आजम खान का अपमान और अमेरिका
उत्तर प्रदेश के एक मंत्री आजम खान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ किसी यूनिवर्सिटी के आमंत्रण पर भाषण देने अमेरिका गये थे। विदित हो कि अमेरिका में बाहर से आने वाले मुसलमानों की कुछ विशेष छानबीन होती रहती है और यदि आपके नाम के साथ खान जुड़ा हो तो छानबीन कुछ ज्यादा ही होती है। अमेरिका अपनी सतर्कता के साथ कोई समझौता कभी नहीं करता। अमेरिका इस मामले में किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करता। यदि आप मुसलमान हैं तो चाहे आप कोई भी क्यों न हों, आपको विशेष सतर्कता से गुजरना ही होगा और यदि आपके साथ खान जुड़ा है तो चाहे आप कितने भी तीस मार खां हों, आपको कोई विशेष रियायत नहीं मिल सकती। अमेरिका अपनी ऐसी सतर्कता के लिये प्रशंसा का पात्र हैं। दुर्भाग्य से हमारे बड़बोले और घमण्डी मंत्री आजम खान ने अमेरिका की इस सतर्कता की प्रशंसा करने की जगह नाराजगी व्यक्त करके देश के गौरव को ठेस पहुंचाई।
आजम भाई को जाने के पूर्व ही समझ लेना चाहिये था कि वे भारत भ्रमण पर न होकर अमेरिका जा रहे हैं। भारत में तो आप अपने संगठित होने के नाम पर मुसलमान होने का भरपूर लाभ उठाते हैं क्योंकि भाजपा को छोड़ कर हर राजनैतिक दल आपकी नाराजगी से डरता है। किन्तु अमेरिका को आपकी नाराजगी की कोई परवाह नहीं। वह तो राजनैतिक जोड़-तोड़ की अपेक्षा सतर्कता को ज्यादा महत्वपूर्ण मानता है। विचारणीय प्रश्न यह है कि आप अमेरिका जाने के पूर्व क्या यह नही जानते थे कि वहाँ खान शब्द कितना संवेदनशील है। आप कैसे समझ गये कि शाहरूख,सलमान के बाद अन्य खानों के लिये अमेरिका ने नियम बदल दिये होंगे। कई वर्ष पूर्व केन्द्रीय मंत्री जार्ज फर्नान्डीस तक को सुरक्षा के मामले में कोई रियायत नहीं मिली थी। यहाँ तक कि कई बार तो प्रधानमंत्री तक ऐसी विशेष जांच से गुजरते हैं और ऐसे समान व्यवहार की तारीफ करते हैं। किन्तु आपने अमेरिका को उत्तर प्रदेश समझने की भूल कर दी।
आम तौर पर स्वाभाविक रूप से मुसलमान अमेरिका से चिढ़ता है। इस बात को समझते हुए भी आप जैसे लोग अमेरिका जाने के लिये इतने लालायित क्यों रहते हैं? अमेरिका ने यदि किसी साधारण से कार्य के लिये आमंत्रित कर दिया तो आप लोग सारी दुनिया में ऐसा ढिंढोरा पीटते हैं जैसे कि स्वर्ग का आमंत्रण आ गया। स्पष्ट है कि आप लोग अमेरिका जाना भारत के लोगों पर रोब जमाने का अच्छा प्रमाण पत्र मानते हैं। यदि इसी तरह अमेरिका जाने के लिये लार टपकती है तो फिर इस छोटी सी बात का बतंगड़ क्यों? आप भारत में एक मंत्री होने के अलावा ऐसी क्या विशेषता रखते हैं कि अमेरिका आप पर विशेष विश्वास करे? आप उत्तर प्रदेश में भी साम्प्रदायिक ही माने जाते हैं जो हर जगह मुसलमान होने की अकड़ दिखाते हैं। जब आप भारत में भी रहकर पहले मुसलमान नेता हैं तब भारतीय तो अमेरिका ने तो आपके साथ ठीक ही व्यवहार किया है। कुछ वर्ष पूर्व जब अमेरिका शीत युद्ध में संलग्न था तब आपकी नाराजगी की उसे ज्यादा चिन्ता थी। अब अमेरिका एक ध्रुवीय विश्व का नेतृत्व कर रहा है। अब उसे आपकी नाराजगी की विशेष परवाह नहीं। फिर अमेरिका भी तो जानता है कि आप जैसे लोगों को भारत की जनता कितना धर्मनिरपेक्ष मानती है। भारत