लोकस्वराज आन्दोलन गाँधी विचार की आवश्यकता GT-439
लोकस्वराज आन्दोलन गाँधी विचार की आवश्यकता:
गांधी को मानने वाले भारत मे दो ग्रुप है एक ग्रुप यह मानता है कि गांधी के विचारों को लेकर दुनिया में आगे बढ़ने की जरूरत है। गांधी विचार हैं लोकस्वराज सर्वधर्म समभाव वैचारिक हिंदुत्व सत्ता का और अर्थ का अकेंद्रीय करण वर्ग समन्वय विश्व बंधुत्व तो दूसरे ग्रुप का मानना है गांधी की जीवन पद्धति गांधी की खादी स्वदेशी। पहले ग्रुप यह मानता है कि गांधी हत्या की घटना को नए परिप्रेक्ष्य में अब भूल जाइए। अब नए आधार पर समाज में गांधी विचारों को स्थापित कर दीजिए दूसरा ग्रुप गांधी हत्या को लंबे समय तक भुनाना चाहता है। दिन-रात संघ का विरोध करता रहता है उसके पास संघ विरोध के अतिरिक्त कोई और कार्य नहीं है। पहले ग्रुप राजनीति से दूर रहकर वर्तमान सत्ता के साथ तालमेल करना चाहता है तो दूसरा ग्रुप कम्युनिस्ट मुसलमान और नेहरू परिवार के साथ मिलकर इस राजनीतिक सत्ता को उखाड़ फेंकना चाहता है। इन दोनों के बीच में वास्तविक गांधी फंसे हुए हैं मैंने चार-पांच दिन पहले गांधीवादियों को सलाह दी थी कि वह सत्ता संपत्ति के झगड़े से किनारे होकर लोक स्वराज पर सोचना शुरू करें। यह सत्ता और संपत्ति के झगड़ा गांधीवादियों के लिए शोभा नहीं देते तो मेरे मित्र राजपाल जी जो प्रसिद्ध गांधीवादी हैं उन्होंने मुझे लिखा कुछ मित्रों ने नाराजगी व्यक्त की और लिखा कि यदि अपनी संपत्ति की सुरक्षा करना मूर्खता है तो हम बार-बार ऐसी मूर्खता करने के लिए तैयार हैं। मेरे विचार से मैं अपनी बात पर कायम हूं कि ऐसी मूर्खता बहुत हो चुकी सर्वाेदय को बहुत नुकसान हो चुका है और अब ऐसी मूर्खता पर फिर से विचार करिए। मेरी अपने मित्रों को यह सलाह है की वाराणसी में हमारे गांधीवादी सभी मित्र बैठकर इस बात पर विचार करें कि सर्वाेदय वर्तमान स्थिति में किधर जा रहा है और वर्तमान स्थिति में गांधी विचारों को मजबूत करने के लिए लोक स्वराज आंदोलन को एकमात्र आधार बनाया जा सकता है। यदि इस आधार पर हम गांधीवादी मिलकर वाराणसी में कोई बैठक रख सकते हैं मैं भी अपने साथियों के साथ उस बैठक में शामिल होने के लिए तैयार हूं।
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