नक्सली और कोंग्रेस दोनों का टूट रहा मनोबल: GT 446
नक्सली और कोंग्रेस दोनों का टूट रहा मनोबल:
१ मैं छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर में रहता हूं, बस्तर रायपुर से नजदीक ही है जहाँ कांग्रेस शासन काल में बस्तर के एक बड़े क्षेत्र को नक्सलियों ने स्वतंत्र क्षेत्र घोषित कर दिया था, वहां के पूर्ववर्ती गांव में उन लोगों ने अपनी राजधानी भी बना ली थी वहां न सेना प्रवेश कर सकती थी ना पुलिस और ना कोई अन्य सरकारी अफसर । हम तीन महीने पहले तक यह कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि बस्तर क्षेत्र से कभी नक्सलवाद नियंत्रित भी हो सकेगा । तीन महीने पहले छत्तीसगढ़ की सरकार बदल गई, अमित शाह ने यह डेडलाइन तय कर दी कि तीन वर्ष में भारत से नक्सलवाद खत्म हो जाएगा लेकिन पिछले एक महीने में जिस तरह छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद का सफाया हो रहा है । कल ही जिस तरह बड़े-बड़े नक्सलवादी समेत 29 नक्सलवादी मारे गए हैं, उससे यह अंदाज लगता है कि अब 3 वर्ष नहीं एक वर्ष में ही नक्सलवाद भारत से विदा हो जाएगा । जहां छत्तीसगढ़ के आम लोगों ने इस नक्सलवादी संहार पर राहत की सांस ली है, वहीं कांग्रेस प्रमुख भूपेश बघेल ने अलग रोना रोया है । भूपेश बघेल ने यह बात कही है कि बस्तर में जो लोग मारे जा रहे हैं यह सब फर्जी मुठभेड़ है, मरने वाले आदिवासी हैं जिन्हें नक्सली कहकर मारा जा रहा है। मुठभेड़ फर्जी है या असली है यह तो मैं नहीं कह सकता लेकिन मैं यह कह सकता हूं कि नक्सलियों का मनोबल टूट रहा है और साथ में कांग्रेस पार्टी का भी मनोबल टूट रहा है क्योंकि जो भी लोग मारे जा रहे हैं उन नक्सलियों का उस क्षेत्र में बहुत प्रभाव था और उसके प्रभाव से सारे वोट कांग्रेस पार्टी को जाते थे । इसका अर्थ यह हुआ कि नक्सलियों के मरने से अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस की कमर टूट रही है इसीलिए भूपेश बघेल अपने घटते हुए वोटों के कारण इतने चिंतित हैं । मैं छत्तीसगढ़ की सरकार तथा केंद्र सरकार को इस बात के लिए बधाई देता हूं कि उन्होंने नक्सलवादियों की राजधानी पूर्ववर्ती गांव को भी नक्सलियों से मुक्त कर लिया है और नक्सलियों को अपनी राजधानी छोड़कर जंगलों में छिपकर रहने के लिए मजबूर कर दिया है ।
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