इंडी गठबंधन और १० साल GT - 445
उद्दंड मुसलमान, नक्सलवाद पिछले 10 वर्षों में कमजोर हुए और सुरक्षा बल मजबूत:
नेहरू परिवार के भक्त बार-बार यह प्रश्न करते हैं कि नरेंद्र मोदी ने 10 वर्षों में क्या बदलाव किया। मुझे दो-तीन बदलाव तो बिल्कुल साफ दिख रहे हैं सबसे पहले बदलाव यह हुआ की पांच सात वर्ष पहले तक यह बात साफ दिख रही थी कि कश्मीर नियंत्रण से बाहर हो जाएगा पत्थर चल रहे थे सुरक्षा बल अपने को असमर्थ पा रहे थे दुनिया की नज़रें लगी हुई थी पाकिस्तान प्रतीक्षा कर रहा था उस कश्मीर को नरेंद्र मोदी के प्रयत्नों से ही बचाया जा सका है यह बात बिल्कुल साफ दिख रही है कि अब कश्मीर हमेशा के लिए भारत का अंग बन गया है हो सकता है भविष्य में कश्मीर का बाकी हिस्सा भी भारत में शामिल हो जाए यह कोई साधारण उपलब्धि नहीं है । दूसरी उपलब्धि भी हम देख रहे हैं कि गुजरात और उत्तर प्रदेश का मुसलमान बहुत ही शराफत की दिशा में बढ़ रहा है । जो मुसलमान का पूरे देश में अभी भी मनोबल है उसमें गुजरात और उत्तर प्रदेश में कमी आई है । अब धीरे-धीरे यह मुसलमान समानता का व्यवहार करने के लिए सोच रहे हैं यह कोई साधारण उपलब्धि नहीं है ऐसा भविष्य में दिख रहा है कि देश के अन्य भागों में भी मुसलमान के व्यवहार में बदलाव दिखेगा। अब एक तीसरी समस्या पर और विचार करते हैं । लगातार यह बात साफ दिख रही थी कि नक्सलवाद अनियंत्रित है चीन इस बात की उम्मीद कर रहा था कि नक्सलवाद के नाम पर भारत में तानाशाही आ सकती है। नक्सलवादी तो धीरे-धीरे भारत का नक्शा भी बनाने लग गए थे वह यह सपना देखने लगे थे कि अगले 10 15 वर्षों में पूरा भारत उनके नियंत्रण में होगा लेकिन अब धीरे-धीरे नक्सलवाद नियंत्रण में आ रहा है आज ही नक्सलवादियों के गढ़ बस्तर में 12 नक्सलवादी मारे गए हैं पिछले एक महीने से जब से छत्तीसगढ़ सरकार में बदलाव आया है तब से बड़ी संख्या में नक्सलवादी मारे जा रहे हैं सरकार ने यह घोषणा भी कर दी है कि अगले दो-तीन वर्षों में हम भारत को नक्सलवाद से मुक्त कर देंगे ऐसे लक्षण भी दिखने लगे हैं। मेरे विचार से यह तीन ऐसी समस्याएं हैं जो पिछली सरकार में पैदा हुई थी और वर्तमान सरकार इन्हें कंट्रोल कर रही है।
इंडी गठबंधन को अपराधियों से साठगांठ बंद करनी चाहिए :
स्वतंत्रता के तत्काल बाद ही राजनीति और अपराध के बीच तालमेल होना शुरू हो गया था और वही तालमेल बढ़ते-बढ़ते यहां तक आ गया कि पूरी राजनीति ही अपराधियों के हाथों में चलने लगी। नेहरू परिवार के नेतृत्व में जिस तरह अपराधियों के साथ तालमेल किया गया वह अब धीरे-धीरे नियंत्रित किया जा रहा है। एक ऐसे ही अपराधी बड़े अधिकारी संजीव भट्ट को भी कल ही न्यायालय से 20 वर्ष की सजा सुनाई गई। दुनिया जानती है कि गुजरात में भाजपा के लोगों को परेशान करने के लिए कांग्रेस पार्टी संजीव भट्ट सरीखे अपराधियों की मदद लेती थी। मुख्तार अंसारी की मृत्यु पर जिस तरह इंडिया गठबंधन के नेता आंसू बहा रहे हैं उससे यह बात प्रमाणित हो जाती है कि अपराधियों की मदद के बिना इंडिया गठबंधन एक दिन भी जीवित नहीं रह सकेगा। जो मुख्तार अंसारी या अतीक अहमद सारी दुनिया में घोषित और सर्वमान्य अपराधी हैं उनकी मृत्यु पर पारिवारिक सदस्य के मृत्यु सरीखा दुखी होना भी विपक्षी दलों के लिए गंभीर चिंतन का विषय है। सभी विपक्षी दलों को यह बात तय करनी होगी कि वे अपराधी राजनीतिक गठजोड़ की पुरानी कांग्रेसी लाइन पर ही आगे बढ़ना चाहते हैं अथवा अब नई अपराध नियंत्रण की राजनीति की दिशा को ठीक समझ रहे हैं। अब यह संभव नहीं दिखता कि अपराध और राजनीति का गठजोड़ कभी भारत में सफलतापूर्वक आगे बढ़ पाएगा। जब मुख्तार, अतीक, संजीव भट्ट की तूती बोलती थी तब भी आप शराफत की राजनीति को समाप्त नहीं कर पाए। अब तो ऐसे-ऐसे माफिया या तो जेल में बंद है या खुदा को प्यारे हो गए हैं। ऐसी स्थिति में आंसू बहाने की अपेक्षा अपनी राजनैतिक दिशा बदल लेना विपक्ष के लिए ज्यादा उचित होगा। मैं फिर से इंडिया गठबंधन से निवेदन करता हूं कि वे अब अपराध की राजनीति को बंद कर दें और नए सिरे से नई राजनैतिक स्थिति में तालमेल बैठाने का प्रयास करें।
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