खतरा कम होते ही इन दोनों के बीच में टकराव जरूरी हो जाता है।

आज तक पूरी दुनिया में कहीं ऐसा संभव हुआ ही नहीं है  कि दो तानाशाह कभी भी एक साथ रह सके। आप उन दोनों को मिलाकर चाहे किसी देश का शासक बना दो या पूरी दुनिया का शासक बना दे या आप अगर उन्हें चाहे भगवान भी बना दे तो कभी दो तो दोनो बिना लड़े रह ही नहीं सकते। जब तक उनके सामने किसी तीसरे तानाशाह का अस्तित्व रहेगा तब तक यह दोनों एक साथ रह सकते हैं किंतु तीसरे का  खतरा कम होते ही इन दोनों के बीच में टकराव जरूरी हो जाता है। अगर आप वर्तमान दुनिया को देखें तो ट्रंप और मस्क दोनों ने मिलकर एक बार सत्ता पर कब्जा कर लिया लेकिन 4 महीना बीतते बीतते ही जब वहां किसी तीसरे पक्ष का खतरा खत्म हुआ तो दोनों का आपस में तुरंत टकराव शुरू हो गया जो लगभग 1 महीने में ही बढ़ता बढ़ता यहां तक आ गया है। जब दुनिया में भगवान और खुदा एक नहीं रह सके तो आप इस मनुष्य के बारे में क्या सोच सकते हैं। भारत में भी राजनीति में वर्तमान समय में दो तानाशाह काबिज है। नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत इन दोनों की प्रवृत्ति तानाशाह की है । दोनों ने मिलकर वर्तमान राजनीति में तीसरे तानाशाह को कमजोर किया है अभी दोनों परिस्थिति जन्य तरीके से एक जुट है। लेकिन ज्यों ही भारतीय राजनीति में विपक्ष का खतरा खत्म हो जाएगा त्यों ही यह दोनों 6 महीने भी एक साथ नहीं रह सकते। क्योंकि सिद्धांत कभी झूठ नहीं होता यह जरूर है कि तीसरा तानाशाह साम्यवाद भारत में अभी भी नेहरू परिवार के रूप में इन दोनों को एक रहने के लिए मजबूर कर रहा है। जब तक तीसरे तानाशाह का खतरा है तब तक इन दोनों की एकता स्वाभाविक है। यदि भारत में आप नरेंद्र मोदी की सरकार को कमजोर करना चाहते हैं उसका सिर्फ एक ही समाधान है कि राहुल गांधी को कुछ महीनो के लिए चुप रहना पड़ेगा अन्यथा राहुल गांधी की मूर्खता से मोदी को कमजोर होने का मार्ग कांग्रेस पार्टी के समापन के बाद ही शुरू होगा।