फ्रांसीसी जांच आयोग के निष्कर्ष से राफेल विवाद में नया मोड़, चीन की भूमिका पर उठे सवाल

फ्रांसीसी जांच आयोग के निष्कर्ष से राफेल विवाद में नया मोड़, चीन की भूमिका पर उठे सवाल

हाल ही में फ्रांस सरकार द्वारा जारी एक गोपनीय जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है और भारत में भी राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांसीसी अधिकारियों ने राफेल विमान सौदे के खिलाफ चलाए गए वैश्विक दुष्प्रचार अभियान की जांच कराई थी। जांच में यह सामने आया कि इस दुष्प्रचार को चीन सरकार ने अपने राजनयिक नेटवर्क के माध्यम से योजनाबद्ध ढंग से अंजाम दिया।

रिपोर्ट में यह भी संकेत मिले हैं कि भारत में भी राफेल के खिलाफ चले लंबे अभियान में चीनी प्रभाव की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। इस संदर्भ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भूमिका को लेकर भी संदेह व्यक्त किया जा रहा है, क्योंकि वे लगातार इस सौदे के विरोध में मुखर रहे हैं। विगत वर्षों में उन्होंने राफेल को लेकर कई बार केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हाल ही में पाकिस्तान से जुड़ी घटनाओं के संदर्भ में भी उन्होंने राफेल विमान की उपयोगिता पर सवाल उठाए थे।

हालाँकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि राहुल गांधी द्वारा राफेल के खिलाफ किए गए प्रचार का आधार राजनीतिक था या इसके पीछे कोई विदेशी प्रभाव रहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि पूर्व में राहुल गांधी और चीन के बीच कथित वित्तीय संबंधों की चर्चाएं सार्वजनिक मंचों पर आती रही हैं, जिन पर स्वयं राहुल गांधी या कांग्रेस पार्टी की ओर से अलग-अलग स्पष्टीकरण दिए गए हैं।

इन परिस्थितियों में यह आवश्यक हो गया है कि राहुल गांधी स्वयं सामने आकर स्थिति स्पष्ट करें कि क्या राफेल के विरुद्ध उनके रुख के पीछे किसी विदेशी ताकत का प्रभाव रहा है या उन्होंने यह सब केवल राजनीतिक मतभेद के आधार पर किया। साथ ही, यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि क्या उनका चीन के राजनयिकों से कोई ऐसा संपर्क रहा है, जो भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के दृष्टिकोण से चिंता का विषय हो सकता है।

लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों को राष्ट्रीय हितों की रक्षा प्राथमिकता के आधार पर करनी चाहिए। यदि किसी भी नेता की गतिविधियाँ विदेशी हितों से प्रभावित प्रतीत होती हैं, तो यह गंभीर विषय है और उस पर निष्पक्ष व पारदर्शी जांच आवश्यक है।