आर्य समाज वैचारिकी पर कार्य करे - बजरंग मुनि GT-440
आर्य समाज वैचारिकी पर कार्य करे - बजरंग मुनि।
कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ आर्य महासम्मेलन में मुझे मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था और वहां मुझे सम्मानित किया गया। मेरे सम्मान में वहां कई बातें कही गई बताया गया कि मैं एक समाज विज्ञानी हूँ। मैं क्या हूँ यह मैं तो नहीं बता सकता क्योंकि मेरा आकलन तो समाज ही करेगा, अभी भी कर रहा है और भविष्य में भी करेगा। लेकिन मैं इतना अवश्य कह सकता हूँ कि मैं अपने पूरे जीवन में जो कुछ भी किया वह पूरी ईमानदारी से किया और पूरे प्रयत्न से किया। कार्यक्रम में मुझे भी बोलने का अवसर दिया गया। मैंने उन्हें बताया कि मैं अपने को एक समाज विज्ञानी के रूप में तो सफल मानता हूँ लेकिन समाज सुधारक के रूप में असफल मानता हूँ क्योंकि मेरी बातों का समाज पर कोई व्यापक प्रभाव अभी तक दिखाई नहीं दिया। यह बातें विचारणीय जरूर हैं क्योंकि मैं यह सोच रहा था कि वर्तमान दुनिया में जो असत्य धारणाएं सत्य के समान स्थापित हो गई हैं, उन धारणाओं को हम भारत से चुनौती दें। लेकिन मैं उन धारणाओं को चुनौती देने में अभी तक अपने को सफल नहीं मानता हूँ। फिर भी मैं यह मानता हूँ इन धारणाओं को चुनौती देने की शुरुआत हो गई है और भविष्य में हमारे मित्र इस धारणा को आगे बढ़ाएंगे। यह एक बहुत बड़ी आवश्यकता है कि असत्य धारणाएं समाज में लगातार बढ़ती रहे, वे सत्य के समान स्थापित हो जाए और हम विचारक लोग उन्हें चुनौती न दे सके। मैं इस बात से संतुष्ट हूँ कि भारत इन असत्य धारणाओं को चुनौती देने की शुरुआत कर रहा है। असत्य को सत्य के समान स्थापित हो जाना यह हम विचारकों के लिए एक कलंक है और हमें प्राथमिकता के आधार पर इस चुनौती को स्वीकार करना चाहिए।
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