लोकतंत्र का राष्ट्रमंत्र बनेगा e-Vote GT-440

लोकतंत्र का राष्ट्रमंत्र बनेगा e-Vote

इ-इंडिया, इ-पंचायत, इ-बिजनेस, इ-फिनांस, इ-कॉमर्स, इ-पेमेंट, इ-वेस्ट, इ-वीजा, इ-टिकट, तो इ-वोट क्यूं नहीं। बैलेट ज़माना गया, ईवीएम का युग आया, जिसमें बूथ भी वही है,  पोलिंग टीम भी वही है, सुरक्षा बलों की तैनाती भी ऐसी ही है, राजनीतिक दलों की तैयारी भी वैसी है, संगठन भी वैसा ही है, और वैसा ही बूथ पर बैठने वाला हर पार्टी का बूथ इंजार्च, और बूथ के भीतर एक दूसरे के वोटरों पर नज़र रखने वाले ................। सब कुछ वैसा ही है, मेरे विचार से एक बात हुई, वो है वोटों की गिनती, जो कुछ घंटों में ही पूरी हो जाती है।  

इस बीच इ-वोट एक दिलचस्प विचार है। जो आपको रोमांचित कर सकता है। बस इसमें एक डिजिटल पहचान की ज़रूरत होती है, जो कि आधार के रूप में आपके पास है। और एक स्मार्ट फोन की, वो भी शायद घर में किसी न किसी एक व्यक्ति के पास तो है ही। अब मान लिया कल को चुनाव आयोग ईसीआई यानि इलेक्शन आफ इंडिया के नाम से फोन पे जैसा एक एप बना दे, जिसे आप अपने फोन के प्ले स्टोर से डाउनलोड कर लें।

.... अब वोट देने के लिए आपको सिर्फ एक काम करना होगा, एप पर क्लिक कीजिए, अगर लोकसभा में वोट डालना है तो लोकसभा को क्लिक कीजिए, अपना आधार नंबर डालिये, इतना करते ही आपके फोन पर ओटीपी आएगा, जो अपने आप भर जाएगा। इतना सा काम होते ही आपको वो पेज खुल जाएगा जिस पर आपको वोट करना है, जिसे आप पसंद करते हैं, उस पर क्लिक करते ही आपका वोट हो जाएगा। क्योंकि आपका आधार ही आपका वोट होगा। आपका आधार जैसे आपके बैंक अकाउंट से लिंक कर दिया गया है, वैसे ही चुनाव आयोग उसे आपके वोटर आईडी से भी लिंक कर देगा।  

ये मेरी मोटी सी समझ जिसके मैने आपको ये समझाने की कोशिश की है, कि आपके पास अब वो तंत्र है, जिसके जरिए आप लोकतंत्र को अपनी मुट्ठी में रख सकते हैं। वरना भले ही ईवीएम आ गया हो, लेकिन फर्जी वोट को हम आज भी नहीं रोक पाए हैं। मसलन, मेरे बूथ पर जाने से पहले मेरा फर्जी वोट हमेशा डाला गया है।

हमें एक फुलप्रूफ़ लोकतंत्र की ओर जाना होगा, जिसमें वोट का फर्जीवाड़ा ना हो। वो सरल हो, आपकी मुट्ठी में हो, उसके लिए आपको भरी दोपहर लाइन में ना लगना पड़े। ये संभव है। सरकार इसकी पहल करे, उससे पहले हमें इसके प्रयोग करने होंगे। एक प्रयोग मेरे ध्यान में है।

आओ करके देखें...

तो चलो इस प्रयोग में हम हर परिवार को एक बूथ मान लेते हैं, और परिवार के एक प्रतिनिधि को पोलिंग एजेंट, और मबप के नाम से एक एप बना लेते हैं, इसे आपको अपने प्ले स्टोर से डाउनलोड करना होगा। फिलहाल, इसका उद्देश्य होगा, सरकार और समाज के बीच एक सेतु यानि माध्यम का काम करना। इस प्रयोग को कम से कम 20 सप्ताह के लिए किया जाना चाहिए।

करना क्या है ?

