हिंदुत्व और राममन्दिर २ GT 441

5-हिन्दुओं की एकजुटता से तुश्टीकरण करने वालों के पेट में मरोड़ -

अभी मैं रायपुर शहर में हूं। मैंने रायपुर का जो वातावरण देखा उस वातावरण को देखकर ऐसा स्पष्ट हुआ कि भारत में पुरानी मान्यताएं बिल्कुल बदल रही हैं। पहले मैं हमेशा सुनता था और अनुभव भी करता था कि मुसलमान भारत का एक जुट है हिंदू एकजुट हो ही नहीं सकता। मुसलमान जिसे चाहेगा वही चुनाव में जीत सकता है, वहीं सरकार बन सकती है यह धारणा सत्तारूढ़ दल की भी थी और विपक्ष की भी थी लेकिन पिछले पांच सात वर्षों में यह धारणा बदलने लगी और आज का रायपुर का वातावरण देखकर मुझे यह महसूस हुआ यह धारणा पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है। अब तो ऐसा दिख रहा है कि मुसलमान एकजुट हो ही नहीं सकता और हिंदू एकजुट हो सकता है। जो लोग पहले यह कहा करते थे कि अल्पसंख्यक तुष्टिकरण राजनीति के लिए आवश्यक है। वही लोग अब इस प्रकार की भाषा बोलने लगे हैं कि बहु संख्यक तुष्टिकरण का खतरा बढ़ता जा रहा है। मैं यह देख रहा हूं कि 70 वर्षों तक जो आंख पर पट्टी बांधकर अल्पसंख्यक तुष्टीकरण से संतुष्ट थे आज उन्हें बहुसंख्याक तुष्टिकरण की गंध आने लगी है। जो भारत में बदलाव दिख रहा है वह बदलाव अप्रत्याशित है लेकिन परिस्थितियों के अनुसार आवश्यक था उचित है। और भविष्य में ठीक दिशा में ले जाएगा।

 

6- रामराज्य में हिन्दुत्व निर्भय होकर विष्वामित्र बन यज्ञ करें -

दुनिया के लिए हिंदुत्व सिर्फ एक धर्म नहीं संगठन नहीं विचारधारा है मार्गदर्शक है समस्याओं के समाधान बताने वाला है। अब हिंदुत्व का खतरा पूरी तरह समाप्त हो चुका है। जब हजारों वर्ष पहले हिंदुत्व में कुछ विकृतियों आई थी अथवा हिंदुत्व को आक्रमण झेलने पड़े थे और हिंदुत्व गुलाम हो गया था समाप्त होने का खतरा था उस समय हिंदुत्व ने सुरक्षात्मक तरीके से अपने को बचा लिया। हिंदुत्व दुनिया का मार्गदर्शन नहीं कर सका परिणाम स्वरुप दुनिया में अनेक प्रकार की विकृतियां पैदा हुई। आर्थिक राजनीतिक सामाजिक धार्मिक सभी क्षेत्रों में गिरावट आई क्योंकि मार्गदर्शन का अभाव हो गया था और उच्छृखलता बढ़ती जा रही थी। अब इस अयोध्या की घटना के बाद हिंदुत्व का संकट टल गया है। सुरक्षा की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी और भारत सरकार ने संभाल ली है। अब हिंदुत्व स्वतंत्रता पूर्वक इस दुनिया का मार्गदर्शन करने के लिए तैयार हो सकता है जैसा राम की पहरेदारी के बाद निष्कंटक होकर विश्वामित्र यज्ञ कर रहे थे। अब हिंदुत्व को सुरक्षा की चिंता छोड़कर विस्तार की चिंता करनी चाहिए, दुनिया का मार्गदर्शन करना चाहिए दुनिया को राह बतानी चाहिए। स्पष्ट है कि सुरक्षात्मक उपाय अलग होते हैं और प्रचारात्मक उपाय अलग होते हैं विस्तार के मार्ग वही नहीं होते जो सुरक्षा के होते हैं इसलिए हिंदुत्व को अब अपने बिस्तार की दिशा में तैयारी करनी चाहिए। इस तैयारी पर मैं आपको कल लिखूंगा।

