मुसलमान के सामने ऐसी कौन सी मजबूरी आ गई है कि उन्हें अपना नाम छिपाना पड़ रहा है।
आजकल तीन-चार दिनों से पंडित जी ढाबा पर किसी मुसलमान को पीटने और पैंट खुलवाने की घटना की चर्चा हो रही है । मैंने उस घटना की सच्चाई जानने की कोशिश की। सच बात यह है कि मुजफ्फरनगर के पास एक पंडित जी शुद्ध वैष्णो ढाबा के नाम से होटल चलता है वह काफी प्रचलित है। इस होटल में यह विवाद हुआ है उसकी कहानी इस प्रकार है कि मेरठ की रहने वाली किसी ब्राह्मण महिला ने होटल बनवाया लेकिन उस होटल को स्वयं ना चालू करके उसने वह होटल एक मुसलमान को किराए पर दे दिया। वह मुसलमान उस होटल को चलाने के लिए एक शर्मा जी नामक ब्राह्मण को मैनेजर नियुक्त किया वहां कुछ कर्मचारी रखे गए उनमें कुछ मुसलमान भी थे उनका नाम हिंदू कर दिया गया। इस होटल का मालिक मुसलमान है यह बात किसी तरह वहां के लोगों को पता चली। होटल मालिक सनौर को यह बात बुरी लगी और उसे यह संदेह हुआ कि उनके ब्राह्मण मैनेजर ने हीं यह सच बताया होगा ।उस मुसलमान होटल मालिक ने जाकर अपने मैनेजर को पीटा। मैनेजर ने थाने में रिपोर्ट की। उस समय कुछ पुलिस वालों के साथ आंदोलनकारी हिंदू उस होटल में पहुंचे । इन लोगों ने मिलकर कर्मचारियों से आधार कार्ड मांगने शुरू किये। उस आधार जांच में गोपाल नामक व्यक्ति ने आधार कार्ड न होने की बात बताई। इस पर उन लोगों को संदेह हुआ। हो सकता है कि ऐसे वातावरण में उन आंदोलनकारी ने गोपाल से पेंट उतार कर प्रमाण दिखाने की बात की हो। बहुत दबाव पड़ने पर गोपाल ने अपना आधार कार्ड दिखाए जो तजमुल के नाम से था। हो सकता है कि इसके बाद कुछ लोगों ने तजमुल को हल्का-फुल्का पीटा भी हो लेकिन तजमुल ने पुलिस में पैंट खोलने का दबाव डालने और पीटने की रिपोर्ट की जिसमें चार लोगों को पुलिस ने पकड़ा भी। दूसरी ओर होटल के मैनेजर शर्मा जी की रिपोर्ट पर होटल मालिक मियां जी तथा अन्य लोगों पर जुर्म कायम किया गया। कुल मिलाकर घटना इस तरह की है। इसी घटना को मुस्लिम गुट के लोग अखिलेश यादव दिग्विजय सिंह तथा कुछ अन्य तथा कथित लोग बहुत बड़ा चढ़ा कर बताने की कोशिश कर रहे हैं। इस बात पर गंभीरता से विचार होना चाहिए कि इस घटना में पीटने वालों की गलती कितनी है और धोखा देने वालों की गलती कितनी है। इस बात पर भी सोचा जाना चाहिए कि वर्तमान भारत में मुसलमान के सामने ऐसी कौन सी मजबूरी आ गई है कि उन्हें अपना नाम छिपाना पड़ रहा है।
यह प्रश्न आज भी विचारणीय है कि स्वतंत्रता के पूर्व हिंदुओं और मुसलमान के बीच आपसी संबंध खराब नहीं थे आमतौर पर हिंदुओं और मुसलमानो के बीच अविश्वास भी नहीं था। सबसे पहले हिंदुओं को झटका लगा जब मुसलमान के बहुमत ने पाकिस्तान जाना स्वीकार किया। इसके बाद भी दोनों के संबंध में कोई बहुत बड़ी गिरावट नहीं आई। लेकिन धीरे-धीरे हिंदुओं को यह विश्वास हो गया कि मुसलमान लगातार अपने संख्या बल को बढ़ाना चाहता है। भारत का मुसलमान पाकिस्तान गए हुए मुसलमान को गद्दार नहीं मानता। यहां तक कि भारत का मुसलमान पाकिस्तान और बांग्लादेश से चोरी छिपे भारत आने वाले मुसलमान का भी स्वागत करता है। भारत का मुसलमान पाकिस्तान के ईस निंदा कानून की भी कभी आलोचना नहीं करता वह हर मामले में चुप रह जाता है। इस तरह हिंदुओं के मन में मुसलमान के प्रति धीरे-धीरे अविश्वास बढ़ता गया लेकिन उस अविश्वास ने कभी घृणा का रूप नहीं लिया था। लेकिन जब से मुसलमान के द्वारा थूक मिलाकर धोखा देने की बातें सामने आई और भारत के मुसलमान ने इन घटनाओं का ना कभी कोई स्पष्टीकरण दिया और ना खुलकर कोई विरोध किया भारत का मुसलमान आमतौर पर ऐसे मामले में चुप रहा स्पष्ट है कि भारत के हिंदुओं को मुसलमान से नफरत होने लग गई। उसी का परिणाम है कि आज मुसलमान को अपना नाम बदलकर होटल में काम करना पड़ रहा है इस अविश्वास का कारण मुसलमान को खोजना चाहिए हिंदुओं को नहीं इसके समाधान के लिए भारत के मुसलमान को आगे आना चाहिए उन्हें अब हिंदुओं को विश्वास दिलाना चाहिए की हम लोगों से कुछ गलतियां हुई हैं और हम उन गलतियों का संशोधन करेंगे लेकिन आज भी भारत का मुसलमान नेहरू परिवार अथवा अन्य विपक्षी दलों के चक्कर में पड़कर अपनी विश्वसनीयता को लगातार खराब करता जा रहा है और इसके परिणाम सामाजिक स्तर पर बहुत घातक होंगे। जो धार्मिक यात्राओं के नाम पर प्रत्यक्ष टकराव दिख रहा है इसमें कहीं ना कहीं हमारा सुप्रीम कोर्ट भी दोषी है। यदि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पक्षपात न किया होता तो शायद इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता था। फिर भी भारत के मुसलमान को अब यह बात समझ लेनी चाहिए कि हिंदुओं और मुसलमान के बीच में विभाजन मुसलमान के लिए घातक होगा सुप्रीम कोर्ट और विपक्षी दल हिंदू मुस्लिम एकता में मुसलमान की सहायता नहीं कर पाएंगे इसलिए यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि गलतियां हिंदुओं की तरफ से कम मुसलमान की तरफ से अधिक हो रही हैं। और इस संबंध में मुसलमान को पहल करनी चाहिए।
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