राजनैतिक : विविध विषय GT - 445
उद्योगपतियों के विरोध का परिणाम है कांग्रेस का आर्थिक संकट :
कल एक प्रेस कांफ्रेंस करके राहुल गांधी समेत अनेक कांग्रेसी नेताओं ने इस बात का रोना रोया कि उनके पास पैसे की कमी हो गई है । जिन उद्योगपतियों ने धन दिया है उनमें भी 56% ने भारतीय जनता पार्टी को और 11% में कांग्रेस को पैसा दिया है। यह समस्या तो वास्तव में होनी ही थी । उद्योगपति किसी भी राजनीतिक दल को किसी स्वार्थ के लिए ही धन देता है दान नहीं देता । राहुल गांधी को मैंने कई बार कहा था कि आप जिस प्रकार उद्योगपतियों का विरोध कर रहे हैं जिस प्रकार उद्योगों का विरोध कर रहे हैं यह कम्युनिस्ट लाइन है और इससे आपके पास धन की कमी होगी। बड़ी विचित्र बात यह है कि राहुल गांधी ने बड़े उद्योगपतियों का ही विरोध नहीं किया बल्कि उद्योगों का भी विरोध किया । कहीं भी अगर कोयला खनन हो रहा है तो राहुल गांधी पहुंच जाते हैं खदान नहीं चलनी चाहिए कहीं भी यदि कोई उद्योग लगता है तो कांग्रेस नेता इसका विरोध करने के लिए खड़े हो जाते हैं। मुझे तो आश्चर्य है कि 11% धन भी राहुल गांधी की कांग्रेस को उद्योगपतियों ने क्यों दिया क्योंकि वह तो एक पैसा भी देने लायक नहीं थे । जो व्यक्ति आंख बंद करके उद्योगों का विरोध करता है उसे उद्योगपति धन क्यों दे । मुझे इस बात का संदेह हैकि अडानी अंबानी को गाली दिलवाने के लिए जिन उद्योगपतियों ने राहुल गांधी को धन दिया कांग्रेस पार्टी को चंदा दिया उनकी योजना भी अब सफल नहीं होने वाली है क्योंकि सरकार को यह पता चल गया है कि किन लोगों ने कांग्रेस को पैसा दिया है और निश्चित रूप से उनके यहां छापे पड़ेंगे। मैं समझता हूं की राजनीति में इस प्रकार की गलती कांग्रेस पार्टी को आर्थिक संकट में डाल रही है । कांग्रेस पार्टी को फिर से विचार करना चाहिए । कांग्रेस को यह उम्मीद थी कि जिस तरह चीन सरकार ने उसकी मदद की है इस तरह चीन की सरकार फिर से उन्हें आर्थिक मदद करेगी यह कांग्रेस पार्टी का सोच भूल है विदेशी धन के भरोसे पार्टी नहीं चलाई जा सकती उसे तो भारतीय धन ही उपयुक्त होगा कांग्रेस पार्टी को अपनी नीतियों पर विचार करना चाहिए
कोंग्रेस का पूरा संघर्ष व्यवस्था को भ्रष्टाचारी सिद्ध करना है :
कई दिनों से राहुल गांधी इस बात की प्रतीक्षा कर रहे थे की इलेक्टोरल बांड में अडानी अंबानी जैसे लोगों का नाम आएगा उन्हें इस बात का पक्का विश्वास था की चुनाव के पहले एक राजनीतिक भूकंप आएगा और उस भूकंप में सट्टा रूढ दल धराशाई हो जाएगा लेकिन राहुल और उनके पूरे टीम को इस बात से बहुत निराशा हुई कि इलेक्टोरल बांड रूपी तूफान से एक पत्ता भी नहीं हिला इस भूकंप से कुछ भी बदला नहीं क्योंकि जिनके विषय में उम्मीद थी उन्होंने दूसरे तरीकों से भारतीय जनता पार्टी को धन- दिया बांड के रूप में नहीं। बांड के रूप में जो भी धन मिला वह सभी राजनीतिक दलों को मिला जिसको जनता से जितना समर्थन प्राप्त था। मैं यह मानता हूं कि उद्योगपति किसी भी समय में दान नहीं करते खासकर राजनीतिक दलों को तो करते ही नहीं है भले ही धार्मिक दान कर दें राजनीतिक दलों को अपने स्वार्थ के हिसाब से ही देते हैं और उसी हिसाब से उन्होंने दिए भी हैं लेकिन चुनाव के ठीक पहले राहुल गांधी की सारी उम्मीदें फेल हो गई और अब उनके पास सिर्फ एक ही उम्मीद बची है कि सारे चोर लोगों को एकजुट कर लिया जाए अगर सभी चोर एकजुट हो जाएंगे तो हो सकता है कि भाजपा के भी चोर लोग उसमें शामिल हो जाए और सभी मिलकर नरेंद्र मोदी की मुहिम को कमजोर कर दें । मुझे लगता है कि राहुल गांधी की यह उम्मीद भी असफल हो जाएगी। मैं अब भी यह महसूस करता हूं कि विपक्ष को भ्रष्टाचार का विरोध करना चाहिए भ्रष्ट लोगों का समर्थन करना किसी भी दृष्टि से ठीक नहीं है । भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या है और भ्रष्टाचार का पूरी तरह समापन होना चाहिए।
