छांगुर बाबा मामले पर सुधारा हुआ पाठ

छांगुर बाबा मामले पर सुधारा हुआ पाठ

हाल ही में उत्तर प्रदेश में एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है, जिसका नेतृत्व जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा नामक व्यक्ति कर रहा था। यह गिरोह कथित तौर पर खाड़ी देशों से प्राप्त धन के माध्यम से भारत में अवैध धर्मांतरण की गतिविधियों को अंजाम दे रहा था। जांच में पता चला है कि इस गिरोह को अब तक लगभग 100 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग मिल चुकी है, और इस मामले में आगे की जांच जारी है।

पारंपरिक रूप से, भारत में मुस्लिम आबादी में वृद्धि के लिए कुछ कारणों को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है, जैसे उच्च जन्म दर, बहुविवाह की अनुमति, और पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, रोहिंग्या समुदाय, या अफगानिस्तान से अवैध प्रवास। कुछ का यह भी मानना था कि पिछली सरकारों ने ऐसे प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने में सहायता की। हालांकि, छांगुर बाबा के मामले ने एक नए और चौंकाने वाले पहलू को उजागर किया है, जिसमें विदेशी फंडिंग के जरिए गैर-मुस्लिम, विशेष रूप से महिलाओं, को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जा रहा था।

जांच से पता चला है कि छांगुर बाबा का गिरोह मुख्य रूप से हिंदू और गैर-मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाता था, पुरुषों की तुलना में महिलाओं का धर्मांतरण अधिक होता था। इस खुलासे ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं, खासकर हिंदू कोड बिल जैसे कानूनों के संबंध में, जिन्हें लेकर यह संदेह उठता है कि क्या कुछ राजनेताओं ने खाड़ी या अन्य मुस्लिम देशों से धन लेकर ऐसी नीतियां बनाईं, जो हिंदुओं और अन्य समुदायों पर बहुविवाह जैसे प्रतिबंध लगाती हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय को इसकी छूट दी गई।

छांगुर बाबा की गिरफ्तारी और उसके नेटवर्क के खुलासे ने यह आवश्यक बना दिया है कि पूर्ववर्ती सरकारों की नीतियों और विदेशी फंडिंग के संभावित दुरुपयोग की गहन जांच हो। इस मामले ने भारत में मुस्लिम आबादी की वृद्धि के कारणों में एक नए आयाम को जोड़ा है और इसे गंभीरता से परखने की जरूरत है।

इस घटना के बाद विपक्षी दलों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। यह मामला न केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित है, बल्कि इसकी जड़ें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैली हो सकती हैं। जांच के परिणामस्वरूप और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है, जो भारत की सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।