रामनुजगंज ज्ञानोत्सव कार्यक्रम: देश के जाने-माने विद्वान हो रहे हैं सम्मिलित, बजरंग मुनि के सानिध्य में आयोजन

विगत 7, 8, व 9 जून को ज्ञान यज्ञ परिवार और मार्गदर्शन सामाजिक शोध संस्थान के तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय ज्ञानोत्सव कार्यक्रम का समापन हुआ। भीषण गर्मी और 87 साल की आयु दोनों ने समाजविज्ञानी बजरंग मुनि जी को रोकने की बहुत कोशिश की, किंतु ये दोनों प्रतिकूल कारण भी न तो मुनि जी के जीवट को हिला सके, न ही रामानुजगंज की जनता को उसकी सामाजिक रचनात्मकता से दूर रही और न देशभर से इकट्ठा हुए अतिथि विद्वानों को! इस पूरे कार्यक्रम को ज्ञानोत्सव नाम दिया गया। इसके प्रातः कालीन सत्र में जहां वैदिक मंत्रोच्चारण से समस्त प्रकृति पवित्र हुई, वहीं विचार मंथन के रूप आयोजित अगले सत्र में स्थानीय एवं देश भर से आये विद्वानों ने अपनी वैचारिक आहुतिया दी। सायंकालीन सत्र की बेला में जहां सुप्रसिद्ध स्थानीय लोक गायक रामसेवक जी ने ज्ञानयज्ञ परिवार के गीतों और लोकगीतों के माध्यम से समा बाधां वहीं एकल विद्यालय अंबिकापुर की कीर्तन मंडली ने भी अपने सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी।

समाज विज्ञानी श्रद्धेय बजरंग मुनि जी के समाजसशक्तिकरण के प्रयास और समाज में लोक स्वराज्य कैसे स्थापित हो की अपनी धारणा प्रस्तुत की वहीं व्यवस्था परिवर्तन कार्यक्रम से जुड़ी हुई सभी इकाइयों ने अपने पूर्व कार्यों की समीक्षा और अग्रिम योजना प्रस्तुत की। बजरंग मुनि जी ने सभी इकाइयों को स्वतंत्र रहते हुए एक दूसरे का सहयोग करने की प्रेरणा दी। मुनि जी ने अपने 72 वर्षों के सक्रिय जीवन में जो कुछ भी सामाजिक अनुसंधान किया उन सब विचारों को एक पुस्तक 'मार्गदर्शक सूत्र संहिता' के रूप में संकलित कर समाज को समर्पित की। इस पुस्तक का उद्देश्य केवल मुनि जी के सामाजिक अनुसंधान के अतुलनीय निष्कर्षों को समाज के सामने लाना ही नही बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य है, वर्तमान दुनिया में व्यक्ति और समाज तथा इसकी स्वतंत्रता और सहजीवन के बीच जो विसंगतिया आ गई हैं, जिनके कारण मानव जीवन सतयुग से कलयुग के गर्त में डूबता जा रहा है, इसे रोकने के क्या उपाय हो सकते हैं इस पर चिंतन करना है!

मार्गदर्शक सामाजिक शोध संस्थान प्रतिदिन रात 8:00 बजे से 9:00 बजे तक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ज़ूम पर किसी एक सामाजिक विषय पर 'चर्चा' कार्यक्रम आयोजित करता है। मुनि जी का कहना है कि समान विचारधारा के लोगों के बीच विचार मंथन हो तो केवल योजनाएं बनती हैं और विपरीत विचारधारा के लोगों के बीच जब संवाद होता है तो विचार मंथन हो सकता है। सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, संवैधानिक, धार्मिक, वैश्विक और वैचारिकी के विभिन्न विषयों पर निर्भीक और निष्पक्ष विचार मंथन का यह मंच सबके लिए खुला हुआ है। इस ज्ञानोत्सव कार्यक्रम में इस मंच ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस मंच ने अपने नियमित कार्यक्रम से लगातार जुड़ने और अपने विचार रखने वाले व्यक्तियों का प्रशिक्षण और पहचान सहज कर दी।
बृजेश राय जैसे युवा विचारक को समाजविज्ञानी, नरेन्द्र रघुनाथ सिंह, राकेश कुमार, संजय तांती, रामवीर श्रेष्ठ और सुनील देव शास्त्री जैसे विचारक को समाजशास्त्री और नीता आर्य, राजेश प्रजापति, माता प्रसाद कौरव, श्रीकांत सिंह और सुधीर कुमार सिंह जैसे सामाजिक चिंतकों को मंच पर प्रमाणपत्र, मोमेन्टो और अंगवस्त्र के साथ मार्गदर्शक ट्रस्ट के द्वारा 50,000 रु समाज विज्ञानी को, 40,000 प्रत्येक समाजशास्त्री को और 10,000 प्रत्येक सामाजिक चिंतक को सम्मान राशि दी गई। यह सभी लोग मिलकर भविष्य में समाज विज्ञान पर शोध करने वाले निर्भीक, निष्पक्ष विचारकों को न केवल प्रशिक्षण देगें अपितु उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान भी दिलाएगें। इन पुरस्कारों का मापदण्ड बौद्धिक क्षमता, तार्किकता और सामाजिक जीवन तो था ही साथ में निर्णायक स्तर पर व्यक्ति की सामाजिक व्यवस्था के सप्त सिद्धांतों के प्रति दृष्टिकोण भी रहा। यह सप्त सिद्धांत हैं- 1. अहिंसा और सत्य, 2. सत्ता का अकेन्द्रीकरण, 3. वर्ग समन्वय, 4. श्रम के साथ न्याय, 5. सामाजिक व्यवस्थाओं की पुनरुस्थापना, 6. राज्य नियंत्रित अर्थ व्यवस्था की जगह राज्य संरक्षित अर्थव्यवस्था का प्रयोग (विकेन्द्रित अर्थव्यवस्था), 7. योग्यता को प्रतिस्पर्धा की अधिकतम स्वतंत्रता। इन विषयों पर तार्किक असहमति तो चर्चा का विषय हो सकता है किन्तु किसी एक पर भी विरोध को असमाजिक कार्य माना गया है। मुनि जी के द्वारा खोजे गए और ज्ञानोत्सव कार्यक्रम में पहली बार उद्घाटित ये सप्त सिद्धांत एक मार्गदर्शक की भांति वैश्विक वैचारिकी को एक नया आयाम देंगे।