झूठ बोलने की आदत बढ़ती जा रही है।

2 नवंबर प्रातः कालीन सत्र। वर्तमान भारत में हम यह स्पष्ट देख रहे हैं कि हर राजनेता झूठ बोल रहा है कुछ राजनेता मजबूरी में बोल रहे हैं और अधिकांश की झूठ बोलने की आदत हो गई है झूठ बोलना उन्हें लाभदायक दिख रहा है। इसी तरह धीरे-धीरे पुलिस विभाग भी झूठ बोलने लगी है पुलिस विभाग का हर अफसर चाहे वह कोई भी हो झूठ बोलता ही है यहां तक की न्यायालय में भी झूठ बोलता है। अन्य सब विभागों का भी करीब करीब यही हाल है। अब तो स्थिति यहां तक आ गई है की धर्म गुरुओं में भी धीरे-धीरे झूठ बोलने की आदत बढ़ती जा रही है। आप गंभीरता से सोचिए कि यदि पुलिस झूठ बोलने लग जाएगी तो क्या बचेगा क्योंकि पुलिस पर ही तो सब कुछ निर्भर करता है और पुलिस झूठ बोलने लग गई। मैं इस संबंध में रिसर्च किया तो यह पाया कि पुलिस वाले आमतौर पर झूठ बोलना नहीं चाहते लेकिन ऐसा राजनीतिक सिस्टम बन गया है उसमें झूठ बोलना ही पड़ता है राजनेताओं में भी 10-20 प्रतिशत झूठ नहीं बोलना चाहते लेकिन उन्हें बोलना पड़ रहा है इसका मतलब यह है की सिस्टम दोषी है और हमें सिस्टम को बदलना पड़ेगा। झूठ बोलना आम लोगों की मजबूरी भी हो गई है और वह मजबूरी धीरे-धीरे स्वभाव के रूप में बदल रही है इसलिए हम लोग वर्तमान राजनीतिक सिस्टम की जगह पर लोक स्वराज प्रणाली लाना चाहते हैं जिसमें झूठ बोलने की आवश्यकता ही कम हो जाएगी। एक तरफ हम सिस्टम बदलना चाहते हैं जिससे झूठ बोलने की जरूरत ना रहे दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोगों का ग्रुप बनाना चाहते हैं जो झूठ बोलने से नफरत करें। हम दोनों दिशाओं में लगातार सक्रिय हैं हमें दोनों दिशाओं में लगातार सफलता मिल रही है। हम एक ऐसी संस्था बनाने में पूरी तरह सफल हो गए हैं जिसका कहा हुआ या लिखा हुआ किसी भी परिस्थिति में झूठ होता ही नहीं वह पूरी तरह सत्य ही होगा। हम धीरे-धीरे अपनी संख्या बढ़ा रहे हैं और अन्य झूठ बोलने वालों को भी बेनकाब कर रहे हैं।