और अमेरिका आज भी समान स्तर पर नहीं। भारत के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी किसी अमेरिकी सांसद का प्रमाण पत्र प्राप्त हो जाने की अपनी योग्यता का ही प्रमाण पत्र मानने की तिकड़म करते हैं तो आपको यथार्थ समझना चाहिये कि भारत और अमेरिका के बीच दूरी घटने के बाद भी अमेरिका हमसे बहुत आगे है। हमें अमेरिका से समान व्यवहार की उम्मीद करना हमारी मूर्खता के अलावा और कुछ नहीं। बात बात में अमेरिकन विद्वानों के उदाहरण देने वाले भारतीय इस तरह अनावश्यक घटनाओं को तूल दें तो हम भारतवासियों को आप जैसों की नासमझी से शर्म महसूस करनी पड़ती है।
भारत सरकार को चाहिये कि भविष्य में अमेरिका जाने वाले अपने घमण्डी नेताओं को ट्रेनिंग देकर भेजें कि उन्हें वहाँ के नियम कानूनों को पालन करने की शालीनता दिखानी होगी। यदि कोई मुसलमान और वह भी खान जावे तो विशेष ट्रेनिंग देनी चाहिये क्योंकि बार-बार की ऐसी घटनाएँ हर भारतीय को दुख पहुंचाती है। ऐसी स्थितियां ही पैदा न हों यह अमेरिका ही नहीं, भारत भी सतर्कता बरते।
उत्तर प्रदेश के एक मंत्री आजम खान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ किसी यूनिवर्सिटी के आमंत्रण पर भाषण देने अमेरिका गये थे। विदित हो कि अमेरिका में बाहर से आने वाले मुसलमानों की कुछ विशेष छानबीन होती रहती है और यदि आपके नाम के साथ खान जुड़ा हो तो छानबीन कुछ ज्यादा ही होती है। अमेरिका अपनी सतर्कता के साथ कोई समझौता कभी नहीं करता। अमेरिका इस मामले में किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करता। यदि आप मुसलमान हैं तो चाहे आप कोई भी क्यों न हों, आपको विशेष सतर्कता से गुजरना ही होगा और यदि आपके साथ खान जुड़ा है तो चाहे आप कितने भी तीस मार खां हों, आपको कोई विशेष रियायत नहीं मिल सकती। अमेरिका अपनी ऐसी सतर्कता के लिये प्रशंसा का पात्र हैं। दुर्भाग्य से हमारे बड़बोले और घमण्डी मंत्री आजम खान ने अमेरिका की इस सतर्कता की प्रशंसा करने की जगह नाराजगी व्यक्त करके देश के गौरव को ठेस पहुंचाई।
आजम भाई को जाने के पूर्व ही समझ लेना चाहिये था कि वे भारत भ्रमण पर न होकर अमेरिका जा रहे हैं। भारत में तो आप अपने संगठित होने के नाम पर मुसलमान होने का भरपूर लाभ उठाते हैं क्योंकि भाजपा को छोड़ कर हर राजनैतिक दल आपकी नाराजगी से डरता है। किन्तु अमेरिका को आपकी नाराजगी की कोई परवाह नहीं। वह तो राजनैतिक जोड़-तोड़ की अपेक्षा सतर्कता को ज्यादा महत्वपूर्ण मानता है। विचारणीय प्रश्न यह है कि आप अमेरिका जाने के पूर्व क्या यह नही जानते थे कि वहाँ खान शब्द कितना संवेदनशील है। आप कैसे समझ गये कि शाहरूख,सलमान के बाद अन्य खानों के लिये अमेरिका ने नियम बदल दिये होंगे। कई वर्ष पूर्व केन्द्रीय मंत्री जार्ज फर्नान्डीस तक को सुरक्षा के मामले में कोई रियायत नहीं मिली थी। यहाँ तक कि कई बार तो प्रधानमंत्री तक ऐसी विशेष जांच से गुजरते हैं और ऐसे समान व्यवहार की तारीफ करते हैं। किन्तु आपने अमेरिका को उत्तर प्रदेश समझने की भूल कर दी।
