विविध विषयों पर मुनि जी का लेख (भाग ३) GT 441
25-शांति से चली संसद में चर्चा-
आज दिन भर में टीवी पर संसद की कार्यवाही देखता रहा (मुझे) बहुत आश्चर्य हुआ कि बहुत शांति के साथ संसद में चर्चाएं चलती रही। दोनों पक्ष गंभीरता से चर्चा करते रहे मुझे तो इस प्रकार कभी-कभी देखने को मिलता है अन्यथा सांसद तो मछली बाजार बन जाती है। अभी यह पूरा का पूरा सत्र इसी प्रकार शांति से चल रहा है। यह नहीं कहा जा सकता कि इस शांति का आधार क्या है। या तो राहुल गांधी की गैर हाजिरी शांति का आधार हो सकती है अन्यथा राहुल गांधी यदि संसद में रहते अवश्य ही हो हल्ला करके संसद के काम को बाधित करते हैं। संजय सिंह भी अभी जेल में है वह तो संसद में हमेशा बेंच पर चढ़कर के और चिल्लाना ही एकमात्र कार्य मानते थे वह भी एक कारण हो सकता है। एक प्रमुख कारण यह हो सकता है की संसद का यह अंतिम सत्र है और इसके बाद चुनाव होने वाले हैं इसलिए सांसद गंभीर हो गए हो एक कारण यह भी हो सकता है कि संसद के पिछले सत्र में सरकार ने बल प्रयोग किया था डंडे मार-मार कर इनको बाहर निकाला था उस चोट की सांसदों को याद आ रही हो और वे अब दोबारा वैसी गलती ना करना चाहते हो। कारण जो भी हो लेकिन संसद आराम से चलनी चाहिए जिस तरह वर्तमान समय में चल रही है।
26-आरक्षण बढ़ाने के बजाय श्रम की मांग बढ़ाना चाहिए-
राहुल गांधी ने कहा है कि यदि कांग्रेस सत्ता में आएगी तो आरक्षण बढ़ाया जाएगा जातियों को भी मान्यता दी जाएगी। नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत में जब आरक्षण लागू हुआ तो पंडित नेहरू इस आरक्षण के पक्ष में नहीं थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण की प्रणाली में सुधार होना चाहिए जो लोग आरक्षण का लाभ ले चुके हैं उन जातियों या व्यक्तियों को आरक्षण से बाहर कर देना चाहिए। मैं लंबे समय से कह रहा हूं कि आरक्षण श्रम शोषण का सिद्धांत है आरक्षण को पूरी तरह समाप्त करके श्रम की मांग और श्रम के मूल्य को बढ़ना चाहिए। मेरे विचार से मैं अब भी अपनी बात पर कायम हूं यदि राहुल गांधी आरक्षण को और बढ़ाना चाहते हैं तो मैं राहुल गांधी को इस बात की चुनौती देता हूं कि उन्हें सत्ता में नहीं आने दिया जाएगा हम इसके लिए पूरा जन जागरण करेंगे कि ऐसे किसी भी समूह को सत्ता में नहीं आने देना है जो आरक्षण के पक्ष में हो। वर्तमान परिस्थितियों में आरक्षण को संशोधित करना सामाजिक दृष्टि से तो उचित है किंतु राजनीतिक धरातल पर घातक होगा इसलिए वर्तमान परिस्थितियों में दो बातें की जा सकती हैं पहले सुप्रीम कोर्ट की सलाह के अनुसार आरक्षण प्राप्त कर चुके लोगों को आरक्षण से बाहर कर दिया जाए और दूसरी बात यह है कि श्रम की मांग और श्रम का मूल्य इतना बढ़ने दिया जाए कि आरक्षण की आवश्यकता ही समाप्त हो जाए। मैं फिर कहना चाहता हूं कि मैं उसे पार्टी का भरपूर विरोध करूंगा जो आरक्षण का समर्थन करती हैं। हम कल से आरक्षण पर चर्चा कर रहे हैं। मैं किसी भी प्रकार के आरक्षण के विरुद्ध लेकिन मैं वर्तमान सरकार को आरक्षण समाप्त करने की कोई सलाह नहीं दे रहा हूं क्योंकि आरक्षण समाप्त करने से वर्तमान समय में तीन कठिनाइयां पैदा हो जाएगी पहली है। राजनीतिक दूसरी है सामाजिक और तीसरी है आर्थिक। यदि वर्तमान सरकार आरक्षण को अभी समाप्त कर देती है तो सरकार के सामने राजनीतिक संकट पैदा हो जाएगा क्योंकि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह जातिवाद सांप्रदायिकता को उभार कर राजनीतिक लाभ लेना चाहती है जब तक विपक्ष जातिवाद सांप्रदायिकता के विरुद्ध खड़ा नहीं होता तब तक सरकार आरक्षण समाप्त नहीं कर सकेगी। इसलिए अभी कुछ वर्षों तक कांग्रेस के समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। सामाजिक मामला यह है कि आरक्षण के माध्यम से जो भी 5-10ः अवर्ण आगे बढ़ चुके हैं उनका आगे बढ़ना भी रुक जाएगा इससे सामाजिक भेदभाव बढ़ने का खतरा बना रहेगा आर्थिक समस्या यह है कि आरक्षण का लाभ सिर्फ बुद्धिजीवी वर्ग उठा रहे हैं श्रमजीवियों को आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। बल्कि कुछ ना कुछ नुकसान ही हो रहा है ऐसे समय में यदि आरक्षण को समाप्त भी कर दिया जाए तब भी श्रमजीवियों को किसी प्रकार का कोई लाभ नहीं होगा। इसके समाधान के लिए हमें श्रम की मांग बढ़ाना होगा और श्रम का मूल्य बढ़ जाएगा तो आरक्षण को तत्काल हम समाप्त कर सकते हैं क्योंकि गरीब आदमी और अमीर के बीच कितनी आर्थिक विषमता बनी रहे और आरक्षण समाप्त कर दिया जाए यह उचित नहीं प्रतीत होता है इसलिए मेरा यह सुझाव है कि वर्तमान सरकार को अभी आरक्षण के मामले में कांग्रेस के समापन की श्रम मूल्य वृद्धि की प्रतीक्षा करनी चाहिए। तब तक क्रीमी लेयर का मामला लागू किया जा सकता है अर्थात आरक्षण का लाभ ले चुके परिवारों को आरक्षण से बाहर कर दिया जाए यही एकमात्र समाधान दिख रहा है।
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