पर्यावरणवादी एवं मानवाधिकारवादी विदेशी जीव GT-439

पर्यावरणवादी एवं मानवाधिकारवादी विदेशी जीव

हमारे देश में जंगलों की सुरक्षा के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के खतरनाक पशु छुट्टा छोड़ दिए जाते हैं। यह पशु इतने शक्तिशाली होते हैं कि यह अगर मनुष्य को खो जाए तो कोई बात नहीं है लेकिन मनुष्य अपनी सुरक्षा के लिए इनको नहीं मार सकता क्योंकि यह सरकार द्वारा पोषित पशु माने जाते हैं। इस तरह भारत के विकास को अवरुद्ध करने के लिए दुनिया के अनेक देशों ने भारत में अनेक प्रकार के ऐसे जीव छोड़ रखे हैं जिन्हें पर्यावरण वादी भी कहा जाता है, मानवाधिकारवादी भी कहा जाता है। अभी जो उत्तराखंड में एक सुरंग धसने की घटना हुई उस घटना में 41 मजदूरों को सरकार ने सुरक्षित निकाल लिया लेकिन दुनिया द्वारा पालीत पोषित यह पर्यावरण वादी अब नई मांग शुरू करेंगे कि इस प्रकार के रास्ते ना बनाए जाएं किसी तरह इन रास्तों को बनने में अवरोध किया जाए इसके लिए न्यायालय भी जा सकते हैं, आंदोलन भी कर सकते हैं क्योंकि दुनिया के देशों से इन्हें आर्थिक मदद भी मिलती है और इन्हें सम्मानजनक पद भी प्राप्त होता है। इसलिए भारत में विकास तेजी से ना हो यह छुट्टा साड़ दिन-रात पर्यावरण के नाम पर चिल्लाते रहते हैं। दुनिया जानती है की आबादी बढ़ रही है सड़के बनानी पड़ेगी पहाड़ों पर हमें सुरक्षा भी करनी है सड़के बनानी पड़ेगी आवागमन को बढ़ाना पड़ेगा पहाड़ों पर जो लोग रहते हैं उनकी सुविधा भी बढ़ानी पड़ेगी और जंगल नहीं काटना चाहिए सड़क नहीं बढ़नी चाहिए इन आंदोलनकारी को खुश भी रखना पड़ेगा। मैं आज तक नहीं समझा कि यह दोनों बातें एक साथ कैसे संभव है इसलिए मैं चाहता हूं कि अब यह पर्यावरण वादी भारत के विकास का रोड़ा ना बने। सरकार पर विश्वास करें। सरकार पर्यावरण और विकास के बीच एक संतुलन बनाकर चलना चाहती है और यह विदेशी एजेंट उस संतुलन को बिगाड़ना चाहते हैं। इन विदेशी एजेंट से भारत की जनता को सावधान रहना चाहिए।