इसे करने के लिए कोर टीम का गठन किया जाए, जो राष्ट्रीय और राज्य स्तर से जुड़ी समस्याओं के समाधान को लेकर लोगों के प्रस्ताव ले। राष्ट्रीय, और हर राज्य के स्तर पर हर हफ्ते, एक समाधान को इस एप पर अपलोड किया जाए, ये सबसे पहले एक एडमिन को आएगा, जहां प्रस्ताव की ग्रामर को ठीक कर, उसे चैप जीपीटी के जरिए हर भाषा मे अनुवाद कर, सब्मिट कर दिया जाए ताकि सब लोग पढ़ सकें।

अब हर परिवार का प्रतिनिधि इस पर अपने परिवार के हर वोटर का ई-वोट दे देगा। ररिवार को ही प्रस्ताव अपलोड होगा, और अगले रविवार दोपहर 12 बजे तक उसे लेकर डिस्कशन, डिबेट और वोट देने का सिलसिला चलता रहेगा। ’’हर व्यक्ति को उसका अलर्ट मिलता रहेगा कि ’’लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए अपना वोट रविवार दोपहर 12 बजे तक दे दें।’’

 अगला रविवार आते ही ठीक 12 बजे मीडिया के सामने जनसंसद का प्रवक्ता सरकार को ये बता दे कि राष्ट्रीय और राज्यों से किस किसी प्रस्ताव पर कितने लोगों ने वोट दिया है। साथ ही अगले हफ्ते के लिए जो प्रस्ताव आए हैं, उनमें से क्यू में लगे दूसरे प्रस्ताव को अपलोड कर दिया जाए, जिस पर अलगे हफ्ते के लिए वोट देने सिलसिला शुरू हो। इन 20 हफ्तों मे होने वाला ये प्रयोग स्वंय सिद्ध कर देगा कि सरकार लोगों की बातों को कितना सुनती है, और कितना अमल में लाती है।

वोट क्यूं करेंगे लोग

... परंतु एक सवाल है,वो ये कि लोग वोट क्यूं देंगे, लोग ईसीआई एप को अपने अपने फोन में डाउनलोड भी क्यूं करेंगे? ये वाजिब सवाल हैं, परंतु इसके लिए हमें तीन काम और करने होंगे, और बस काम हो जाएगा।

पहला देश के अलग अलग क्षेत्रों के राष्ट्रीय स्तर पर पहचान प्राप्त करीब 500 लोगों में से 100 लोगों को इस पहल के लिए सहमत करना। दूसरा पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक शासन के हर स्तर पर जनसंसद का गठन करना। मसलन, हर लोकसभा क्षेत्र से एक एक सिविल एमपी, विधानसभा क्षेत्र से सिविल एमएलए, ऐसे ही सिविल मेयर, सिविल पार्षद, ऐसे ही गांव तक।  

तीसरा, इसी के साथ सच्चे लोकतंत्र को स्थापित करने के लिए लोकतंत्र सेनानी संघ या कोई भी नाम देते हुए एक संगठन जो लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करें। बूथ में सबका वोट पड़े, हर परिवार प्रतिनिधि से संपर्क रखते हुए ये सुनिश्चित करें।

मै इस लेख के जरिए लोकतंत्र की काया पलट का संकेत देने की कोशिश कर रहा हूं, साथ ही ये अपील भी कर रहा हूं कि देश की व्यवस्थाओं को नई पीढ़ी को सौंप दें क्योंकि तकनीक के दौर में पैदा हुई है, ये नया युग है, इस युग में संचार और तकनीक जैसे हथियार भी उसके हैं, बस उसके मार्गदर्शन की ज़रूरत है कि वो इन हथियारों का उपयोग कैसे करे कि वो भविष्य के भारत का भाग्यविधाता बन जाए।

रामवीर श्रेष्ठ

लेखक संसद टीवी में वरिष्ठ पत्रकार हैं और दलविहीन

लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए लिखते रहते हैं।