 

7-मजबूत होता हिन्दुत्व का वैचारिक धरातल

यह बात अब साफ दिखने लगी है कि दुनिया में हिंदुत्व वैचारिक धरातल पर भी आगे बढ़ रहा है और संगठनात्मक रूप से भी। अब दुनिया में हिंदुत्व की एक अच्छी पहचान बन रही है इस इसकी शुरुआत भारत से ही हुई है। कश्मीर में धारा 370 का समाप्त होना अयोध्या में राम मंदिर का बन जाना वाराणसी में मंदिर में पूजा पाठ शुरू करना मथुरा में भी धीरे-धीरे आगे बढ़ते जाना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि इस्लाम ने ताकत के बल पर हिंदुत्व को कमजोर किया था और हिंदुत्व कानून के बल पर इस्लाम को कमजोर करेगा। इस्लाम इश निंदा कानून का सहारा लेकर अत्याचार करता है हिंदुत्व समान नागरिक संहिता को आगे लाकर दुनिया के हर नागरिक को बराबरी का अधिकार देना चाहता है। आज भारत की यह स्थिति है कि एक मौलाना ने राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने की गलती कर दी और सिर्फ इस गलती के लिए उसके खिलाफ सांप्रदायिक मुसलमान ने फतवा जारी कर दिया किसी नेहरूवादी या कम्युनिस्ट नेता ने फैसले के विरुद्ध में एक शब्द भी नहीं कहा। स्पष्ट है कि धीरे-धीरे इस्लाम या तो सुधरेगा या दुनिया से समाप्त हो जाएगा। दुनिया के लोगों को बराबरी का अधिकार तो देना ही होगा वर्तमान दुनिया ताकत के बल पर इस्लाम के प्रचार को स्वीकार नहीं करेगी। पहली बार किसी मौलाना ने इतनी हिम्मत की है और फतवे के बाद भी हिम्मत दिखाई है सावरकर वीडियो को भी इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि सारे मुसलमान एक है और सब मुसलमान को देशद्रोही घोषित कर दिया जाए। मैं सावरकरवादी और सांप्रदायिक मुसलमान दोनों को एक ही थैली के चट्टे बट्टे मानता हूं। दुनिया में हिंदू की प्रतिस्पर्धा इस्लाम के साथ चल रही है हिंदुत्व वैचारिक धरातल को लेकर आगे बढ़ना चाहता है। इस्लाम संगठन आत्मक ताकत के बल पर। हिंदुत्व की जो परिभाषा गांधी ने दी थी वह परिभाषा वर्तमान समय में बहुत उपयुक्त है सावरकर की परिभाषा उस समय उपयुक्त थी जब हिंदुत्व खतरे में था आज नहीं जब हिंदुत्व खतरे से बाहर है। अब नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत सुरक्षा की जिम्मेदारी ले चुके हैं। सावरकर का हिंदुत्व एक दवा है गांधी का हिंदुत्व एक टानिक है भारत की वर्तमान परिस्थितियों में दवा का प्रयोग नुकसान करेगा इस समय तो हमें टॉनिक की जरूरत है। इसलिए मेरा आपसे निवेदन है कि हमें सांप्रदायिकता से दूर हो जाना चाहिए सांप्रदायिकता का खुलकर विरोध कीजिए वैचारिक हिंदुत्व अपने आप इस्लाम को पीछे कर देगा। नरेंद्र मोदी मोहन भागवत गांधी विचारों के साथ मिलकर जो मार्ग दिखा रहे हैं उसे मार्ग पर चलने की जरूरत है आप आस्वस्त रहिए जल्दी ही वाराणसी और मथुरा ही नहीं अन्य अनेक स्थान भी सांप्रदायिक इस्लाम से मुक्त हो जाएंगे।

 

