सामाजिक सशक्तिकरण सौहार्द और सज्जन्नता के संवर्धन के लिए यज्ञ एक प्रभावी माध्यम
26, 27 और 28 सितम्बर को आयोजित होगा भव्य नवाडीह महायज्ञ
सामाजिक सशक्तिकरण सौहार्द और सज्जनता के संवर्धन में यज्ञ सर्वाधिक प्रभावी माध्यम- बजरंग मुनि
सितम्बर के अन्तिम सप्ताह में आयोजित नवाडीह महायज्ञ के आयोजन का उद्देश्य समाज में शराफ़त और विचार मंथन के महत्व की स्थापना है- बजरंग मुनि
आज दिनांक 22 मई 2023 को रामानुजगंज रामचंद्रपुर ब्लॉक के ग्राम नवाडीह में संरक्षक रामचन्द्र गुप्ता जी के घर के पास 'सामूहिक महायज्ञ' आयोजन के निमित्त एक बैठक आहूत की गई। नवाडीह और त्रिकुंडा के आसपास के 43 गांवों के प्रतिनिधियों को लेकर बनी समिति ने इस महायज्ञ के सफलतापूर्वक आयोजन की जिम्मेदारी उठाई है।
सुप्रसिद्ध मौलिक विचारक एवं समाजविज्ञानी बजरंग मुनि जी ने सभा को संबोधित करते हुए बताया कि भावना और बुद्धि के समन्वय से ही लोगों में समझदारी बढ़ाई जा सकती है। सामान्यता समाज में दो तरह के लोग पाए जाते हैं एक भावना प्रधान और दूसरे बुद्धि प्रधान। भावना प्रधान लोग संस्कारों की बात करेंगे, धर्म का आचरण करेंगे, किसी को ठगेंगे नहीं, झूठ बोलना और चोरी जैसे कार्यों को पाप मानते हैं और जहां तक हो सके कानून का पालन करते हैं। वहीं दूसरी तरफ बुद्धि प्रधान लोग शक्ति और संपत्ति इकट्ठा करने के लिए किसी का भी अहित करने में नहीं चूकते और कानूनों को तोड़ मरोड़ कर अपने फायदे के लिए प्रयोग करते हैं। आज समाज में जितने भी प्रकार की समस्याएं दिख रही है उन सभी समस्याओं को पैदा करने वाले यही लोग हैं। बुद्धिजीवी लोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए तमाम तरह के प्रपंच फैलाकर वर्ग संघर्ष को बढ़ावा देते हैं। भावना प्रधान लोग उनके जाल में फंस अपना सब बर्बाद कर लेते हैं।
मुनि जी के अनुसार वर्तमान विश्व के सामने दो बड़ी समस्याएं खड़ी है 1- व्यक्ति के अंदर बढ़ाती स्वार्थ और हिंसा 2- सत्ता का केंद्रीयकरण। व्यक्ति के अंदर बढ़ते स्वार्थ और आक्रोश के समाधान के लिए जरूरी है कि सभी वर्गों के लोग एक साथ बैठकर किसी एक विषय पर व्यापक विचार मंथन करें। 'मानव मानव एक समान' का आदर्श ध्यान में रखते हुए आदिवासी-गैरआदिवासी, अमीर-गरीब, हिन्दू-मुसलमान स्त्री-पुरुष आदि के साथ भेदभाव रहित हो, मिलकर समाज को ठीक दिशा में ले जाने के सत्संकल्प के साथ एक स्थान पर बैठकर चर्चा करने से ही सभी समस्याओं का समाधान होगा। बड़े बड़े एयरकंडीशन्ड बंगलों में रहने वाले और गाड़ियों में घूमने वाले, तथाकथित सत्ता को अपनी उंगलियों पर नचाने का भ्रम पालने वाले "अभिजात्य" लोगों के बस का समाज को 'व्यवस्था परिवर्तन' के लिए तैयार करना है ही नहीं... इतिहास बताता है कि रावण और कंस जैसे परमशक्तिशाली को निरंकुश सत्ता के समूल नाश का साधन वनवासी, वानर, भालू और ग्वाले जैसे आम लोग ही बने थे। आम जन का व्यवस्था परिवर्तन के संघर्ष में शामिल होना ही विजय सुनिश्चित कर सकता है।
परंपरागत यज्ञों में समाज के सभी लोगों की अपार श्रद्धा है। सार्वजनिक सामूहिक यज्ञ आयोजन लोगों को जोड़ने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम हो सकता है। लोगों के बीच भेदभाव स्वार्थ और हिंसा की भावना को खत्म कर, ऐसे समाज का निर्माण करना है जहां लोग परस्पर प्रीति पूर्वक व्यवहार करते हुए समझदारी से अपना जीवन यापन करें। यही इस महायज्ञ को आयोजित करने के पीछे की सोच है।
समिति के अध्यक्ष श्री विनोद गुप्ता जी ने मुनि जी को पुष्पगुच्छ अर्पित कर आश्वासन देते हुए महायज्ञ के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए लोगों से आगे बढ़कर सहयोग करने की अपील की।
सभा को ज्ञानयज्ञ परिवार रामानुजगंज के प्रमुख मोहन गुप्ता ने कहा कि जहां चंदा समाज में एक बुराई की तरह है। वहीं दान वह माध्यम है जिससे समाज में सत प्रवृत्तियों का विकास कर सबका कल्याण सुनिश्चित किया जा सकता है।
नगर पंचायत उपाध्यक्ष बजरंग गुप्ता ज्ञानयज्ञ परिवार से प्रमोद केसरी, रामराज साहू जी, ज्ञानेंद्र आर्य, एवं आयोजन समिति के संरक्षक राम प्रताप गुप्ता जी, बुद्धिनारायन यादव जी , श्यामबिहारी शुक्ला, रमाकांत शर्मा महामंत्री ललनपाल एवं उपाध्यक्ष सुनील कुशवाहा, ब्रिजेन्द्र यादव सहित क्षेत्र के तमाम गणमान्य जन उपस्थित थे।
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