इस समाज का हाल
राजनीति
राजनीति बन गई तवायफ, नेता हुये दलाल ।
ऐसे में क्या होगा भैया इस समाज का हाल ।।
स्ंासद को एक पलंग समझ कर उस पर शयन किया,
संविधान को मान के चादर खींचा ओढ़ लिया,
आज तिरंगा बना हुआ है राजनीति की ढाल ।
ऐसे में क्या होगा भैया इस समाज का हाल ।।
अनाचार जो आज हो रहा लोकतंत्र के साथ,
सत्ता में हों या विपक्ष में सब का इस में हाथ,
किसी को भारत माता की इज्जत का नहीं खयाल ।
ऐसे में क्या होगा भैया इस समाज का हाल ।।
आज देष का नौजवान हैं कुंठित और निराष,
रहती अपने रोजगार की जिस को रोज तलाष,
सड़कों-सड़कों दफ्तर दफ्तर घूम रहा बेहाल,
ऐसे में क्या होगा भैया इस समाज का हाल ।।
लेकतंत्र को लूटतंत्र है बना दिया गद्दारों ने,
लोक यहॉ कैदी बन बैठा संसद की दीवारों में,
लोक फंसा है कानूनों में, तंत्र है मालामाल ।
ऐसे में क्या होगा भैया इस समाज का हाल ।।
लोक मंच आह्वान कर रहा है कनहर के तीर,
नेता कर कानून सुधारो तभी मिटेगी पीर,
करो प्रतीक्षा अब आगे मत कहें मुरारी लाल ।
तब ही तो सुधरेगा भैया इस समाज का हाल ।।
Comments