मैं आर्य समाज से जुड़ा हुआ हूं मैं झूठ नहीं बोलता लेकिन परिस्थिति अनुसार सत्य छिपाता भी हूं।

कल मैं एक पोस्ट लिखी थी जिसके अनुसार मैं आर्य समाज से जुड़ा हुआ हूं मैं झूठ नहीं बोलता लेकिन परिस्थिति अनुसार सत्य छिपाता भी हूं। कई लोगों ने मेरा मजाक भी उड़ाया लेकिन मैं आपको और क्लियर कर दूं कि नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले में जो भाषण दिया वह अक्षरशः यही था। नरेंद्र मोदी ने लाल किले से विभाजन का तीन लोगों को दोषी बताया नेहरू की कांग्रेस जिन्ना और लॉर्ड माउंटबेटन। यह बात अर्ध सत्य थी दूसरी ओर नरेंद्र मोदी ने संघ की भूरि भूरि प्रशंसा की यह बात भी बिल्कुल सत्य है लेकिन स्वतंत्रता तक अर्ध सत्य थी। मैंने बचपन में स्वतंत्रता संघर्ष देखा है उस समय स्वतंत्रता संघर्ष में संघ सावरकर जिन्ना अंबेडकर और कम्युनिस्ट इनकी कोई भूमिका नहीं थी। सावरकर  अंबेडकर नेहरू कम्युनिस्ट जिन्ना सब गांधी विरोधी थे और यह चारों लोग मिलकर लॉर्ड माउंटबेटन के साथ लगातार कुछ ना कुछ षड्यंत्र करते रहते थे। इनमें से एकमात्र सरदार पटेल गांधी के साथ थे। संघ उस समय एक मंच था कोई संस्था नहीं। संघ में चार प्रकार के लोग थे सावरकर वादी जो गांधी के पूरी तरह विरुद्ध थे आर्य समाज के श्रद्धानंद गुट वाले जो पूरी तरह गांधी के पक्ष में थे आर्य समाज के क्रांतिकारी और अन्य सब क्रांतिकारी जो पूरी तरह गांधी की नीतियों से असहमत थे। स्वतंत्रता के समय आर्य समाज में दोनों विचारधाराओं के लोग थे आर्य समाज ने अपने को स्वतंत्रता के बाद सत्ता की लड़ाई से किनारे कर लिया और संघ जो स्वतंत्रता तक दूर था वह सत्ता संघर्ष में शामिल हो गया। लेकिन गांधीवादियों में आर्य समाज के श्रद्धानंद गुटके सारे लोग शामिल थे और सभी धीरे-धीरे संघ के साथ जुड़ गए इस तरह संघ में आर्य समाज के श्रद्धानंद के गुट के लोग भी शामिल थे और इन लोगों के ही कारण गांधी को प्रातः स्मरणीय भी माना गया और सावरकर वादियो के कारण गांधी का खूब विरोध भी होता रहा और संघ का यही इतिहास रहा। लेकिन हम आर्य समाज के श्रद्धानंद गुट के लोगों ने हार नहीं मानी और हम निरंतर गांधी के मार्ग पर चलते रहे। 40 वर्ष बाद हम लोगों ने फिर से एक नया प्रयास शुरू किया और गांधीवादी जो नेहरू परिवार के भक्त हो गए थे और संघ के लोग जो सावरकर के भक्त हो गए थे इन दोनों को हम लोगों ने एक साथ जोड़ने की मुहिम चलाई और उस मुहिम का या्ह परिणाम हुआ कि आज संघ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गांधी की दिशा में चल पड़ा है। लेकिन वर्तमान भारत की परिस्थितियों ऐसी नहीं है कि हम सावरकर गांधी अंबेडकर और क्रांतिकारी इनके बीच में किसी प्रकार का भेदभाव शुरू करें क्योंकि यह सब इतिहास की बातें हैं। वर्तमान समय में हमारे सामने संकट हैं जिन्ना नेहरू और कम्युनिस्टों को मानने वाले और इसलिए हम लोग एक रणनीति के अंतर्गत अंबेडकर वादी सावरकर वादी के विषय में चुप रहते हैं। इसका यह अर्थ नहीं है कि हम लोग इनके दीर्घकालिक प्रशंसक हैं लेकिन अब भारत को सावरकर और गांधी के बीच टकराव की जरूरत नहीं है अब भारत को जरूरत है नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत के साथ नेहरू परिवार जिन्ना भक्त मुसलमान और कम्युनिस्ट के गठजोड़ से टकराव की। मैं नरेंद्र मोदी के 15 अगस्त के भाषण की भरपूर प्रशंसा करता हूं वर्तमान भारत में संघ बिल्कुल ठीक दिशा में चल रहा है। नरेंद्र मोदी का भाषण सुनकर जिन्ना भक्त कम्युनिस्ट और नेहरू परिवार के ऊपर से नीचे तक आग लग गई है अच्छा होगा यह तीनों इस आग में जल मरे और देश तथा भारत गांधी मार्ग पर चलता रहे।