सांप्रदायिक भाईचारे पर होना चाहिए गम्भीर विचार: GT 442
सांप्रदायिक भाईचारे पर होना चाहिए गम्भीर विचार:
इरफान हबीब एक वामपंथी इतिहासकार माने जाते हैं उन्होंने यह बात साफ की है की वाराणसी और मथुरा में जो मस्जिद बनाई गई है वह मंदिर तोड़कर बनाई गई है लेकिन हिंदुओं को अब इस मामले को भुला देना चाहिए और उन्हें चाहिए कि वह अब नए सिरे से नई परिस्थितियों में सोचना शुरू करें जिसमें सांप्रदायिक भाईचारा हो। इरफान हबीब ने जो कहा हम उस पर गंभीरता पूर्वक विचार करने के लिए तैयार है। हमारे लिए प्रश्न मंदिर मस्जिद का नहीं है हमारे लिए प्रश्न यह है कि जिस तरह स्वतंत्रता के पहले मुसलमान ने आपसी भाईचारा को धोखा देकर पाकिस्तान ले लिया वैसा ही दोबारा नहीं करेंगे इस बात की क्या गारंटी है। यदि मुसलमान इस बात की घोषणा तैयार करने को तैयार हो कि हम भारत का कानून माने के लिए तैयार हैं, हम संविधान को मानने के लिए तैयार हैं, भविष्य में हम समान नागरिक संहिता मानने को तैयार हैं, हम हिंदुओं और मुसलमान को बराबरी का अधिकार देने के लिए तैयार हैं। तब इरफान हबीब ने जो कहा है वह बात विचारणीय हो सकती है अन्यथा ऐसा लगता है कि इरफान हबीब की सोच भी कहीं ना कहीं सांप्रदायिक है भले ही वह मीठी जहर घुली हो। जिस धर्म के बहुमत ने गांधी को धोखा दिया उस धर्म के वर्तमान लोगों को अब इस बात का विश्वास दिलाना होगा कि हम मे बदलाव आ गया है
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