नई समाज व्यवस्था पर चर्चा।

          13 नवंबर प्रातः कालीन सत्र। नई समाज व्यवस्था पर चर्चा। वर्तमान दुनिया में और खास करके भारत में दो तरह के विचारों के बीच टकराव चल रहा है एक विचारधारा वह है जो यह सिद्ध करती है कि जो कुछ पुराना है वही ठीक है। प्राचीन समय में कुछ भी गलत नहीं होता था और उसे सही सिद्ध करने के लिए वे दिन रात एक कर देते हैं। मनुस्मृति में जो लिखा है वह बिल्कुल ठीक है इसलिए उसकी हर बात का घुमा फिरा कर समर्थन किया जाता है रामायण में जो लिखा है वह बिल्कुल ठीक है और उसके समर्थन में सारी शक्ति लगा दी जाती है। इसी तरह एक ऐसा भी ग्रुप देश में लगातार सक्रिय है जो जो कुछ पुराना है सब गलत है। यही दिन भर प्रचारित करता रहता है। उस ग्रुप का सिर्फ यही काम है की पूरी मनुस्मृति गलत है पूरी रामायण गलत है और सबको पूरी तरह बदल देना चाहिए। इनका विरोध करना चाहिए। इस प्रकार के लोग भी बड़ी संख्या में है जो दिन-रात पुराने को गलत ही सिद्ध करते रहते हैं। हम मां संस्थान के माध्यम से एक तीसरा ग्रुप बना रहे हैं जो यथार्थवाद पर आधारित होगा। हम ना परंपराओं को आंख बंद करके मानेंगे और ना परंपराओं को आंख बंद करके छोड़ेंगे। हम विचार करेंगे और विचार करने के बाद जो कुछ यथार्थ दिखेगा उसको स्वीकार करेंगे। अब परंपराओं के आंख बंद करके मानने या विरोध करने से हम परहेज करेंगे।