राहुल गाँधी गम्भीर नहीं GT-439
राहुल गाँधी गम्भीर नहीं
समाचार मिला है कि अदानी के शेयर बहुत तेजी से बढ़ गए हैं। हिडन वर्ग की रिपोर्ट आने के बाद जो एकाएक मंदी आई थी वह खत्म हो गई। उधर जांच कमेटी ने भी ऐसी संभावना है कि हिडन वर्ग की रिपोर्ट को असत्य माना है। इन सब को देखते हुए ऐसा लगता है कि राहुल गांधी बहुत कष्ट अनुभव कर रहे हैं और वह अभी विदेश जाने की सोच रहे हैं क्योंकि भारत की जनता उन पर विश्वास नहीं कर रही है। इसी तरह इन्होंने राफेल के नाम पर भी वरगलाया था। इसी तरह इन्होंने अदानी के नाम पर वर्गलाया है कुछ भी झूठ को उठाकर लगातार उसे रिपीट करके सत्य सिद्ध करने का प्रयास घातक होता है और वह विदेश जाने के लिए मजबूर कर देता है। इसलिए मेरा यह सुझाव है कि उद्योगपतियों से धन के लिए उन्हें लगातार गाली देना अच्छी आदत नहीं है।
मेरे कुछ मित्रों ने मुझे कहा कि यह पोस्ट हल्की है इसमें गंभीरता नहीं है और मैं एक गंभीर विचारक हूं मुझे इस प्रकार के मामलों से दूर रहना चाहिए। मैं अपने मित्रों के कथन से सहमत हूं। मैं भी महसूस करता हूं कि यह पोस्ट गंभीर नहीं है लेकिन मैं यह भी महसूस करता हूं कि भारत में जिस प्रकार उद्योगों के खिलाफ वातावरण बनाया जा रहा है। अडानी अंबानी कहते-कहते गुजराती शब्द का भी प्रयोग करने लगे हैं वह देश के लिए उचित नहीं है। उद्योगपतियों को गाली देने से गरीबों को खुश तो किया जा सकता है लेकिन देश का बहुत बड़ा नुकसान होगा क्योंकि हम दुनिया से कंपटीशन कर रहे हैं और उद्योग हमारे देश में ऐसे कंपटीशन में सहायक है। इसलिए किसी भी प्रकार से उद्योगपतियों को झूठी गालियां देकर उन्हें निरूत्साहित करना देश हित के विरुद्ध है। मैं अनुभव करता हूं कि राहुल गांधी इतने गंभीर नहीं है कि वह इतनी गहराई से सोच सके। इसलिए मैंने इस गंभीर बात को इतने हल्के में लिखने का प्रयास किया है। सच बात यह है कि मैं हमेशा से वर्ग संघर्ष का विरोधी हूं पहले भी था आज भी हूं। मेरे एक मित्र जीवन भर अमीरी रेखा के पक्ष में आंदोलन चलाते रहे और मैं जीवन भर उनका विरोध करता रहा क्योंकि मैं इस प्रकार के वर्ग संघर्ष पर विश्वास नहीं करता। इसलिए मेरा आपसे निवेदन है कि आप मेरी पोस्ट को नए परिप्रेक्ष्य में पढ़ने की कृपा करें।
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