देश को संविधान सभा की जरूरत: GT 447
देश को संविधान सभा की जरूरत:
हम व्यवस्था परिवर्तन में संविधान की भूमिका पर चर्चा कर रहे हैं। हम स्वतंत्रता के बाद ही लगातार संविधान पर समीक्षा करते रहे हैं। हमारा यह मानना रहा है कि संविधान को तंत्र से ऊपर होना चाहिए। तंत्र को ही संविधान संशोधन के असीम और अंतिम अधिकार न हो। दूसरी ओर स्वतंत्रता के बाद संविधान समिति को भंग करके उसे ही लोकसभा मान लिया गया। आज भी कांग्रेस पार्टी कहती है कि भारतीय जनता पार्टी संविधान में मनमाना बदलाव करेगी। भारतीय जनता पार्टी कहती है कि हम ऐसा कोई मौलिक बदलाव नहीं करेंगे। न्यायालय कहता है कि संसद संविधान के मौलिक स्वरूप में बदलाव नहीं कर सकती लेकिन मौलिक स्वरूप क्या है, यह कभी न्यायालय ने नहीं बताया। हम लोगों का व्यवस्था परिवर्तन अभियान कहता है कि संविधान में एक बदलाव अवश्य होना चाहिए कि “संविधान तंत्र से ऊपर हो” और लोक के द्वारा बनाई गई एक संविधान सभा की संविधान संशोधन में महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए। मेरे विचार से यह एक मौलिक बदलाव है और यह होना ही चाहिए। यदि भारतीय जनता पार्टी इस प्रकार का कोई बदलाव करती है तो हम उस बदलाव का समर्थन करेंगे। यदि कांग्रेस पार्टी इस प्रकार संविधान को संसद से मुक्त करती है तो भी हम ऐसे संविधान में बदलाव का पूरा-पूरा समर्थन करेंगे। संविधान को तंत्र से ऊपर होना चाहिए और तंत्र को संविधान में बदलाव का असीम और अंतिम अधिकार नहीं होना चाहिए। मैं अपने सभी मित्रों से निवेदन करता हूँ कि हम मिलजुल कर वर्तमान चुनाव में राजनीतिक दलों पर इस बात का दबाव बनावें कि वे संविधान में ऐसा संशोधन करें जिससे एक अलग संविधान सभा बनने का मार्ग प्रशस्त हो और संविधान सभा बनाने में आम जनता की भूमिका हो, तंत्र की नहीं।
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