आम तौर पर स्वाभाविक रूप से मुसलमान अमेरिका से चिढ़ता है। इस बात को समझते हुए भी आप जैसे लोग अमेरिका जाने के लिये इतने लालायित क्यों रहते हैं? अमेरिका ने यदि किसी साधारण से कार्य के लिये आमंत्रित कर दिया तो आप लोग सारी दुनिया में ऐसा ढिंढोरा पीटते हैं जैसे कि स्वर्ग का आमंत्रण आ गया। स्पष्ट है कि आप लोग अमेरिका जाना भारत के लोगों पर रोब जमाने का अच्छा प्रमाण पत्र मानते हैं। यदि इसी तरह अमेरिका जाने के लिये लार टपकती है तो फिर इस छोटी सी बात का बतंगड़ क्यों? आप भारत में एक मंत्री होने के अलावा ऐसी क्या विशेषता रखते हैं कि अमेरिका आप पर विशेष विश्वास करे? आप उत्तर प्रदेश में भी साम्प्रदायिक ही माने जाते हैं जो हर जगह मुसलमान होने की अकड़ दिखाते हैं। जब आप भारत में भी रहकर पहले मुसलमान नेता हैं तब भारतीय तो अमेरिका ने तो आपके साथ ठीक ही व्यवहार किया है। कुछ वर्ष पूर्व जब अमेरिका शीत युद्ध में संलग्न था तब आपकी नाराजगी की उसे ज्यादा चिन्ता थी। अब अमेरिका एक ध्रुवीय विश्व का नेतृत्व कर रहा है। अब उसे आपकी नाराजगी की विशेष परवाह नहीं। फिर अमेरिका भी तो जानता है कि आप जैसे लोगों को भारत की जनता कितना धर्मनिरपेक्ष मानती है। भारत और अमेरिका आज भी समान स्तर पर नहीं। भारत के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी किसी अमेरिकी सांसद का प्रमाण पत्र प्राप्त हो जाने की अपनी योग्यता का ही प्रमाण पत्र मानने की तिकड़म करते हैं तो आपको यथार्थ समझना चाहिये कि भारत और अमेरिका के बीच दूरी घटने के बाद भी अमेरिका हमसे बहुत आगे है। हमें अमेरिका से समान व्यवहार की उम्मीद करना हमारी मूर्खता के अलावा और कुछ नहीं। बात बात में अमेरिकन विद्वानों के उदाहरण देने वाले भारतीय इस तरह अनावश्यक घटनाओं को तूल दें तो हम भारतवासियों को आप जैसों की नासमझी से शर्म महसूस करनी पड़ती है।
भारत सरकार को चाहिये कि भविष्य में अमेरिका जाने वाले अपने घमण्डी नेताओं को ट्रेनिंग देकर भेजें कि उन्हें वहाँ के नियम कानूनों को पालन करने की शालीनता दिखानी होगी। यदि कोई मुसलमान और वह भी खान जावे तो विशेष ट्रेनिंग देनी चाहिये क्योंकि बार-बार की ऐसी घटनाएँ हर भारतीय को दुख पहुंचाती है। ऐसी स्थितियां ही पैदा न हों यह अमेरिका ही नहीं, भारत भी सतर्कता बरते।
उत्तर प्रदेश के एक मंत्री आजमखान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ किसी यूनिवर्सिटी के आमंत्रण पर भाषण देने अमेरिका गये थे। विदित हो कि अमेरिका में बाहर से आने वाले मुसलमानों की कुछ विशेष छानबीन होती रहती है और यदि आपके नाम के साथ खान जुड़ा हो तो छानबीन कुछ ज्यादा ही होती है। अमेरिका अपनी सतर्कता के साथ कोई समझौता कभी नहीं करता। अमेरिका इस मामले में किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करता। यदि आप मुसलमान हैं तो चाहे आप कोई भी क्यों न हों, आपको विशेष सतर्कता से गुजरना ही होगा और यदि आपके साथ खान जुड़ा है तो चाहे आप कितने भी तीस मार खां हों, आपको कोई विशेष रियासत नहीं मिल सकती। अमेरिका अपनी ऐसी सतर्कता के लिये प्रशंसा का पात्र हैं। दुर्भाग्य से हमारे बड़बोले और घमण्डी मंत्री आजमखान ने अमेरिका की इस सतर्कता की प्रशंसा करने की जगह नाराजगी व्यक्त करके देश के गौरव को ठेस पहुंचाई।
