पांच प्रकार के बदलाव की तैयारी करे मोदी सरकार: GT - 443
पांच प्रकार के बदलाव की तैयारी करे मोदी सरकार:
शेखर गुप्ता भारत के प्रसिद्ध पत्रकार हैं। मैं तो उन्हें बहुत गंभीर विचारक मानता रहा हूं। उन्होंने आज एक लेख प्रकाशित किया है जो दैनिक भास्कर में छपा है। उन्होंने 3 महीने के बाद की राजनैतिक पृष्टभूमि का आकलन करते हुए यह सुझाव दिया है कि वर्तमान राजनैतिक स्थिति मनमोहन सिंह के कार्यकाल से बिल्कुल अलग है। मनमोहन सिंह एक अल्पमत सरकार चला रहे थे जिसमें देश विरोधी साम्यवादियों को भी साथ रखना उनकी मजबूरी थी। उस समय विपक्ष भी मजबूत स्थिति में था। मनमोहन सिंह सब प्रकार के सुधार चाहते थे लेकिन नरेगा और सूचना अधिकार के अतिरिक्त वे कुछ नहीं कर सके। नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत से भी कई गुना अधिक मजबूत है और विपक्ष भी करीब-करीब समाप्त ही है। ऐसी परिस्थितियों में नरेंद्र मोदी को हिम्मत करके पांच प्रकार के बदलाव को प्राथमिकता देनी चाहिए। (1) जातीय आरक्षण पर कोई निर्णायक घोषणा आवश्यक है। किसी भी रूप में जातिवाद का समर्थन नहीं करना चाहिए। (2) कृषि सुधार के संबंध में नई परिस्थितियों में सरकार को फिर से हिम्मत करनी चाहिए। डैच् समस्या का समाधान नहीं बल्कि एक समस्या है। खुले बाजार को एक समाधान के रूप में स्वीकार करना चाहिए। सरकार को घोषणा करनी चाहिए कि सरकार किसी भी रूप में बाजार में हस्तक्षेप नहीं करेगी। (3) गरीबों की सहायता के नाम पर देश में जो वातावरण बन रहा है वह बहुत गलत है। नरेगा और निःशुल्क भोजन को छोड़कर बाकी सब योजनाओं को या तो बंद कर देना चाहिए या तो एकमुस्त नगद सहायता दे दें। (4) upsc की परीक्षाओं को महत्वपूर्ण बनाए रखने से युवा पीढ़ी गलत दिशा में जा रही है। सरकारी नौकरी के प्रति आकर्षण लगातार बढ़ रहा है जो बहुत घातक है। इस संबंध में भी निर्णायक बदलाव करने की जरूरत है। (5) दल बदल कानून ने किसी प्रकार का कोई अच्छा प्रभाव न छोड़कर राजनीति में सत्ता के केंद्रीयकरण को बढ़ावा दिया है। दल बदल कानून को समाप्त कर देना चाहिए।
मैं भी पिछले पचास वर्षों से इसी प्रकार की बातें लिखता रहा हूं। शेखर गुप्ता जी भी इसी नतीजे पर पहुंचे हैं और नरेंद्र मोदी भी इसी नतीजे पर पहुंचेंगे। मुझे पूरा-पूरा विश्वास है कि देश और समाज के हित में शेखर गुप्ता जी की पांचो बातें व्यवस्था परिवर्तन से जुड़ी है। मैं इन सभी मामलों में शेखर गुप्ता जी का समर्थन करता हूं और सरकार से अधिक उम्मीद करता हूं कि भारत की जनता तो दो महीने बाद सरकार को सब कुछ दे देगी और सरकार को ही पहल करनी है। देखना है कि वह इन मामलों में कितना आगे तक बढ़ पाती है।
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