हम सिर्फ समाजशास्त्री नहीं हम समाज विज्ञान पर भी रिसर्च कर रहे हैं।

6 अगस्त प्रातः कालीन सत्र। हम सिर्फ समाजशास्त्री नहीं हम समाज विज्ञान पर भी रिसर्च कर रहे हैं। हम इस बात को अच्छी तरह समझ रहे हैं की पूरी दुनिया कई हजार वर्षों से इस पहेली का हल खोज रही है की व्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा किसी संगठन से ही हो सकती है सुरक्षा के लिए संगठन को शक्ति भी देनी पड़ती है और वह संगठन शक्ति प्राप्त करने के बाद उस शक्ति को हमारी अमानत माने अपनी व्यक्तिगत शक्ति नहीं। इसके नियंत्रण का भी उपाय खोजना पड़ेगा जो उपाय अब तक खोजा नहीं जा सका है। भौतिक विज्ञान गॉड पार्टिकल खोज कर एक प्राकृतिक शक्ति पर खोज कर रहा है हम एक सामाजिक व्यवस्था पर रिसर्च कर रहे हैं। इस संबंध में हम पिछले कई दिनों से रात 8 से 9:30 बजे तक माथा पच्ची करते हैं कि ऐसा कौन सा तरीका हो जिस तरीके से हम राज्य को शक्ति तो दे लेकिन राज्य वही शक्ति हम पर प्रयोग करके तानाशाह ना बन सके। ऐसी व्यवस्था क्या हो सकती है। राजतंत्र के विकल्प के रूप में दुनिया ने लोकतंत्र की शुरुआत की राजतंत्र के विकल्प के रूप में भारत ने वर्ण व्यवस्था की शुरुआत की लेकिन लोकतंत्र और वर्ण व्यवस्था को किनारे करते हुए भी तानाशाही का खतरा समाप्त नहीं किया जा सका। अब हम इस लोकतंत्र और वर्ण व्यवस्था का भी एक नया विकल्प खोज रहे हैं जो लगभग असंभव है। यदि कोई विकल्प संभव नहीं है तो हम इन दोनों का एक संशोधित रूप खोज रहे हैं जिस संशोधित स्वरूप में हम वर्तमान की तुलना में एक अधिक अच्छा लोकतंत्र और वर्ण व्यवस्था समाज को दे सके इस संबंध में चर्चा जारी रहेगी।