नक्सलवाद पर कांग्रेस का बदलता रुख: GT 447
नक्सलवाद पर कांग्रेस का बदलता रुख:
पिछले अंक में हमने कांग्रेस और नक्सलवाद के बीच बनते समीकरणों पर चर्चा की। हमने पढ़ा कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के प्रमुख नेता भूपेश बघेल ने यह बात स्पष्ट की थी कि जिन 29 नक्सलियों को मारा गया है वह मुठभेड़ फर्जी थी। यही बात कांग्रेस अध्यक्ष दीपक जी ने भी दोहराई, यही बात बाद में सुप्रिया ने भी दोहराई, कांग्रेस पार्टी ने यह बताने का प्रयास किया कि मारे गए लोग नक्सली नहीं थे आदिवासी थे, निर्दोष भी हो सकते हैं। लेकिन 24 घंटे बाद ही कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को ऐसा महसूस हुआ कि इस प्रकार की लाइन नुकसान दे सकती है, अब नक्सलवाद का ज्यादा दिनों तक लाभ नहीं उठाया जा सकता। अब देश नक्सलवाद से तंग आ चुका है और मुक्ति चाहता है, जल्दी ही नक्सलवाद भारत से समाप्त हो जाएगा। एकाएक कांग्रेस पार्टी ने अपना स्टैंड बदल लिया। आज उसके सभी नेता इस मुठभेड़ की प्रशंसा करने लगे। यह मुझे ऐसा दिख रहा है कि जैसे मरते समय भगवान याद आता है। इस तरह विपक्ष को भी धीरे-धीरे नई-नई बातें सोचने में आ रही है। कांग्रेस पार्टी ने अंत में अपने घोषणा पत्र में यह भी लिख दिया है कि चुनाव ईवीएम से ही कराए जाएंगे भले ही ईवीएम में थोड़ा संशोधन किया जाए। अभी तक पूरा का पूरा विपक्ष अल्पसंख्यक तुष्टीकरण को ही आधार बनाकर चल रहा था लेकिन पहली बार अरविंद केजरीवाल ने जेल से यह संदेश भेजा है कि अब हमें राम की शरण में जाना है, हम देश में रामराज्य लायेंगे। अरविंद जी ने अपनी पत्नी को जोर देकर कहा है कि तुम हमेशा मंदिर जाओ, राम की शरण में ही जाकर हमारा राजनीतिक उद्धार संभव है। इस तरह मुझे ऐसा लगता है कि विपक्ष को धीरे-धीरे सच्चाई का आभास हो रहा है फिर भी अभी विपक्ष को बहुत सी बातें समझनी है। लगता है कि विपक्ष ने समझदारी में बहुत देर कर दी, फिर भी देर आये दुरुस्त आये।
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