चुनावी राजनीति GT-438
चुनाव:
23.राजनीति पूरी तरह भ्रष्ट हो गईः
परसों देश के दो प्रमुख नेता छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के आसपास ही आम सभा किये । नरेंद्र मोदी ने अपनी सभा में यह स्पष्ट किया कि विपक्षी दलों के अनेक बड़े-बड़े नेता भ्रष्टाचार में लिप्त है। इंडिया गठबंधन के नेता भ्रष्टाचार को ही आधार बनाकर राजनीति में सक्रिय दिख रहे हैं। उन्होंने कई मुख्यमंत्री के लिए भी इसी भाषा का उपयोग किया नरेंद्र मोदी के अनुसार विपक्षी दलों के अधिकांश नेता भ्रष्ट हैं। विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेता राहुल गांधी ने भी यही बात कही कि सत्तारूढ़ दल के नेता जो बड़े-बड़े पदों पर स्थापित हैं। वे सब करीब करीब भ्रष्ट हैं सत्तारूढ़ दल में भारी भ्रष्टाचार है।
मुझे ऐसा लगता है कि दोनों ही नेता सच बोल रहे हैं राजनीति में तो आमतौर पर भ्रष्टाचार दिख ही रहा है लेकिन मेरा व्यक्तिगत अनुभव यह है कि राहुल गांधी ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध सबसे पहले लड़ाई शुरू की थी जब मनमोहन सिंह का दिया हुआ ड्राफ्ट उन्होंने फाड़ दिया था और नरेंद्र मोदी ने सत्ता आने के बाद भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान छेड़ा है दोनों ही नेता इस मामले में ईमानदार हैं लेकिन राजनीति तो पूरी तरह भ्रष्ट हो गई है और इस पर कैसे रोक लगेगी यह एक गंभीर विषय है।
24.राष्ट्रीयकरण एक सामाजिक धोखाः
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में भारत सरकार ने बहुत ही बड़ा स्टील प्लांट लगाकर राष्ट्र को समर्पित किया है। मैं विचार करने लगा कि इसमें राष्ट्र को समर्पित किसने किया और किसको किया। वर्तमान भारत में राजनीतिज्ञ तथा सरकारी कर्मचारी पूरी तरह सरकारीकरण के सहारे अपना सरकारी व्यापार बढ़ा रहे हैं। कल भी सरकार ने इसी तरह एक सरकारी गिरोह को नगरनार स्टील प्लांट समर्पित कर दिया। अब तक सरकारीकरण के नाम पर हमारे भ्रष्ट राजनैतिक और सरकारी व्यवस्था जिस तरह की दुकानदारी करती रही है यह बस्तर का प्लांट भी उसी दुकानदारी को आगे बढ़ाएगी। होना तो यह चाहिए था कि यह प्लांट बनाकर खुले बाजार में स्वतंत्रता पूर्वक चलने दिया जाता। लेकिन राजनेता और अफसर अपने स्वार्थ के कारण सरकारीकरण को ही राष्ट्रीयकरण कह देते हैं। इस सार्वजनिक लूट में शामिल होने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार अलग से जोर लगा रही है और केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ को न देकर अपने पास रखना चाहती है क्योंकि दोनों का उद्देश्य भ्रष्टाचार से अधिक कुछ भी नहीं है। मैं नरेंद्र मोदी सरकार से निवेदन करता हूँ कि यदि आप भ्रष्टाचार के खिलाफ है तो यह नगरनार प्लांट खुली प्रतिस्पर्धा के लिए छोड़ देना चाहिए। यदि छत्तीसगढ़ या केंद्र सरकार भी अपनी स्वतंत्र प्रतिस्पर्धा में शामिल होना चाहे तो उसे भी प्रतियोगिता के आधार पर छूट होनी चाहिए, लेकिन स्वतंत्र प्रतिस्पर्धा का गला घोंट कर राष्ट्रीयकरण करना समाज के साथ धोखा है। सब प्रकार की आर्थिक और राजनैतिक शक्ति सरकार के हाथों से निकलकर समाज में आना ही सब समस्याओं का अच्छा समाधान है। सरकार को किसी भी प्रकार के व्यापार से बचना चाहिए।
25.छत्तीसगढ़ सरकार की भाषा क्या हो?