इलेक्टोरल बांड की भी हवा निकल गई सुप्रीम कोर्ट ने भी बहुत जोर लगाया विपक्षी दलों के नेताओं को तो इलेक्टरल बॉन्ड पर बहुत ज्यादा उम्मीद थी लेकिन जिसे वह एटम बम समझ रहे थे वह तो पडाका निकला। अब हमारे देश के विपक्षी नेता एकजुट होकर चुनाव आयोग के पास गए हैं कि किसी भी रूप में आप ईडीसीबीआई से हमें मुक्ति दिलाइए क्योंकि नरेंद्र मोदी पूरी तरह भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने पर धुले हुए हैं और लगभग सभी भ्रष्ट नेता चारों तरफ छटपटा रहे हैं जेल नहीं जाना चाहते । उनके सामने बहुत आसान मार्ग है वह जाकर नरेंद्र मोदी को प्रणाम कर दें और भविष्य में भ्रष्टाचार न करने की कसम ले ले लेकिन हमारे देश के नेता इसके लिए तैयार नहीं है क्योंकि जिस मांसाहारी जीव को मानव खून का स्वाद लग जाता है वह घास पात खाना पसंद नहीं करता। हमारे विपक्षी नेताओं को भ्रष्टाचार का स्वाद लग गया है उन्हें जेल जाना पसंद है लेकिन ईमानदारी से राजनीति करना पसंद नहीं है । मुझे आश्चर्य होता है की हमारे सभी राजनेता इस बात को अच्छी तरह जानते हैं की चुनाव आयोग इस संबंध में कुछ नहीं कर सकता चुनाव आयोग सिर्फ उन्हें सरकारी कर्मचारी के मामले में हस्तक्षेप कर सकता है जिनकी चुनाव कराने में भूमिका हो जो सरकारी कर्मचारी चुनाव से जुड़े हुए नहीं है इस मामले में चुनाव आयोग कुछ नहीं कर सकता लेकिन हमारे विपक्षी नेता इस कदर परेशान हो गए हैं कि वह गली-गली दौड़ रहे हैं। यह बात बिल्कुल निश्चित है कि आपको ईमानदार रहने की गारंटी देनी ही होगी अन्यथा आपका जेल जाना निश्चित है। इसलिए मेरी आपको सलाह है जाइए नरेंद्र मोदी से मिलकर ईमानदार रहने का वचन दीजिए और फिर ईमानदारी से राजनीति करिए आपको किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं रहेगा।
कोंग्रेस के मनमाने कानूनों की मार खुद उसी पर :
वर्तमान समय में भारत में आम चुनाव हो रहे हैं इस समय भारत के आयकर विभाग में कांग्रेस पार्टी को 1700 करोड़ रुपया जमा करने का नोटिस दिया है। पिछले चार-पांच वर्षों से कांग्रेस पार्टी पैसा जमा नहीं कर रही थी वह सारा पैसा ब्याज समेत 1700 रुपया करोड़ रूपया हो गया। कांग्रेस पार्टी न्यायालय में जाकर स्टे लेती रही और कल न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी इस तरह अब कांग्रेस पार्टी को 1700 करोड़ रूपया देना है इसका अर्थ यह हुआ कि कांग्रेस पार्टी के जो खाते अभी काम कर रहे हैं वह भी जप्त किए जा सकते हैं । मैं आपको स्पष्ट कर दूं कि कांग्रेस पार्टी ने 10 वर्ष पूर्व अनेक ऐसे कानून बना दिए थे जिसे आयकर कानून के अंतर्गत उद्योगपतियों और व्यापारियों को कितना भी प्रताड़ित किया जा सकता था । उन्ही कानून के अंतर्गत और उसी कांग्रेस पार्टी के द्वारा नियुक्त अफसर अब कांग्रेस पार्टी के साथ धन वसूली का अभियान चला रहे हैं। कानून वही है अफसर वही है । मैंने पहले भी कई बार लिखा है कि कांग्रेस पार्टी में दूसरों के लिए जो गड्ढे खोदे थे उन गड्ढों में अब खुद गिर रही है और जब गिर रही है तब चिल्ला रहे हैं कि देखिए मेरे साथ अन्याय हो रहा है। दूसरों के साथ अन्याय करने के लिए ऐसे ऐसे रद्दी कानून बनाने में आपको बहुत मजा आ रहा था। वर्तमान चुनाव खत्म होने के बाद वर्तमान सरकार को भी चाहिए कि वह इस प्रकार के कानून पर फिर से विचार करें
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