नया समाज
नया समाज
नया समाज बनायेंगे हम नया समाज बनायेंगे।
ज्ञान दीप की किरणों को हम घर-घर तक पहुचायंेगे।
नया समाज बनायेंगे हम.......................................
ऐसा एक समाज बनेगा जहां न होगी बेकारी,
गुण्डागर्दी छीना झपटी और न होगी लाचारी,
जिनके पांवो में छाले हैं हम उनको सहलायेंगें।
नया समाज बनायेंगे हम.......................................
जाति धर्म का भेद न होगा अपना सुन्दर सपना है,
भाषा के झगडे़ मिट जायें सारा ही जग अपना है,
सज्जन जन के हार गले में, हम मिलकर पहनायेंगे।
नया समाज बनायेंगे हम.......................................
मां बहनों की लाज न जाये ऐसा एक समाज बने,
लोकतंत्र का लोक प्रबल हो ऐसा सुन्दर राज बने,
गहन अंधेरा मिट जायेगा ऐसा दीप जलायेंगें।
नया समाज बनायेंगे हम.......................................
धूर्त तिकड़मी बांध न पायें मानवता के पांवों को,
भ्रष्टाचारी लूट न पायें सज्जनता के गांवों को,
मुरारी यह संदेष हमारा घर-घर तक पहुचायेंगे।
नया समाज बनायेंगे हम.......................................
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