छत्तीसगढ़ सरकार एक नया प्रयोग कर रही है। केंद्र सरकार जहां हिंदी को अधिक प्रोत्साहन देना चाहती है वहीं छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ी भाषा को प्रोत्साहन देना चाहते हैं और राहुल गांधी अंग्रेजी को प्रोत्साहन देना चाहते हैं। इस तरह छत्तीसगढ़ में हिंदी को किनारे करके छत्तीसगढ़ी या अंग्रेजी को आगे बढ़ाने की योजना चल रही है। राहुल गांधी ने घोषणा भी की है कि हमारे देश का रहने वाला हर बच्चा अंग्रेजी भाषा में बोलने के लिए सक्षम बना दिया जाएगा। दूसरी ओर भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के हर व्यक्ति को छत्तीसगढ़ी सीखने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं लेकिन मैं अंग्रेजी भी जानता हूं छत्तीसगढ़ी भी जानता हूं और हिंदी भी जानता हूं। मैंने तीनों की तुलना की है और तीनों की तुलना में मैंने हिंदी को अधिक उपयुक्त पाया है। मैं समझता हूं कि हमारे छत्तीसगढ़ सरकार को अंग्रेजी और छत्तीसगढ़ी के प्रोत्साहन पर फिर से विचार करना चाहिए। मैं अब भी मानता हूं कि हिंदी अन्य सभी भाषाओं से अच्छी है। राहुल गांधी द्वारा भी हिंदी की तुलना में अंग्रेजी को अधिक प्रोत्साहित करना अच्छी बात नहीं है।
26.छत्तीसगढ़ सरकार की शिक्षानीतिः
छत्तीसगढ़ सरकार नए-नए प्रयोग करने के लिए हमेशा सक्रिय मानी जाती है। कोरोना कल में भी इन्होने भारतीय टीकों को छत्तीसगढ़ में प्रतिबंधित कर दिया था। वर्तमान समय में भी छत्तीसगढ़ सरकार ने कुछ प्राइवेट स्कूलों को एक आदेश दिया है कि प्राइवेट स्कूल अपने बच्चों को छुट्टी के दिन अतिरिक्त क्लास नहीं ले सकेंगे। विदित हो कि छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों की अपेक्षा प्राइवेट स्कूलों का स्तर अच्छा है और बहुत सस्ता है जहां सरकारी स्कूल में एक बच्चे को पढ़ने के लिए सरकार को कई हजार रुपया खर्च करना पड़ता है वहीं प्राइवेट स्कूल में हजार रुपए से कम में भी बच्चा बहुत अच्छी शिक्षा पा जाता ह,ै क्योंकि प्राइवेट स्कूल के शिक्षक मेहनत भी अधिक करते हैं और छुट्टियों के दिनों में भी पढ़ाते हैं। सरकार ने सरकारी स्कूलों में अपना स्तर ठीक करने की अपेक्षा प्राइवेट स्कूलों के स्तर को खराब करने की योजना बनाई और उन्हें आदेश दिया कि वह छुट्टी के समय में स्कूल नहीं लगा सकेंगे या बच्चों को प्राइवेट नहीं पढ़ा सकेंगे। इस अजीबोगरीब आदेश की छत्तीसगढ़ में व्यापक प्रतिक्रिया हो रही है। मैं भी इस प्रकार के किसी आदेश के विरुद्ध हूं । प्राइवेट स्कूलों में अगर छुट्टियों के दिन भी बच्चों को पढ़ाया जाता है तो वह तो अच्छी बात है इसमें गलत क्या है।
27.नरेंद्र मोदी की चुनावी राजनीतिः
पिछले दो-तीन महीने से नरेंद्र मोदी पूरी तरह चुनावी मूड में आ गए हैं। इसके पहले नरेंद्र मोदी ने मुफ्त बांटने का विरोध किया था। पहले नरेंद्र मोदी ने जातिवाद का भी विरोध किया था, लेकिन वर्तमान समय में नरेंद्र मोदी जातिवाद का भी समर्थन कर रहे हैं और मुफ्त रेवाड़ी का भी समर्थन कर रहे हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी ने यह मान लिया है कि चुनाव जीतने के लिए धार्मिक विभाजन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई यह दो मुद्दे ही कारगर हो सकते हैं। जातिवाद और मुफ्त बांटने को अगर टकराव का भाग बनाया जाएगा तो इसमें भाजपा को नुकसान हो सकता है क्योंकि पुराने जमाने में कांग्रेस पार्टी अपने को धर्मनिरपेक्ष करती थी और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण करती थी। वर्तमान समय में कांग्रेस पार्टी अपने को मुसलमान का हिमायती कहती है लेकिन कांग्रेस पार्टी पुराने कार्यकाल में जातिवाद का विरोध करती थी और वर्तमान समय में जातिवाद का खुलकर समर्थन कर रही है, तो नरेंद्र मोदी के सामने इस बात का एक संकट आ गया है कि वह जातिवाद का विरोध करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी ना मारे । इसी तरह नरेंद्र मोदी कांग्रेस पार्टी की देखा देखी मुफ्त बांटने का भी समर्थन करने लगे हैं। यह राजनीतिक परिस्थितियां है जिन परिस्थितियों में नरेंद्र मोदी अपनी राजनीति बदल रहे हैं। स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी मुस्लिम तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार पर चोट को ही चुनावी मुद्दा बनाएंगे जो विपक्ष के लिए परेशानी का कारण बनेगा।
मेरे एक मित्र ने अभी फोन करके पूछा कि क्या चुनाव के लिए नीतियां बदलना नरेंद्र मोदी के लिए उचित है क्या चुनाव के लिए इस तरह अपनी नीतियों में बदलाव करना चाहिए। मेरे विचार में वर्तमान समय चुनाव का है चुनाव महत्वपूर्ण है और चुनाव के समय अल्पकाल के लिए नीतियों में बदलाव करना किसी भी दृष्टि से गलत नहीं है। यदि हम अपने सिद्धांतों के कारण चुनाव हार जाते हैं तो यह पूरी तरह गलत होगा क्योंकि विपक्ष पूरी तरह सिद्धांत विहीन तरीके से चुनाव लड़ रहा है। विपक्ष सांप्रदायिकता को भी बढ़ावा दे रहा है, जातिवाद को भी बढ़ावा दे रहा है, लोगों को लोभ लालच में डाल रहा है कि लोग सुविधा के नाम पर वोट दे दें। इन परिस्थितियों में सिद्धांतों के साथ अल्पकाल के लिए समझौता करना कुछ भी गलत नहीं है। इसलिए मैं यह मानता हूं कि नरेंद्र मोदी जो कर रहे हैं वह परिस्थितिवश ठीक कर रहे हैं चुनाव पूरे हो जाने के बाद सिद्धांतों को लागू करने में कोई कठिनाई नहीं आएगी।
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