अल साल्वाडोर में साबित हुआ न्याय और सुरक्षा जनता की पहली मांग: GT446
अल साल्वाडोर में साबित हुआ न्याय और सुरक्षा जनता की पहली मांग:
१० दुनिया में एक छोटा सा देश अल-साल्वाडोर लोकतंत्र के समक्ष एक नई चुनौती पेश कर रहा है। वहाँ की कुल आबादी एक करोड़ से भी कम है और मुख्यतः ईसाई ही अधिक हैं। पिछले कुछ वर्षों में वहाँ नाईब बुकेली नामक राष्ट्रपति यह घोषणा करके चुने गए थे कि वह सबसे पहले इस देश को अपराधियों से मुक्त करेंगे। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपना वादा पूरा किया और सभी बड़े अपराधियों को जेल में बंद कर दिया गया। न्याय व्यवस्था में भी सुधार किया गया। अब अगला चुनाव हुआ तो बुकेली को उसे देश में 85% मत प्राप्त हुए वहाँ की जनता इस बात से पूरी तरह संतुष्ट रही की बुकेली ने अपना वादा निभाया। अल-साल्वाडोर के आसपास के देश भी इस विषय पर गंभीरता से सोच रहे हैं कि क्या हमें भी अल-साल्वाडोर सरीखी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर चलना उचित है? अल-सल्वाडोर ने जरा भी लोकतंत्र नहीं छोड़ा है। वह पूरी तरह लोकतांत्रिक प्रक्रिया से आगे बढ़ रहे हैं और अप्रत्यक्ष रूप से तानाशाही का सहारा ले रहे हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी अल साल्वाडोर की तरह ही लोकतंत्र का नया संस्करण प्रस्तुत कर रही है। उत्तर प्रदेश में भी उसी तरह सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। स्थिति यहाँ तक आ गई है कि कुछ अति कट्टरपंथी मुसलमान और विपक्षी दलों को छोड़कर बाकी मुसलमान भी धीरे-धीरे इस सच्चाई को समझने लगे हैं। मुझे उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी भी इस चुनाव के बाद देश के समक्ष एक ऐसा लोकतांत्रिक ढांचा प्रस्तुत करेंगे जो सारी दुनिया के लिए आदर्श हो सकता है।
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