पंडित नेहरू ने, आपकी मान्यता के अनुसार, सांप्रदायिकता का सहारा लेकर देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की योजना बनाई।
स्वतंत्रता के बाद भारत के राजनीतिक इतिहास में पंडित नेहरू सबसे बड़े सांप्रदायिक पंडित माने जा सकते हैं। पंडित नेहरू ने, आपकी मान्यता के अनुसार, सांप्रदायिकता का सहारा लेकर देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की योजना बनाई। जबकि गांधी वैचारिक संतुलनवादी हिंदुत्व का पक्षधर थे, नेहरू की दिशा कुछ और ही प्रतीत होती थी। आज भी नेहरू परिवार लगातार उसी दिशा में प्रयत्नशील है। उनका प्रयास है कि मुसलमान उनके नियंत्रण में रहें और साथ ही अगर कुछ हिंदुओं को तोड़ा जा सके तो वे भारत में फिर से मुसलमानों का दबदबा उसी तरह कायम कर दें जैसा पंद्रह साल पहले था।
आश्चर्यजनक है कि राहुल गांधी इतने जल्दी किसी दलित अधिकारी की आत्महत्या के मामले में कूद पड़े — जहाँ संभवतः उस तरह की त्वरित प्रतिक्रिया की आवश्यकता नहीं थी। राहुल-प्रियंका ने इस मामले को हिंदुओं को दलितों के नाम पर विभाजित करने का अवसर समझा। वहीं जब जाटों का मुद्दा उठा तो राहुल गांधी चुप दिखाई दिए; अब वे हुड्डा को समझाने पर भरोसा कर रहे हैं कि वह जाकर मामले को शांत करे।
मेरी समझ यह है कि अगर राहुल गांधी जाति और धर्म के नाम पर समाज को तोड़कर सत्ता प्राप्त करना चाहते हैं, तो उनका सपना अधूरा ही रहेगा। नेहरू ने उस समय गांधी के विचारों से भिन्न रास्ता चुना, जिससे देश और समाज पर असर पड़ा और—आपके विचार में—मुसलमानों की शक्ति बढ़ी। परंतु आज भारत का गैर-मुस्लिम समुदाय सावधान हो गया है और राहुल गांधी की वही चाल अब सफल नहीं होगी।
भारत को धर्मनिरपेक्ष ही रहना चाहिए; किसी भी स्थिति में धर्म, जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने की आवश्यकता है।
Comments