चुनावी राजनीती GT 441

चुनावी राजनीति

 

10-साम्प्रायिकता भ्रश्टाचार और गुड़ागर्दी के विरोधी कहां जायें -

मैं नीतीश कुमार का प्रशंसक रहा हूं वर्तमान समय में विपक्ष में नीतीश कुमार के समान गंभीर और योग्य और कोई नेता नहीं है। नीतीश कुमार जो भी निर्णय लेते हैं वह सोच समझ कर लेते हैं जो बोलते हैं उसका कोई अर्थ होता है बचकानी बातें नहीं करते नीतीश भारतीय जनता पार्टी छोड़कर जब कांग्रेस और लालू परिवार के साथ गए उसके बाद भी मैं हमेशा उनकी प्रशंसा की आलोचना नहीं भले ही उनका निर्णय गलत था। नीतीश कुमार दो बातों पर बहुत विरोधी हैं पहले सांप्रदायिकता और दूसरा भ्रष्टाचार इन दोनों को नीतीश कुमार स्वीकार नहीं कर सकते। नीतीश के सामने यह संकट है कि वह हिंदू मुस्लिम के बीच किसी प्रकार का विभाजन पसंद नहीं करते इसलिए भारतीय जनता पार्टी से उनके संबंध यदा कदा खराब होते रहते हैं। दूसरी ओर नीतीश कुमार भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं करते इसलिए उनके संबंध लालू परिवार से भी समय समय पर खराब होते रहते हैं। नीतीश कुमार गुंडागर्दी और दादागिरी को भी पसंद नहीं करते इसलिए लालू परिवार से उनका संबंध लंबे समय तक चल ही नहीं सकता क्योंकि भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी लालू परिवार के नस-नस में है जबकि भारतीय जनता पार्टी के स्वभाव में सांप्रदायिकता तो दिखती है गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार नहीं दिखता इसलिए अब तक के राजनीतिक जीवन में नीतीश कुमार का दो तिहाई कार्यकाल भारतीय जनता पार्टी के साथ रहा और एक तिहाई लालू परिवार के साथ। भविष्य में भी मेरे विचार से इस दुविधा का कोई अंत होता नहीं दिखता। अच्छा तो यह होगा कि विपक्ष पूरी तरह समाप्त हो जाए और नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक अच्छे विपक्ष के रूप में नीतीश कुमार सामने आवे जो गुण दोष पर सरकार का विरोध करें। सरकार को प्रतिपक्ष माने विरोधी पक्ष नहीं। नीतीश कुमार जहां भी रहेंगे मैं उनकी प्रशंसा करूंगा।

 

11-सोच समझ कर उठाया गया बिहार में कदम -

मैं एक बहुत ही विश्वसनीय लेखक त्रिदीव रमन को हमेशा पढ़ता हूं सप्ताह में एक दिन मिर्च मसाला कोलम के अंतर्गत वे राष्ट्रीय राजनीति की चर्चा करते हैं। उनकी जो चर्चा होती है बहुत तथ्य होते हैं अनेक वर्षों से पढ़ता रहा हूं और आज भी मानता हूं कि उनका लिखा हुआ बहुत सार गर्भित और महत्वपूर्ण होता है। त्रिदेव रमन जी ने 31 दिसंबर को मिर्च मसाला में यह बात साफ कर दी थी कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच बात पक्की हो गई है अब नीतीश कुमार जल्दी ही वर्तमान बिहार सरकार से पिंड छुड़ा लेंगे। उस लेख में यहां तक लिखा गया था कि 22 जनवरी को नीतीश कुमार इस संबंध में साफ-साफ घोषणा कर सकते हैं। मुझे उनका लिखा हुआ अच्छी तरह याद है और मैं यह कह सकता हूं कि नीतीश कुमार अकस्मात भारतीय जनता पार्टी से जाकर नहीं जुड़े हैं, सच्चाई यह है कि कांग्रेस पार्टी दांव पेच कर रही थी जो नीतीश कुमार को पसंद नहीं था।

 

12-नीतीष कुमार एक सच्चे समाजवादी राजनेता -

नीतीश कुमार में कल फिर से भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना ली इस संबंध में नीतीश कुमार पर कई आरोप लगे। लेकिन मैं जहां तक जानता हूं कि नीतीश कुमार ने कभी भी दल बदल नहीं किया कभी सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं किया यह जरूर है की परिस्थितियों के अनुसार उन्होंने अपने सिद्धांतों के अनुसार चयन किया। स्पष्ट है कि नीतीश कुमार आर्य समाज से भी जुड़े रहे हैं और समाजवादी विचारों के भी रहे हैं नीतीश कुमार ने बचपन में ही अपने विवाह के समय अपने परिवार से विद्रोह कर दिया था और दहेज के विरोध में परिवार को मजबूर कर दिया था क्योंकि नीतीश कुमार आर्य समाज और समाजवादी विचारों के मजबूत पुरोधा रहे हैं। नीतीश कुमार कर्पूरी ठाकुर के साथ रह चुके हैं। नीतीश कुमार हमेशा धर्मनिरपेक्ष रहे कभी उन्होंने सांप्रदायिकता से समझौता नहीं किया परिस्थिति अनुसार भारत में दो सांप्रदायिक दलों के बीच जो धुरुवीकरण हो रहा है उसमें किसी न किसी के साथ जुड़कर सरकार बनाना उनकी मजबूरी है। यदि नीतीश कुमार ज्यादा खड़े हो जाएंगे तो बिहार में बार-बार चुनाव ही होते रहेंगे कोई सरकार नहीं बन सकेगी। इसलिए नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता के बीच अपना समाजवादी दृष्टिकोण साथ में रखकर दोनों के साथ स्थिति जन्य समझौते किये। मेरे विचार से नीतीश कुमार ने जो किया वह ठीक किया क्योंकि एकला चलो राजनीति के लिए कोई अच्छी धारा नहीं है नीतीश कुमार ने देश की इच्छाओं को ठीक से समझा अब भविष्य में नीतीश कुमार का कदम बहुत सोचा समझा हुआ है। देश में विपक्ष समाप्त हो रहा है ऐसे समय में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक मजबूत विपक्ष की जरूरत है। वर्तमान विपक्षी दलों को विपक्ष की भूमिका निभाने नहीं आता और वे नीतीश को मानने के लिए तैयार नहीं है इसलिए अब सत्ता दल में ही रहकर नीतीश विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। यह बात बिल्कुल साफ है कि वह भारतीय जनता पार्टी के साथ एडजस्ट नहीं कर पाएंगे और विपक्ष की भूमिका में रहेंगे लेकिन यह देश के हित में है कि वर्तमान सांप्रदायिक भ्रष्ट विपक्ष समाप्त होकर नीतीश के नेतृत्व में भ्रष्टाचार मुक्त सांप्रदायिकता मुक्त विपक्ष तैयार हो मैं नीतीश को शुभकामनाएं देता हूं

 

आचार्य पंकज जी ने मुझे फोन करके बताया कि नीतीश कुमार धर्म निरपेक्ष नहीं है बल्कि सर्व धर्म समभाव वाले हैं वे शांतिपूर्ण हिंदुत्व और इस्लाम को एक समान स्तर पर देखते हैं। पूजा पद्धति चाहे अलग-अलग भी हो लेकिन यदि प्रवृत्ति से मनुष्य अच्छा है सही है तो उसे धार्मिक माना जाना चाहिए। मैं आचार्य जी की सलाह से सहमत हूं वास्तव में यह शब्द सर्वधर्म समभाव होना चाहिए था जिसे मैं प्रचलित भाषा में धर्मनिरपेक्ष लिख दिया