विकल्प पथ
सृष्टि को बने चाहे हजारों वर्ष हुए हों अथवा लाखों अथवा करोड़ों, जब से भी यह सृष्टि बनी है तब से दो प्रवृत्तियों...
अहिंसा सामाजिक आवश्यकता या संस्कार
आज तक कभी सम्पूर्ण विश्व में अहिंसा इतनी अधिक संकट में नहीं रही जितनी आज है । आज तो यह प्रश्न की ही विवादास्पद...
समाजशास्त्र का तानाबाना
व्यक्ति की स्वतंत्रता और सहजीवन का तालमेल ही समाजशास्त्र माना जाता है। व्यक्ति एक प्राकृतिक इकाई है और समाज सं...
राज्य समाज का संरक्षक क्यों?
व्यक्ति और समाज एक दूसरे के पूरक भी होते हैं और नियंत्रक भी। व्यक्तियों से ही समाज बनता है और समाज से ही व्यक्...
समाज शास्त्र की एक समीक्षा
समाज शास्त्र की एक समीक्षा व्यक्ति और समाज एक दूसरे के पूरक होते है । व्यक्ति एक प्रारंभिक इकाई होता है और सम...
संगठनवाद एक बड़ी सामाजिक समस्या
संगठनवाद एक बड़ी सामाजिक समस्या संस्था और संगठन में बहुत अंतर होता है। संस्था कर्तव्य प्रधान होती है तो संगठन ...
जनता के लिये महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा अथवा सामाजिक ...
किसी भी देश मे जो सरकार बनती है उसके प्रमुख दो उद्देश्य होते है- 1 सामाजिक सुरक्षा 2 राष्ट्रीय सीमाओ की सुरक्ष...
मनरेगा कितना समाधान कितना धोखा
कुछ हजार वर्षों का विश्व इतिहास बताता है, कि दुनियां में बुद्धिजीवियों ने श्रम शोषण के लिए नये-नये तरीको...
सामाजिक आपातकाल और वर्तमान वातावरण
सामाजिक आपातकाल और वर्तमान वातावरण जब किसी अव्यवस्था से निपटने के लिए नियुक्त इकाई पूरी तरह असफल हो जाये तथा ...
पूंजीवाद, समाजवाद और साम्यवाद
पूंजीवाद, समाजवाद और साम्यवाद कुछ सर्वस्वीकृत सिद्धांत हैं- 1 न्याय और व्यवस्था एक दूसरे के पूरक होते है । द...
निजीकरण,राष्ट्रीयकरण,समाजीकरण
व्यक्ति और समाज एक दूसरे के पूरक होते है। दोनो मिलकर ही एक व्यवस्था बनाते है। व्यक्ति की उच्श्रृंखलता पर समाज ...