अराजकतावादी संसदों को संसद में भेजना उचित नहीं GT-440

अराजकतावादी संसदों को संसद में भेजना उचित नहीं:

पिछले दिनों मैने संसद की कार्यवाही टीवी पर देखा। तो मुझे इस बात से बहुत आश्चर्य हुआ कि दो दिनों से संसद ठीक तरह काम कर रही है। पिछले 5-6 वर्षों से संसद में गुंडागर्दी हो रही थी, थोड़े से लोग संसद को चलने नहीं दे रहे थे। इसलिए संसद की कार्यवाही ठप हो जाती थी। किसी भी विषय पर विचार विमर्श नहीं होता था। प्रस्ताव पारित हो जाते थे और हर बार यही होता था। लेकिन मुझे इस बात का आश्चर्य है कि जब नरेंद्र मोदी और सत्ता पक्ष यह बात जानते थे कि इस सारी समस्या का यह छोटा सा समाधान है कि इन अराजकतावादी तत्वों को संसद से निकाल दिया जाए। तो यही उपाय इन्होंने पहले क्यों नहीं कर लिया। अगर पहले ही इन अराजकतावादियों को जंतर-मंतर भेज दिया जाता तो संसद 5 वर्षों से ठप नहीं होती। मैं कई वर्षों से देख रहा हूँ कि संसद केवल हंगामा करने के लिए आयोजित होती थी और कोई काम नहीं होता था। लेकिन अब मुझे खुशी है कि पिछले कुछ दिनों से संसद ठीक चल रही है। मेरा आम जनता से निवेदन है कि इस प्रकार की अराजकता करने वालों को संसद में भेजना ही उचित नहीं है। यह जंतर मंतर पर ही रहे तो ज्यादा उपयुक्त हैं।

देश की संसद से 150 सांसद बाहर निकाल दिए गए। बाहर निकलते ही उनके व्यवहार में इतना बदलाव दिखा कि आश्चर्य होता है। जो सांसद संसद के अंदर बेंचों पर चढ़कर चिल्ला रहे थे, जो वहां अध्यक्ष को फोटो दिखा रहे थे, वही सांसद संसद से बाहर निकलते ही गांधी मूर्ति के सामने मौन खड़े थे। समझ में नहीं आता कि जिस संसद के अंदर उन्हें अनुशासित रहना चाहिए था वही संसद के बाहर मुंह बंद करके खड़े हैं। यह आश्चर्यजनक है, विश्वास नहीं होता कि यही सांसद संसद के अंदर गुंडागर्दी कर रहे होंगे। यह तो गांधी के सामने मुंह बंद करके चुपचाप खड़े हैं। सोचने की बात है कि जब गांधी मूर्ति का इतना प्रभाव है तो गांधी जी का कितना रहा होगा यह आप कल्पना ही कर सकते हैं।