इसीलिए मैं बार-बार कहता हूं की कभी-भी किसी किताब या किसी मृत महापुरुष के कथन को अंतिम सत्य मत मानो।

मैंने अपने जीवन में बार-बार लिखा है और बोला भी है कि जो लोग किसी मृत महापुरुष के विचारों को अंतिम सत्य मान लेते हैं वह मूर्ख होते हैं। वर्तमान समय में आप देख लीजिए कि किसी भी मुसलमान के पास कोई दिमाग होता ही नहीं है उनको तो सारा दिमाग कम्युनिस्ट देते हैं। यदि आपको ऐसा कोई व्यक्ति दिखता हो तो आप मुझे बताइएगा। आप सोचिए कि हमास ने इसराइल के 1200 लोगों को मार कर कौन सी बुद्धिमानी का कार्य किया क्या सोच कर मारा। भारत में जो अभी ब्लास्ट किया गया क्या सोचकर किया गया। आपने अंधाधुंध कुछ लोगों को मार दिया क्या बिगड़ गया उससे भारत का क्या बिगड़ गया उससे हिंदुओं का। आपने इजराइल से लड़कर 70000 मुसलमान को मरवा दिया अपना क्षेत्र नुकसान कर दिया और आप मूंछ ऐंठते रहे। भारत में भी अभी जो ब्लास्ट हुआ है इस ब्लास्ट में कौन सी अकल का काम हुआ। आपने ब्लास्ट करके कुछ हिंदुओं को मार दिया 10-20 और मार देते कल्पना कर लीजिए उसका परिणाम क्या होता। उसका जो परिणाम हुआ कि आपका सारा नेटवर्क धुरुस्त हो गया आप सारी दुनिया में बदनाम हो गए। आपने 12 लोगों को मार कर अपना बहुत बड़ा नुकसान कर लिया। एक कहावत है कि घर में आग लगा दूंगा चूहे तो मर जाएंगे भले ही घर जल जाए तो कोई बात नहीं है। आज दुनिया के मुसलमान की और भारत के मुसलमान की भी यही स्थिति है हमारा चाहे जितना भी नुकसान हो जाए लेकिन हम सामने वाले का नुकसान करेगे ही। इसीलिए मैं बार-बार कहता हूं की कभी-भी किसी किताब या किसी मृत महापुरुष के कथन को अंतिम सत्य मत मानो।