बहुत तेज़ गति से होना चाहिए निजीकरण : GT 446
बहुत तेज़ गति से होना चाहिए निजीकरण :
१५ मैं बहुत पहले से लगातार यह कहता रहा हूँ कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए दो अलग-अलग दिशाओं से एक साथ काम शुरू करना पड़ेगा। एक कार्य है अधिकतम निजीकरण और दूसरा उच्च पदों पर बैठे हुए राजनेताओं और सरकारी अफसरों को जेलों में बंद करना। मैं देख रहा हूँ कि सरकार दोनों दिशाओं में सक्रिय है। भ्रष्ट अफसर और नेता लगातार जेलों में बंद किए जा रहे हैं दूसरी ओर निजीकरण की गति भी बढ़ाई जा रही है। आज ही यह समाचार मिला है कि मोदी सरकार ने रेलों का संचालन निजी हाथों में देने की घोषणा कर दी है। शुरुआत में मुंबई हावड़ा के बीच चलने वाली दो रेले निजी कंपनियों को दी जा रही है। यह कार्य तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था लेकिन भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के विरोध को देखते हुए भारत सरकार बहुत संभल-संभल कर निजीकरण कर रही है। सरकार को चाहिए कि वह बहुत तेज गति से सरकारीकरण को समाप्त करें। सरकारीकरण का मुख्य उद्देश्य तो भ्रष्टाचार करना और अधिक से अधिक लोगों को सरकारी नौकर बनाने तक सीमित था। अब नई सरकार का उद्देश्य न भ्रष्टाचार करना है न सरकारी नौकरों की संख्या बढ़ाना है। सरकार खुले बाजार और स्वतंत्र प्रतिस्पर्धा की योजनाओं को आगे ले जाना चाहती है। इन दोनों दिशाओं में चलने के लिए वर्तमान चुनाव के बाद का समय सबसे अधिक उपयुक्त है। भारत सरकार अगली सरकार की कार्यप्रणाली पर अभी से विचार कर रही है। उसे चाहिए कि वह बहुत तेज गति से निजीकरण करें जिससे सरकारी विभाग भी टूटते जाएँ और सरकारी नौकरों की संख्या भी कम हो सके। मैं सरकार की दिशा से संतुष्ट हूं लेकिन धीमी प्रगति से संतुष्ट नहीं हूँ। सरकार को हम सबसे जितना समर्थन चाहिए उससे अधिक हम दे रहे हैं तो सरकार के लिए भी उचित है कि हम जितनी तेज गति से निजीकरण चाहते हैं उससे भी अधिक तेज गति से सरकार इस दिशा में आगे बढ़े। सरकार को अपनी भविष्य की योजनाओं में हमारी इस मांग को शामिल करना चाहिए।
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