ईवीएम पर सुप्रीमकोर्ट का निर्णय स्वागतयोग्य: GT 447

ईवीएम पर सुप्रीमकोर्ट का निर्णय स्वागतयोग्य:

            मैंने अपने जीवन के 70 से अधिक वर्षों में अनेक चुनाव में भाग लिया और चुनाव का संचालन भी किया। मैंने स्वयं देखा कि पुराने जमाने में जो चुनाव होते थे उन चुनावों में बूथ कब्जा होता था। जो ताकतवर होता था वह बलपूर्वक मतदान करवा देता था। धीरे-धीरे चुनाव प्रणाली में बदलाव होने लगा धांधली कुछ कम होनी शुरू हुई, बाद में चुनाव ईवीएम से होने लगा और यह लूटमार पूरी तरह बंद हो गई। जब से चुनाव प्रणाली में सुधार शुरू हुए, तब से ही धीरे-धीरे कांग्रेस पार्टी कमजोर होती चली गई और भारतीय जनता पार्टी आगे बढ़ने लगी क्योंकि लूटमार और धांधली का हस्तक्षेप चुनाव में घटने लगा। पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस पार्टी तथा विपक्ष के अनेक नेताओं ने यह महसूस किया कि जब तक चुनाव में धांधली नहीं की जाएगी, तब तक नरेंद्र मोदी से वैचारिक धरातल पर चुनाव जीतना असंभव है। इसलिए राहुल गांधी के नेतृत्व में सभी विपक्षी दलों ने सारी ताकत लगाई कि चुनाव पुरानी पद्धति से ही होना चाहिए, ईवीएम से नहीं। इसके लिए सबने जनता के बीच में भी वातावरण बनाया और संसद सहित अनेक स्थानों पर लगातार मांग की कि चुनाव पुरानी पद्धति से हों लेकिन कहीं भी इन्हें सफलता नहीं मिली। अंत में प्रशांत भूषण के मार्गदर्शन में हमारे नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आज सुप्रीम कोर्ट का भी निर्णय आ गया। अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने भी विपक्षी दलों के गाल पर करारा तमाचा मारा है। राहुल गांधी की तो आज बोलती बंद हो गई है। मुझे आश्चर्य है कि कोई भी राजनीतिक दल इतनी बेशर्मी से पुराने लूटमार वाली चुनाव पद्धति के पक्ष में खुलकर बोलेगा लेकिन यह बेशर्म नेता ईवीएम के खिलाफ लगातार अभियान चलाते रहे। सुप्रीम कोर्ट ने यह सारी याचिकाएं रद्द कर दी यहां तक कि प्रशांत भूषण जी की यह कोशिश भी असफल हुई कि चुनाव तक इस निर्णय को आगे बढ़ा दिया जाए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद हमारे विपक्षी दलों के नेताओं को यह अनुभव हो जाना चाहिए कि भारत की जनता समझदार हो गई है। उसे तर्क से समझाया जा सकता है, वैचारिक धरातल पर ही बताया जा सकता है। झूठे वादों से भारत की जनता को बरगलाना कठिन होता जा रहा है।

            इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकार की मांग करने वालों की नियत पर भी प्रश्न उठाया है। सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसले में कहा है कि देश की प्रगति के विरुद्ध दुनिया में प्रचार करने वाले बुरी नियत से इस तरह की मांग उठा रहे हैं यह एक गंभीर टिप्पणी है। इस टिप्पणी के बाद कांग्रेस पार्टी ने तो अपना मुंह बंद कर लिया लेकिन कम्युनिस्टों ने इस टिप्पणी का बहुत बुरा माना है। कम्युनिस्टों की तरफ से कई प्रवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट पर प्रश्न लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि अब यह बात साफ दिख रही है कि नरेंद्र मोदी बहुमत से आगे चले जाएंगे क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद नरेंद्र मोदी का मनोबल बहुत बढ़ गया है। बात भी सच है कि सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी बहुत गंभीर है। जिस तरह इस टिप्पणी से कम्युनिस्ट दलालों को धक्का लगा है यह बहुत अच्छा है। सच्चाई यह है कि सुप्रीम कोर्ट को पहले से ही इस प्रकार की टिप्पणियां करनी चाहिए थी। कम्युनिस्ट किसी भी व्यवस्था पर विश्वास नहीं करते। कम्युनिस्ट किसी पर भी, किसी भी समय, किसी भी प्रकार का आरोप लगा सकते हैं। मुझे यह जानकर दुरूख होता है कि हमारे देश के होनहार नौजवान राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल कम्युनिस्टों के चंगुल में फंस गये हैं।