क्या हो 2024 के सरकार का एजेंडा : GT-448
क्या हो 2024 के सरकार का एजेंडा :
यह बात बिल्कुल साफ हो गई है कि भारत के वर्तमान राजनीतिक वातावरण में मैं नेहरू परिवार तथा अन्य राजनेताओं की तुलना में नरेंद्र मोदी मोहन भागवत की जोड़ी को बहुत अधिक अच्छा मान रहा हूँ, लेकिन मेरे मन में यह भी धारणा बनी हुई है कि अगले चुनाव में पूर्ण बहुमत यदि मिल जाता है तो मैं नरेंद्र मोदी से क्या-क्या उम्मीद कर सकता हूँ।
मेरे विचार में पहली बात है कि नरेंद्र मोदी को पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करनी चाहिए। जाति, धर्म, लिंग, क्षेत्र, भाषा, उम्र, गरीब-अमीर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव ना करते हुए प्रत्येक नागरिक को एक इकाई मानकर कानून बनना चाहिए।
दूसरी बात मैं यह चाहता हूँ कि परिवार और गांव को संवैधानिक मान्यता दे देनी चाहिए।
तीसरी बात कि परिवार को एक संयुक्त परिवार बनाना चाहिए, सम्मिलित परिवार की धारणा समाप्त कर देनी चाहिए। परिवार में व्यक्तिगत संपत्ति का अधिकार पूरी तरह समाप्त करके संयुक्त संपत्ति का अधिकार होना चाहिए।
चौथी बात कि सरकार को अनावश्यक कानून हटा देने चाहिए, विभाग बहुत कम कर देना चाहिए, सुरक्षा, न्याय, वित्त, विदेश, यही विभाग सरकार के पास रहे बाकी सारा काम समाज पर छोड़ देना चाहिए।
पांचवां काम यह है, कि संविधान को तंत्र से स्वतंत्र कर देना चाहिए, तंत्र को संविधान संशोधन में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और संविधान संशोधन या परिवर्तन के लिए एक संविधान सभा बनाई जानी चाहिए, जो आम जनता के द्वारा निर्मित हो, उसमें तंत्र का कोई हस्तक्षेप ना हो।
इस तरह यदि नरेंद्र मोदी पांच मूलभूत बदलाव करते हैं तो मैं यह समझूंगा कि नरेंद्र मोदी हमारी उम्मीदों के अनुसार कार्य कर रहे हैं। मैं फिर कहना चाहता हूँ कि नरेंद्र मोदी के अतिरिक्त वर्तमान समय में हमें इस दिशा में किसी अन्य से कुछ भी करने की उम्मीद नहीं है और इसलिए मैं नरेंद्र मोदी से ही इस प्रकार की उम्मीद कर रहा हूँ।
यह बात स्पष्ट है कि हम वर्तमान चुनाव में नरेंद्र मोदी का आंख बंद करके समर्थन कर रहे हैं, क्योंकि हमने उनसे पांच विषयों पर काम करने की उम्मीद की है। समान नागरिक संहिता लागू होने से यह लाभ होगा कि, भारत में हिंदू मुस्लिम की समस्या समाप्त हो जाएगी, जातिवादी टकराव भी खत्म हो जाएगा, आरक्षण और हिंदू कोड बिल भी नहीं रहेगा, अल्पसंख्यक तुष्टिकरण या महिला सशक्तिकरण का नारा भी अपने आप खत्म हो जाएगा, क्षेत्रीयता का विवाद भी नहीं रहेगा, और भाषा का विवाद भी नहीं होगा। भारत में ना कोई अल्पसंख्यक होगा, ना बहुसंख्यक होगा। प्रत्येक व्यक्ति के अधिकार समान होंगे। इसी तरह परिवार और गांव को यदि संवैधानिक अधिकार दे दिए गए तो 90% समस्याएं परिवार और गांव मिलकर संभाल लेंगे। सरकार को अपना वजन कम करने में मदद मिलेगी। इससे राज्य सुरक्षा और न्याय पर विशेष ध्यान दे सकेगा। पुलिस और न्यायालय पर भी बहुत कम वजन रह जाएगा। तीसरी बात जो मैंने कही है कि, परिवारों को सम्मिलित परिवार की जगह संयुक्त परिवार बना दिया जाए, इससे संपत्ति परिवार की संयुक्त हो जाएगी, व्यक्तिगत नहीं रहेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि, व्यक्ति के स्वभाव में जो हिंसा और स्वार्थ बढ़ रहा है, वह घटेगा क्योंकि संपत्ति के व्यक्तिगत अधिकार के कारण स्वार्थ बढ़ रहा है, और निर्णय की स्वतंत्रता के कारण व्यक्ति के अंदर आक्रोश बढ़ रहा है, इस समस्या का इससे समाधान हो जाएगा। चौथी बात यह है कि सरकार अनावश्यक कानून को हटा दे। मेरे विचार से भारत में 90% तक अनावश्यक कानून बने हुए हैं, इन कानून को हटाकर परिवार और गांव को दे दिया जाए, तो वह सब कुछ संभाल लेंगे। पांचवी बात यह कही है कि, संविधान संशोधन का अधिकार एक अलग संविधान सभा को दे दिया जाए, इससे कानून बनाने वाली इकाई अलग हो जाएगी और कानून का पालन करने वाली अलग। न्यायपालिका और विधायिका के बीच जो टकराव चल रहा है कि ऊपर कौन है, वह टकराव भी खत्म हो जाएगा, ‘संविधान सभा’ संविधान संशोधन के सारे अधिकार अपने पास ले लेगी। संविधान में यदि कोई व्याख्या करनी है वह व्याख्या भी संविधान सभा करेगी, न्यायालय नहीं। इस तरह देश में संविधान के अंतर्गत न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका कार्य करने के लिए बाध्य हो जाएंगे, मनमानी नहीं कर सकेंगे। इस तरह हम लोगों ने जो पांच मांगे रखी हैं, यह हमारे देश की ही नहीं बल्कि दुनिया की समस्याओं के समाधान की शुरुआत कर सकते हैं। अब भारत दुनिया की नकल करने के लिए नहीं बल्कि दुनिया का मार्गदर्शन करने के दिशा में आगे बढ़ना चाहता है, और इसकी शुरुआत नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम कर सकते हैं।
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