साम्यवाद के हाथों खेल रहे राहुल गाँधी : GT-448
साम्यवाद के हाथों खेल रहे राहुल गाँधी :
धीरे-धीरे यह बात बिल्कुल साफ होती जा रही है, कि राहुल गांधी हिंदुत्व से भी बहुत दूर चले गए हैं, और राष्ट्रवाद से भी। वर्तमान समय में राहुल गांधी पूरी ताकत लगाकर, हिंदू विचारधारा या हमारी हिंदू संस्कृति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, साथ-साथ वह भारत की एकता और अखंडता पर भी खतरा पैदा कर रहे हैं। जिस तरह राहुल गांधी मुस्लिम सांप्रदायिकता के पक्ष में डटकर खड़े हैं, साथ ही जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों का पहला अधिकार बता रहे हैं, और आदिवासी ही भारत के मूल निवासी हैं बाकी सब बाहरी माने जाने चाहिए, प्रचारित कर रहे है यह बहुत ही घातक और हानिकारक विचार है। राहुल गांधी साम्यवाद की उस असफल अवधारणा को फिर से जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि देश की सारी संपत्ति पर सब लोगों का समान बंटवारा होना चाहिए। मेरे विचार से चीन और रूस भी धीरे-धीरे इन विचारों से किनारा कर चुके हैं, क्योंकि यह बात सिद्ध हो चुकी है, कि इस प्रकार की अवधारणा उत्पादन को निरुत्साहित करती है और वर्ग-संघर्ष पैदा करती है। राहुल गांधी का हर वाक्य वर्ग-संघर्ष को बढ़ाने वाला है। साफ दिखता है कि राहुल गांधी साम्यवाद के हाथों खेल रहे हैं। राहुल गांधी ने कल एक बात और कही है, कि हम संविधान में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं होने देंगे, भले ही मेरी जान चली जाए। मैं राहुल गांधी को यह संदेश देना चाहता हूँ, कि यदि संविधान को रूढ़ बना दिया गया, समय पर संविधान में संशोधन रोक दिए गए, तो हम राहुल गांधी के जान की परवाह नहीं करेंगे, हम तो संविधान संशोधन करने की मांग करते रहेंगे। यदि आवश्यकता होगी, तो जनमत संग्रह के माध्यम से संविधान के मूल स्वरूप में भी बदलाव किया जा सकता है, भले ही उसे रोकने के लिए कोई अपनी जान दे दे।
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