राहुल गाँधी वर्सेज हिंदुत्व होता जा रहा चुनाव : GT 448

राहुल गाँधी वर्सेज हिंदुत्व होता जा रहा चुनाव :

                         प्रियंका गांधी ने यह स्पष्ट किया है कि दो चरणों के बाद, भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह मुसलमानों के विरुद्ध हिंदू एकत्रीकरण में लग गई है, मुझे भी यह बात सच दिखती है। वैसे तो शुरू से ही चुनाव हिंदू मुसलमान पर हो रहा है, लेकिन पिछले एक सप्ताह से कुछ ज्यादा ही इस दिशा में केंद्रित हो गया है। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे पर बिल्कुल सामने आ गई है। एक तरफ राहुल गांधी अपनी पूरी ताकत तीन दिशाओं में लगा रहे हैं, एक है मुस्लिम तुष्टिकरण, दूसरा है हिंदुओं को जातियों में विभाजित कर उनको कमजोर करना, और तीसरा है संपत्ति का बंटवारा करना, अमीरों की संपत्ति लेकर गरीबों को देना और वह भी जातीय आधार पर व्यक्तिगत आधार पर नहीं। भारतीय जनता पार्टी ने भी इन तीनों मुद्दों पर कमर कस ली है। भारतीय जनता पार्टी चाहती है कि हिंदू एकजुट रहें, हिंदुओं को भी मुसलमान के समान ही बराबरी का अधिकार मिले। आर्थिक स्थिति में सबको योग्यता अनुसार धन संग्रह की छूट हो, संपत्ति के मामले में किसी भी रूप में सरकार का कोई हस्तक्षेप ना हो। इस तरह चुनावी संघर्ष बिल्कुल दो विचारधाराओं पर केंद्रित हो गया है। मैं गांधी को मानने वाला हूँ, मैं सांप्रदायिकता जातिवाद और साम्यवाद का विरोधी हूँ। मैं यह मानता हूँ कि वर्तमान भारत में हिंदुओं को एकजुट होकर ही बराबरी का अधिकार मिल सकता है, अन्यथा नहीं। संपत्ति का विभाजन भी योग्यता अनुसार ही होना चाहिए और जातिवाद को धीरे-धीरे कमजोर या समाप्त करने की जरूरत है। इसलिए मैं भारत की जनता और विशेष कर हिंदुओं से यह निवेदन करना चाहता हूँ कि वह कांग्रेस पार्टी की योजना को असफल कर दें।

                राजनीतिक आधार पर भारत और हिंदुत्व शब्द एक-दूसरे के साथ जुड़ गए हैं। यह हिंदुओं का सौभाग्य है कि उन्हें अब भारत में नरेंद्र मोदी सरीखा एक नेतृत्व मिला है, जो सन्यासी है, समझदार है, ईमानदार है। अब तक भारत को इस प्रकार के सद्गुणों वाला नेता नहीं मिलने के कारण ही ऐसा लगने लगा था, कि हिंदुत्व लगातार खतरे की ओर जा रहा है। जैसे-जैसे अब भारत में हिंदुत्व संगठित हो रहा है, नरेंद्र मोदी के साथ जुड़ रहा है, वैसे-वैसे सारी दुनिया चिंतित हो रही है। सारी दुनिया इस बात से परेशान है, कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हिंदुत्व मजबूत होता जा रहा है। इस चुनौती का सामना करने के लिए दुनिया की ताकतों ने अलग-अलग तरीके से हिंदुत्व पर आक्रमण की योजना बनाई है। उन्होंने एक तरफ राहुल गांधी के नेतृत्व में मुसलमान को जोड़कर हिंदुत्व पर लगातार आक्रमण करने की योजना बनाई, तो दूसरी ओर जातिवाद को मजबूत करके भी हिंदुओं की एकता को छिन्न-भिन्न करने की लगातार कोशिश की है। एक अलग प्रयत्न के अंतर्गत साम्यवादी देश राहुल गांधी के ही नेतृत्व में वामपंथी विचारों को आगे बढ़ाने का भी सपना देख रहे हैं। इस तरह साम्प्रदायिक ताकतें भी राहुल गांधी में अपना भविष्य देख रही हैं और कम्युनिस्ट ताकतें भी। भारत के हिंदुत्व पर यह बात निर्भर करती है, कि वह इस्लामी साम्यवादी और पश्चिमी जगत की एकजुटता की नीति से किस प्रकार मुकाबला कर पाती हैं। यह स्पष्ट है कि वर्तमान चुनाव इस राजनीतिक शक्ति परीक्षण की शुरुआत है। यदि वर्तमान चुनाव में हिंदू एकजुट होकर मुकाबला कर लेता है, तो भविष्य का रास्ता बहुत आसान हो जाएगा। यह भारत के हिंदुत्व के लिए महत्वपूर्ण समय है कि हम सांप्रदायिकता, जातीय टकराव और साम्यवाद का एकजुट होकर मुकाबला कर सकें।