचार संहिता और समान नागरिक संहिता को अलग-अलग विस्तार से समझाते हुए समान नागरिक संहिता का समर्थन किया ।

                 समापन के पूर्व रामानुजगंज के युवा वकील सनाउल्लाह अंसारी ने स्पष्ट किया कि मुनि जी का यह कथन अत्यंत गलत है कि हजरत मुहम्मद ने इस्लाम फैलाने के लिये तलवार के उपयोग की अनुमति दी या जनसंख्या बढ़ाने के लिये मुसलमानों को चार शादियों की छूट दी। उन्होंने जोर दे कर कहा कि आतंकवादी लोग वास्तविक मुसलमान न होकर इस्लाम के लिये कलंक है। आम हिन्दुओं को ऐसे दुष्प्रचार से बचना चाहिए। सभा का संचालन कर रहे प्रमोद केशरी ने मुनि जी के विषय में कुछ घटनाओं द्वारा यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि मुनि जी एक विचारक तो है ही साथ ही अपने जीवन में अनेक ऐसे संघर्ष किये है जिनमे कई बार तो इनकी जान भी जा सकती थी। ऐसे घातक समय में भी मुनि जी पीछे न हटकर मुकाबला किये । ऐसा साहस अन्य लोगों में आम तौर पर देखने को नहीं मिलता ।