8-ज्ञानवापी को तहखाने में पर पूजा का अधिकार मिलना न्यायोचित -

अयोध्या मंदिर और वाराणसी मंदिर की परिस्थितियों में बहुत फर्क है। जिस समय अयोध्या में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनी उस समय भारत गुलाम था मुसलमान भारत के राजा थे उस समय उन लोगों ने मंदिरों को तोड़ा। लेकिन वाराणसी के मंदिर में जिस समय पूजा पाठ बंद कराई गई उस समय भारत स्वतंत्र था उस समय नेहरू परिवार और नेहरू की संस्कृति भारत में चल रही थी। ऐसे स्वतंत्रता के काल में आज से 30 वर्ष पहले वाराणसी मंदिर में पूजा बंद करा दी गई। यह तो नई परिस्थितियों पैदा हुई और यहां वाराणसी में फिर से पूजा की अनुमति देने का प्रयत्न हो रहा है ।

 

आज चर्चा का अंतिम दिन है। 30 वर्ष पहले मंदिर में पूजा और ऊपर वाली मस्जिद में नमाज अदा की जाती थी। प्रशासन में मुलायम सिंह के कार्यकाल में दोनों को बंद कर दिया। हिंदुओं ने इसका विरोध किया और मुसलमान ने नहीं किया। अब प्रशासन ने हिंदुओं को पूजा पाठ की अनुमति दे दी। मुसलमानों को चाहिए था कि वे भी नमाज की अनुमति मांगते। किंतु मुसलमानों को हिंदुत्व के खिलाफ हमेशा आक्रामक ही रहना है जो मुसलमानों की एक बुराई है। आज वाराणसी के मुसलमानों ने वाराणसी में व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद करने की घोषणा की है। मेरी जानकारी के अनुसार बंद का बहुत मामूली असर है। कुछ मुसलमान दुकानदारों ने अपनी दुकाने बंद कर दी है और हिंदू दुकानदारों ने इस बंदी का यह कहकर स्वागत किया है कि यदि ऐसी दुकान बंदी लंबे समय तक चलती रहे तो यह झगड़ा अपने आप निपट जाएगा। मैं नहीं समझता कि भारत का मुसलमान किन गलत लोगों के बहकावे में इस प्रकार की गलती कर रहा है। यदि मुसलमान इस प्रकार के झगड़ों को सदा-सदा के लिए निपटाना चाहता है तो उसे उमा भारती की सलाह मान लेनी चाहिए कि काशी, मथुरा समझौते के अंतर्गत हिंदुओं को दे दिया जाए और हिंदू भविष्य में किसी अन्य मस्जिद पर दावा नहीं करेंगे। अन्यथा धीरे-धीरे काशी, मथुरा तो हाथ से जाएगा देश की अन्य अनेक मस्जिदों पर भी सच या झूठ दावेदारी का रास्ता खुल जाएगा।

 

9-साम्प्रदायिकता और संगठनवाद -

समाचार है कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में बजरंग दल से जुड़े नेता सहित चार लोगों को इसलिए गिरफ्तार किया गया है कि उन्होंने दंगा करने के उद्देश्य से किसी शहाबुद्दीन नामक मुसलमान को 2000 रुपये देकर उससे गौ हत्या करवाई या गाय के टुकड़े को किसी अन्य जगहों पर रखवाए थे। स्पष्ट है कि सांप्रदायिकता सिर्फ सांप्रदायिकता होती है, हिंदू मुसलमान का भी भेद नहीं करती। मुरादाबाद की इस घटना से यह बात साफ होती है कि हिंदू सांप्रदायिकता भी किसी भी सीमा तक आगे बढ़कर षड्यंत्र कर सकती है। मैंने स्वयं 40 वर्ष पूर्व अयोध्या में इस प्रकार की घटनाओं का प्रत्यक्ष जज लिया था। मेरी फिर से यह धारणा है कि मुस्लिम सांप्रदायिकता को दबाने के लिए हिंदू सांप्रदायिकता का सहारा तो लिया जा सकता है किंतु हिंदू सांप्रदायिकता को प्रोत्साहित करना खतरनाक होगा। उत्तर प्रदेश की सरकार इस बात के लिए बधाई के पात्र है कि उसने मुरादाबाद में एक बड़ी साजिश का खुलासा कर दिया। मेरे विचार से इस निष्पक्ष के मामले में योगी सरकार का कार्यकाल बहुत अच्छा है। संघ परिवार को इस प्रकार के मामलों में और सावधान रहना चाहिए।