आजम भाई को जाने के पूर्व ही समझ लेना चाहिये था कि वे भारत भ्रमण पर न होकर अमेरिका जा रहे हैं। भारत में तो आप अपने संगठित होने के नाम पर मुसलमान होने का भरपूर लाभ उठाते हैं क्योंकि भाजपा को छोड़ कर हर राजनैतिक दल आपकी नाराजगी से डरता है। किन्तु अमेरिका को आपकी नाराजगी की कोई परवाह नहीं। वह तो राजनैतिक जोड़-तोड़ की अपेक्षा सतर्कता को ज्यादा महत्वपूर्ण मानता है। विचारणीय प्रश्न यह है कि आप अमेरिका जाने के पूर्व क्या यह नही जानते थे कि वहाँ खान शब्द कितना संवेदनशील है। आप कैसे समझ गये कि शाहरूख सलमान के बाद अन्य खानों के लिये अमेरिका ने नियम बदल दिये होंगे। कई वर्ष पूर्व केन्द्रीय मंत्री जार्ज फर्नान्डीस तक को सुरक्षा के मामले में कोई रियायत नहीं मिली थी। यहाँ तक कि कई बार तो प्रधानमंत्री तक ऐसी विशेष जांच से गुजरते हैं और ऐसे समान व्यवहार की तारीफ करते हैं। किन्तु आपने अमेरिका को उत्तर प्रदेश समझने की भूल कर दी।
आम तौर पर स्वाभाविक रूप से मुसलमान अमेरिका से चिढ़ता है। इस बात को समझते हुए भी आप जैसे लोग अमेरिका जाने के लिये इतने लालायित क्यों रहते हैं? अमेरिका ने यदि किसी साधारण से कार्य के लिये आमंत्रित कर दिया तो आप लोग सारी दुनिया में ऐसा ढिंढोरा पीटते हैं जैसे कि स्वर्ग का आमंत्रण आ गया। स्पष्ट है कि आप लोग अमेरिका जाना भारत के लोगों पर रोब जमाने का अच्छा प्रमाण पत्र मानते हैं। यदि इसी तरह अमेरिका जाने के लिये लार टपकती है तो फिर इस छोटी सी बात का बतंगड़ क्यों? आप भारत में एक मंत्री होने के अलावा ऐसी क्या विशेषता रखते हैं कि अमेरिका आप पर विशेष विश्वास करे? आप उत्तर प्रदेश में भी साम्प्रदायिक ही माने जाते हैं जो हर जगह मुसलमान होने की अकड़ दिखाते हैं। जब आप भारत में भी रहकर पहले मुसलमान नेता हैं तब भारतीय तो अमेरिका ने तो आपके साथ ठीक ही व्यवहार किया है। कुछ वर्ष पूर्व जब अमेरिका शीत युद्ध में संलग्न था तब आपकी नाराजगी की उसे ज्यादा चिन्ता थी। अब अमेरिका एक ध्रुवीय विश्व का नेतृत्व कर रहा है। अब उसे आपकी नाराजगी की विशेष परवाह नहीं। फिर अमेरिका भी तो जानता है कि आप जैसे लोगों को भारत की जनता कितना धर्मनिरपेक्ष मानती है। भारत और अमेरिका आज भी समान स्तर पर नहीं। भारत के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी किसी अमेरिकी सांसद का प्रमाण पत्र प्राप्त हो जाने की अपनी योग्यता का ही प्रमाण पत्र मानने की तिकड़म करते हैं तो आपको यथार्थ समझना चाहिये कि भारत और अमेरिका के बीच दूरी घटने के बाद भी अमेरिका हमसे बहुत आगे है। हमें अमेरिका से समान व्यवहार की उम्मीद करना हमारी मूर्खता के अलावा और कुछ नहीं। बात बात में अमेरिकन विद्वानों के उदाहरण देने वाले भारतीय इस तरह अनावष्यक घटनाओं को तूल दें तो हम भारत वासियों को आप जैसों की नासमझी से शर्म महसूस करनी पड़ती है।
भारत सरकार को चाहिये कि भविष्य में अमेरिका जाने वाले अपने घमण्डी नेताओं को ट्रेनिंग देकर भेजें कि उन्हें वहाँ के नियम कानूनों को पालन करने की शालीनता दिखानी होगी। यदि कोई मुसलमान और वह भी खान जावे तो विशेष ट्रेनिंग देनी चाहिये क्योंकि बार बार की ऐसी घटनाएँ हर भारतीय को दुख पहुंचाती है। ऐसी स्थितियां ही पैदा न हों यह अमेरिका ही नहीं, भारत भी सतर्कता बरते।
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