चुनावों के प्रति आकर्षण घट रहा है: GT 447
चुनावों के प्रति आकर्षण घट रहा है:
लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। ऐसा पाया जा रहा है कि अनेक क्षेत्रों में पहले की तुलना में मतदान का प्रतिशत कम रहा है। इसका कारण गर्मी बताई जा रही है, मेरे विचार से यह सही कारण नहीं है क्योंकि पिछले सभी चुनाव गर्मी के मौसम में ही हुए थे और अभी तो आगे और गर्मी बढ़ने की उम्मीद है। मुझे ऐसा महसूस होता है कि इस वर्ष जो लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं, इन चुनावों में मतदान कम होने का कारण उम्मीदवारों द्वारा खर्च कम किया जाना है। पहले के चुनाव उम्मीदवारों की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के साथ जुड़े होते थे, उन चुनावों में राजनीतिक दल भी बहुत खर्च करते थे लेकिन वर्तमान चुनाव में ईडी ने राजनीतिक दलों की कमर तोड़ कर रख दी है। शहरों में तो वैसे ही कम वोट पड़ते हैं, गांव में शराब और पैसे के बल पर वोट पड़ा करते थे लेकिन इस बार पैसा और शराब कम होने के कारण गांव के लोगों में मतदान के प्रति इतनी रुचि नहीं रही। सच बात तो यह है कि लोग मतदान करने नहीं जाते थे बल्कि उम्मीद्वार अपनी क्षमता के अनुसार मतदान करवाता था, उन्हें गाड़ियों में भर-भर कर ले जाया जाता था, पैसे दिए जाते थे। इस बार इसका अभाव है। दूसरी बात यह है कि पहले जीतने वाले उम्मीदवार को बहुत अच्छा भविष्य दिखता था कि वह आसानी से खर्च की भरपाई कर लेगा। अब ईडी और सीबीआई नें उस आकर्षण पर चोट की है। चुनाव प्रचार में भी सभी राजनीतिक दल कम खर्च कर रहे हैं। एक तीसरा कारण यह भी है कि सत्ता पक्ष को जीतने की ज्यादा उम्मीद दिख रही है इसलिए वह आश्वस्त है और विपक्ष के उम्मीदवारों को हारने की ज्यादा उम्मीद दिख रही है इसलिए वे भी खर्च करने से डर रहे हैं। परिणाम क्या होगा यह पता नहीं है लेकिन चुनाव के प्रति उम्मीदवारों में और जनता में भी आकर्षण घटा है। यह बात कम मतदान का कारण है।
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