वर्तमान भारत और नई समाज व्यवस्था की दिशा
वर्तमान भारत और नई समाज व्यवस्था की दिशा
हम सब लोग भारत की राजनीतिक आर्थिक सामाजिक धार्मिक तथा अन्य सभी विषयों पर नई समाज व्यवस्था का प्रयत्न कर रहे हैं। इसमें भी राजनीतिक व्यवस्था के मामले में हम लोक स्वराज को अपना लक्ष्य बना रहे हैं लोग स्वराज के लिए हमारा मार्ग होगा वैचारिक संतुलनवादी हिंदुत्व। दिशा हमें कुछ वर्ष पहले गांधी ने बताई थी गांधी ने ही लोग स्वराज और संतुलनवादी हिंदुत्व का मार्ग बताया था लेकिन यह कोई गांधी द्वारा बताया हुआ मार्ग नहीं है यह मार्ग तो हमारा ऋषि दयानंद ने भी बताया है उसके पहले भी अनेक ऋषि मुनियों ने सत्य और अहिंसा का महत्व समझाया है यह अलग बात है की बीच के कालखंड में हम इस बात को भूल गए थे और गांधी ने उसको पुनर्जीवित कर दिया। वर्तमान भारत में हमें तीन प्रकार के लोग मिल रहे हैं एक संघ के लोग हैं जो इस मार्ग का और लोग स्वराज के विचार का समर्थन करते हैं गांधी नाम का नहीं दूसरे वे लोग हैं जो कम्युनिस्ट है वह गांधी नाम का समर्थन करते हैं गांधी विचार का नहीं तीसरे वे हैं जो गांधीवादी है जो गांधी नाम का भी समर्थन करते हैं और विचार का भी समर्थन करते हैं लेकिन वह हमारे प्रयत्नों के साथ नहीं है वह किसी न किसी रूप में संपत्ति के टकराव में उलझे हुए हैं वह साम्यवादियों के प्रभाव में है। वे दिन-रात गांधीनाम की चर्चा करते हैं गांधी विचारों का विरोध करते हैं। वर्तमान भारत में जिस तरह नक्सलवादी सरेंडर कर रहे हैं जिस तरह भारत में मुसलमान भी अब अपना मार्ग छोड़ रहा है इस तरह हमारे गांधीवादी मित्रों को भी अब नई परिस्थितियों पर विचार करना चाहिए। मैं मानता हूं कि लोग स्वराज और वैचारिक संतुलनवादी हिंदुत्व यह दोनों ही बातें गांधीवादियों के लिए अनुकूल है लेकिन वह सत्ता संपत्ति के झगड़े में साम्यवादियों को और नेहरू परिवार पर अभी भी उम्मीद बनाए हुए हैं जबकि साम्यवाद इस्लाम नेहरू परिवार सब संकट में है। मैं अपने गांधीवादी मित्रों से यह निवेदन करना चाहता हूं जब दुनिया शांति की दिशा में जा रही है अब दुनिया हिंदुत्व की दिशा में बढ़ रही है ऐसी परिस्थितियों में आपको प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए। अब साम्यवाद नक्सलवाद इस्लाम नेहरू परिवार का कोई भविष्य नहीं है। अब गांधीवादियों की सारी संपत्ति धीरे-धीरे सरकार ले लेगी ऐसी परिस्थितियों में आप मां संस्थान के साथ जुड़कर गांधी विचार अर्थात लोक स्वराज और वैचारिक हिंदुत्व को मजबूत करिए यही वर्तमान समय में मेरा आपके सुझाव है।
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