दिल्ली कार्यालय का महिला आरक्षण पर चर्चा
28.महिला आरक्षण पर चर्चाः
कल रात मार्गदर्शन संस्थान के दिल्ली कार्यालय में महिला आरक्षण विषय पर एक स्वतंत्र चर्चा आयोजित की गई थी। इस चर्चा में कुछ महिलाएं भी शामिल थी। मुझे भी आयोजकों ने अपनी बात रखने का अवसर दिया। मैंने मुख्य रूप से यह विचार रखा कि परिवार व्यवस्था की पहली इकाई है। परिवार में महिला और पुरुष का तब तक कोई अलग-अलग विभाजन नहीं होता जब तक वह किसी संयुक्त परिवार का एक सदस्य है। परिवार में महिलाओं के भी संयुक्त अधिकार होते हैं, अलग अधिकार नहीं। परिवार में किसे मजबूत होना चाहिए यह परिवार तय कर सकता है कानून नहीं। महिला सशक्तिकरण की आवाज पश्चिमी देशों से आयी है जहां परिवार को कानूनी मान्यता नहीं है। भारत में इस तरह की आवाज उठाना बहुत घातक परंपरा होगी। जिस तरह दो प्रतिशत आधुनिक महिलाएं इस प्रकार के आरक्षण की आवाज उठा रही है, उन महिलाओं का पारिवारिक स्वार्थ इस आंदोलन में छिपा हुआ है। संसद कुछ सीमित परिवारों तक सिमटी जा रही है तथा महिला आरक्षण के बाद कुछ परिवारों में और अधिक सिमट जाएगी। अभी तक जो भी आरक्षण दिए गए हैं उनका समाज में आंशिक लाभ हुआ और व्यापक टकराव हुआ है। हम मणिपुर में भी देख रहे हैं, महाराष्ट्र के आंदोलन का भी हाल खराब है। देश के अन्य प्रदेशों में भी जातीय जनगणना के नाम पर समाज को आरक्षण के टकराव में डालने की तैयारी हो रही है। यह महिला आरक्षण की आवाज भी समाज के लिए बहुत घातक सिद्ध होगी। चर्चा में अन्य वक्ताओं ने भी पक्ष विपक्ष में अपने अलग-अलग विचार रखें और दो घंटे की चर्चा के बाद यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा हुआ।
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