आर्य समाज में समूचे विश्व को हिन्दुत्व की दिशा धारा में ले चलने का सामर्थ्य: सुप्रसिद्ध समाज विज्ञानी श्रद्धेय बजरंग मुनि GT-440
आर्य समाज में समूचे विश्व को हिन्दुत्व की दिशा धारा में ले चलने का सामर्थ्य: सुप्रसिद्ध समाज विज्ञानी श्रद्धेय बजरंग मुनि
अंबिकापुर में प्रांतीय आर्य सभा क्षत्तिसगढ़ के तत्वावधान में आयोजित 201 कुंडीय विश्व शांति यज्ञ का सफल आयोजन नगर के संत हरकेवल दास शिक्षण महाविद्यालय के परिसर में किया गया। इस आयोजन में रामानुजगंज निवासी सरगुजा के गौरव सुप्रसिद्ध मौलिक विचारक समाज विज्ञानी श्रद्धेय बजरंग मुनि जी को नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया। यज्ञ की ब्रह्मा विश्वप्रसिद्ध पाणिनि कन्या गुरुकुल वाराणसी की प्राचार्या विदुषी बहन नंदिता शास्त्री जी ने अपने कर कमलों द्वारा वह सम्मान श्रद्धेय जी को दिया। कार्यक्रम में जसपुर राजघराने के प्रबल प्रताप सिंह जी की अगुवाई में, वे ग्रामीण वा आदिवासी जो हमारी अदूरदर्शिता और संवादहीनता के कारण पंथच्युत हो चंगाई सभा द्वारा ईसाई बना दिए गए थे उनका प्रायश्चित स्वरूप चरण पखार कर घर वापसी कराई गई। दिलीप सिंह जूदेव 'कुमार साहब' के पुत्र प्रबल प्रताप सिंह जी एवं पौत्र ना केवल परम्परा निर्वहन के लिए बल्कि सचेस्ट घर वापसी पर काम करते रहे हैं।
ऐसे महान ऐतिहासिक अवसर पर श्रद्धेय मुनि जी ने कहा कि महर्षि दयानन्द की विरासत ने उन्हें सामाजिक छुआछूत ना मानने के कारण हिन्दू धर्म से निष्कासित किए जाने पर उनकी सहायता की और उन्हें सगर्व इस महान सनातन संस्कृति की 'वैचारिक संतुलनवादी हिन्दुत्व' की दिशा धारा से परिचित कराया। उन्होंने कहा मोदी के रहते हिन्दुत्व को कोई खतरा नहीं। आज सम्पूर्ण विश्व हिंसा आक्रोश और स्वार्थपरता की गम्भीर वैयक्तिक दोषों और व्यवस्था के केन्द्रीयकरण से बिगड़े शक्ति संतुलन का समाधान ढूंढ़ रहा है उसका एक मात्र उपाय भारत की प्राचीन सामाजिक व्यवस्था के दो अनमोल उपहार #लोक_स्वराज और #ज्ञानयज्ञ ही है। "सब मनुष्यों को सामाजिक सर्वहितकारी नियम पालने में परतंत्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतंत्र रहे।" आर्य समाज के 10वें नियम को अपने जीवन की बहुमूल्य पूंजी बताते हुए कहा कि भारतीय सनातन आर्य हिन्दू संस्कृति ही एकमात्र ऐसी संस्कृति है जो व्यक्ति को सहजीवन में रहते हुए असीम स्वतंत्रता की गारंटी दे सकती है। हिन्दुत्व अपने इस वैचारिक सौन्दर्य से सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन कर सकता है।
आर्यवीर दल के पांच दिवसीय बालक एवं बालिका प्रशिक्षण शिविर के शिविरार्थियों के वीरतापूर्ण प्रदर्शन एवं गुरुकुल की ब्रह्मचारिणियों के सुन्दर वेदपाठ ने आये हुए अतिथियों का मन मोह लिया। सभा ऐसे आयोजनों की एक श्रृंखला पूरे छत्तीसगढ़ प्रांत में आयोजित करेगी।
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