राहुल गाँधी पूरी तरह साम्यवादी हो चुके हैं: GT 447

राहुल गाँधी पूरी तरह साम्यवादी हो चुके हैं:

            हम कांग्रेस पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के मेनिफेस्टो पर चर्चा कर रहे हैं। अब तक विपक्ष नरेंद्र मोदी पर एकपक्षीय आरोप लगा रहा था। विपक्षी दल कभी तो यह कहते थे कि नरेंद्र मोदी अरविंद केजरीवाल की जेल में हत्या करवाना चाहते हैं तो कभी विपक्षी दल कहते हैं कि नरेंद्र मोदी लोकतंत्र की हत्या कर देंगे, संविधान बदल देंगे, तानाशाह बन जाएंगे। पहली बार नरेंद्र मोदी ने भी पलटवार किया और उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि राहुल गांधी कम्युनिस्ट और इस्लाम की दिशा में बढ़ रहे हैं, कांग्रेस पार्टी और पूरा विपक्ष इस मामले में राहुल के साथ खड़ा है। अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है, इस विषय पर मैंने भी सोचा कि नरेंद्र मोदी ने इतना बड़ा आरोप किस आधार पर लगा दिया। यह बात तो साफ दिख रही थी कि कांग्रेस पार्टी मुस्लिम तुष्टिकरण की दिशा में लंबे समय से चलती रही है। कभी-कभी तो यह संदेह होता था कि कहीं राहुल गांधी सत्ता के लालच में इस्लाम तो स्वीकार नहीं कर लेंगे लेकिन वर्तमान कांग्रेस का मेनिफेस्टो देखने के बाद, यह बात साफ होती है कि राहुल गांधी इस्लाम की तरफ उतना झुके हुए नहीं है जितना साम्यवाद की दिशा में झुके हैं। जिस तरह पहली बार कांग्रेस पार्टी ने आर्थिक जनगणना करने की बात की है, जिस प्रकार राहुल गांधी ने अपने भाषणों में यह बात कही कि हम देश में इस बात की गणना कराएंगे कि किन लोगों के पास कितनी संपत्ति है? आर्थिक असमानता कितनी है और इस आर्थिक असमानता को कम करने के लिए संपत्ति का उचित विभाजन कैसे होना चाहिए? इन बातों से बिल्कुल साफ होता है कि राहुल गांधी कम्युनिस्टों के चंगुल में बुरी तरह फंस चुके हैं। सांप्रदायिकता राहुल गांधी के लिये इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि साम्यवादियों और सांप्रदायिकता के बीच लंबे समय से एक समझौता है। दूसरी बात यह है कि मैं 20 वर्ष पहले से ही कई बार लिख चुका हूँ कि दिग्विजय सिंह और नक्सलवाद के बीच एक गुप्त समझौता है और यह समझौता राजनीतिक है। जगजाहिर है कि दिग्विजय सिंह ने ही बचपन से राहुल गांधी को प्रशिक्षित किया है इसलिए राहुल गांधी का वामपंथी विचार कोई अप्रत्याशित घटना नहीं है। राहुल गांधी महंगाई और बेरोजगारी पर जितना अधिक जोर देते हैं, राहुल गांधी पूंजीपतियों के विरुद्ध जैसी जहरीली भाषा बोलते हैं, उससे यह साफ हो जाता है कि वास्तव में राहुल गांधी कम्युनिज्म के प्रभाव में हैं। भारत के मतदाताओं को इन चुनावों के माध्यम से यह बात साफ करनी है कि हमें हिंदुत्व चाहिए, हमें गांधी विचार चाहिए, हमें स्वतंत्रता चाहिए ... या इस्लामी सांप्रदायिकता साम्यवादी तानाशाही। मेरा विचार है कि राहुल गांधी और उनका पूरा विपक्ष बहुत गलत दिशा में जा रहे हैं।

            वैसे तो सारी दुनिया के लिए साम्यवाद और इस्लाम सबसे बड़ी समस्या बने हुए हैं लेकिन भारत में इन दोनों विदेशी विचारों का गठबंधन अधिक महत्व का है क्योंकि भारत में इन्हें कांग्रेस पार्टी का साथ मिल गया है। इस तरह भारत में कांग्रेस साम्यवाद और इस्लाम का एक त्रिगुट बन गया है और इस त्रिगुट के जाल में देश लंबे समय से फंसा हुआ है। इन तीनों की भूमिकाएं एक साथ मिलकर देश को प्रभावित करती हैं लेकिन तीनों ही अलग-अलग भूमिका में भी होते हैं। कांग्रेस पार्टी राजनीतिक आधार पर देश में अपने को मजबूत करती है तो साम्यवाद वैचारिक आधार पर आम लोगों को प्रभावित करता है और इस्लाम संगठन शक्ति के बल पर देश में अपने पैर फैलाता रहता है। इस तरह वैचारिक, संगठनात्मक और राजनीतिक शक्ति एकजुट होकर भारत में टकरा रहे हैं। इन तीनों से भारत का हिंदुत्व अकेला टक्कर दे रहा है क्योंकि दुनिया में हिंदुत्व ही एक ऐसा समूह है जो वैचारिक, राजनीतिक और संगठनात्मक सब प्रकार से मिला-जुला है इसलिए यह तीनों मिलकर सीधा हिंदुत्व से टकरा रहे हैं। वर्तमान चुनाव के संदर्भ में साम्यवादी अवधारणा को अपने साथ जोड़कर राहुल गांधी या कांग्रेस को कुछ लाभ हो सकता है लेकिन इस्लाम को जोड़कर कांग्रेस पार्टी बहुत अधिक बेनकाब हो रही है। जिस तरह इन लोगों ने अल्पसंख्यक आरक्षण और बहुसंख्यक नियंत्रण का अपना चुनावी एजेंडा सामने किया यह एजेंडा कांग्रेस पार्टी को निश्चित रूप से नुकसान करेगा। मेरे विचार से हम लोग जो  हिंदुत्व के पक्षधर हैं, नरेंद्र मोदी के पक्षधर हैं, भारत के पक्षधर हैं, उन लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। हमें राजनीतिक आधार पर कांग्रेस का मुकाबला करने की जरूरत है, साम्यवाद और इस्लाम का नहीं वैचारिक आधार पर साम्यवाद का मुकाबला करने की जरूरत है, इस्लाम और कांग्रेस पार्टी के पास कोई वैचारिक आधार नहीं है। संघटनात्मक स्वरूप में इस्लाम से हम टकरा सकते हैं। वर्तमान चुनाव हमारे लिए एक परीक्षा की घड़ी है। हमें पूरी सावधानी से इस त्रिगुट को असफल कर देना चाहिए। यही हमारा धर्म है, यही हमारा राष्ट्र है और यही समाज के लिए भी अच्छा है।