क्या सचमुच लोकतंत्र खतरे में है ? GT 447

क्या सचमुच लोकतंत्र खतरे में है ?

            भारत में इस बात पर बहुत चर्चा चली कि ‘क्या भारत का लोकतंत्र खतरे में है?’ सभी साम्यवादी मुसलमान और कांग्रेसी लगातार यह बात प्रचारित कर रहे हैं कि भारत का संविधान खतरे में है, भारत का लोकतंत्र खतरे में है। मैने भी इस विषय पर बहुत विचार किया कि स्थिति क्या है। मुख्य विषय यह है कि जो लोग लोकतंत्र पर खतरा बता रहे हैं, वह यह बात साफ नहीं कर रहे हैं कि आदर्श लोकतंत्र क्या है? साम्यवादियों का लोकतंत्र चीन, रूस, उत्तर कोरिया जैसी जगहों पर दिखता है, क्या यही लोकतंत्र है? मुसलमानों का लोकतंत्र अफगानिस्तान में दिखता है, पाकिस्तान में दिखता है, ईरान में दिखता है, अरब में दिखता है, क्या वह ऐसा ही लोकतंत्र चाहते हैं? कांग्रेस पार्टी का एक लोकतंत्र हमने इंदिरा गांधी के कार्यकाल में देखा था और दूसरा लोकतंत्र मनमोहन सिंह के कार्यकाल में देखा था। मनमोहन सिंह का लोकतंत्र तो पूरी तरह अव्यवस्था थी, जहां वास्तव में अपराधी और गुंडो का ही बोलबाला था तथा इंदिरा गांधी के लोकतंत्र में पूरी तरह तानाशाही थी, क्या कांग्रेसी वैसा लोकतंत्र फिर से भारत में चाहते हैं? एक और लोकतंत्र की बात की जाती है जो अमेरिका ब्रिटेन व फ्रांस में है, इन देशों में भी लगातार अव्यवस्था बढ़ रही है। हमें कुछ नया प्रयोग करना ही होगा। हमें इन लोकतंत्रों की तुलना में एक नए तरह का लोकतंत्र भारत में प्रयोग करना होगा, जिसकी संभावना नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में दिख रही है। हम अब तक दुनिया में स्थापित सड़े-गले लोकतंत्र की नकल नहीं कर सकते, इसलिए हम लोग नरेंद्र मोदी के लोकतंत्र का परीक्षण करना चाहते हैं। यदि यह लोकतंत्र भी उसी प्रकार धोखा सिद्ध हुआ जैसा अरविंद केजरीवाल के कार्यकाल में हुआ, मुरार जी के कार्यकाल में हुआ, नेहरू के कार्यकाल में हुआ या अन्य सरकारों के पिछले कार्यकाल में हुआ है तो हम किसी और प्रयोग की दिशा में लगातार बढ़ेंगे लेकिन हम किसी भी रूप में उस सड़ियल लोकतंत्र को नहीं आने देंगे जो कम्युनिस्ट, मुसलमान, कांग्रेसी और पश्चिमी दुनिया के लोग मिलकर भारत पर थोपना चाहते हैं। हम एक नए प्रयोग की प्रतीक्षा कर रहे हैं। आप विश्वास रखिए कि हम पूरी ईमानदारी से लोक स्वराज की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं। हम आपसे निवेदन करते हैं कि हम एक नए लोकतंत्र के प्रयोग के लिए नरेंद्र मोदी का उपयोग करें।

            इस प्रश्न का मेरे विचार से लोगों के पास साफ़-साफ़ उत्तर था भी नहीं। जो लोग संविधान और लोकतंत्र पर खतरा बता रहे हैं वे सब या तो कम्युनिस्ट हैं या मुसलमान है या कांग्रेसी है। बाकी भारत में अन्य लोग तो किसी प्रकार से भी लोकतंत्र पर खतरा नहीं बता रहे हैं। हालाँकि यह तीनों ही लोग अपने कार्यकाल में लोकतंत्र के लिए खतरा रह चुके हैं। आखिर साम्यवादी, मुसलमान और कांग्रेसी यह बात क्यों नहीं बताते कि यदि उनकी सरकार बनेगी तो वे संविधान में संशोधन करेंगे अथवा नहीं? वह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में बदलाव करेंगे अथवा नहीं? वह अपनी योजना क्यों नहीं बताते हैं कि उनके पास क्या योजना है? विचारणीय प्रश्न यह है कि यदि नरेंद्र मोदी दो-तिहाई बहुमत पाकर संविधान में संशोधन करें तो यह बात उनकी नजर में गलत है और जब उन्होंने सैकड़ो संशोधन कर दिए आगे भी कर सकते हैं तो यह बात लोकतांत्रिक कैसे? मैं आज तक नहीं समझ सका कि भारत के लोकतंत्र पर खतरा कहां है। जब संविधान का मूल ढांचा बदला ही नहीं जा सकता है तो अगर मूल ढांचे को छोड़कर संविधान में अन्य बदलाव संवैधानिक तरीके से होते हैं तो इसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? इसमें लोकतंत्र पर खतरा कहां से आ गया, लोकतंत्र पर खतरा तो उस दिन अधिक था जब मूल ढांचा भी बदला जा सकता था लेकिन सन 73 के बाद अब मूल ढांचे में बिना जनमत संग्रह के कोई बदलाव नहीं हो सकता। इसलिए जो भी लोग यह बात करते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है, संविधान खतरे में है, वे लोग या तो नासमझ है या स्वार्थी है। उन्हें ना लोकतंत्र का पता है, न संविधान का पता है। मैं फिर भी यह चाहता हूँ कि इस विषय पर हम लोग एक बार और खुलकर चर्चा करें।